بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
18791577إن في ذلك لآية للمؤمنين
इसमें तो शक हीं नहीं कि इसमें ईमानदारों के वास्ते (कुदरते ख़ुदा की) बहुत बड़ी निशानी है
18801578وإن كان أصحاب الأيكة لظالمين
और एैका के रहने वाले (क़ौमे शुएब की तरह बड़े सरकश थे)
18811579فانتقمنا منهم وإنهما لبإمام مبين
तो उन से भी हमने (नाफरमानी का) बदला लिया और ये दो बस्तियाँ (क़ौमे लूत व शुएब की) एक खुली हुई यह राह पर (अभी तक मौजूद) हैं
18821580ولقد كذب أصحاب الحجر المرسلين
और इसी तरह हिज्र के रहने वालों (क़ौम सालेह ने भी) पैग़म्बरों को झुठलाया
18831581وآتيناهم آياتنا فكانوا عنها معرضين
और (बावजूद कि) हमने उन्हें अपनी निशानियाँ दी उस पर भी वह लोग उनसे रद गिरदानी करते रहे
18841582وكانوا ينحتون من الجبال بيوتا آمنين
और बहुत दिल जोई से पहाड़ों को तराश कर घर बनाते रहे
18851583فأخذتهم الصيحة مصبحين
आख़िर उनके सुबह होते होते एक बड़ी (जोरों की) चिंघाड़ ने ले डाला
18861584فما أغنى عنهم ما كانوا يكسبون
फिर जो कुछ वह अपनी हिफाज़त की तदबीर किया करते थे (अज़ाब ख़ुदा से बचाने में) कि कुछ भी काम न आयीं
18871585وما خلقنا السماوات والأرض وما بينهما إلا بالحق وإن الساعة لآتية فاصفح الصفح الجميل
और हमने आसमानों और ज़मीन को और जो कुछ उन दोनों के दरमियान में है हिकमत व मसलहत से पैदा किया है और क़यामत यक़ीनन ज़रुर आने वाली है तो तुम (ऐ रसूल) उन काफिरों से शाइस्ता उनवान (अच्छे बरताव) के साथ दर गुज़र करो
18881586إن ربك هو الخلاق العليم
इसमें शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार बड़ा पैदा करने वाला है


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