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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1878 | 15 | 76 | وإنها لبسبيل مقيم |
| | | के रास्ते पर है |
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1879 | 15 | 77 | إن في ذلك لآية للمؤمنين |
| | | इसमें तो शक हीं नहीं कि इसमें ईमानदारों के वास्ते (कुदरते ख़ुदा की) बहुत बड़ी निशानी है |
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1880 | 15 | 78 | وإن كان أصحاب الأيكة لظالمين |
| | | और एैका के रहने वाले (क़ौमे शुएब की तरह बड़े सरकश थे) |
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1881 | 15 | 79 | فانتقمنا منهم وإنهما لبإمام مبين |
| | | तो उन से भी हमने (नाफरमानी का) बदला लिया और ये दो बस्तियाँ (क़ौमे लूत व शुएब की) एक खुली हुई यह राह पर (अभी तक मौजूद) हैं |
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1882 | 15 | 80 | ولقد كذب أصحاب الحجر المرسلين |
| | | और इसी तरह हिज्र के रहने वालों (क़ौम सालेह ने भी) पैग़म्बरों को झुठलाया |
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1883 | 15 | 81 | وآتيناهم آياتنا فكانوا عنها معرضين |
| | | और (बावजूद कि) हमने उन्हें अपनी निशानियाँ दी उस पर भी वह लोग उनसे रद गिरदानी करते रहे |
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1884 | 15 | 82 | وكانوا ينحتون من الجبال بيوتا آمنين |
| | | और बहुत दिल जोई से पहाड़ों को तराश कर घर बनाते रहे |
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1885 | 15 | 83 | فأخذتهم الصيحة مصبحين |
| | | आख़िर उनके सुबह होते होते एक बड़ी (जोरों की) चिंघाड़ ने ले डाला |
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1886 | 15 | 84 | فما أغنى عنهم ما كانوا يكسبون |
| | | फिर जो कुछ वह अपनी हिफाज़त की तदबीर किया करते थे (अज़ाब ख़ुदा से बचाने में) कि कुछ भी काम न आयीं |
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1887 | 15 | 85 | وما خلقنا السماوات والأرض وما بينهما إلا بالحق وإن الساعة لآتية فاصفح الصفح الجميل |
| | | और हमने आसमानों और ज़मीन को और जो कुछ उन दोनों के दरमियान में है हिकमत व मसलहत से पैदा किया है और क़यामत यक़ीनन ज़रुर आने वाली है तो तुम (ऐ रसूल) उन काफिरों से शाइस्ता उनवान (अच्छे बरताव) के साथ दर गुज़र करो |
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