بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
18741572لعمرك إنهم لفي سكرتهم يعمهون
(इनसे निकाह कर लो) ऐ रसूल तुम्हारी जान की कसम ये लोग (क़ौम लूत) अपनी मस्ती में मदहोश हो रहे थे
18751573فأخذتهم الصيحة مشرقين
(लूत की सुनते काहे को) ग़रज़ सूरज निकलते निकलते उनको (बड़े ज़ोरो की) चिघाड़ न ले डाला
18761574فجعلنا عاليها سافلها وأمطرنا عليهم حجارة من سجيل
फिर हमने उसी बस्ती को उलट कर उसके ऊपर के तबके क़ो नीचे का तबक़ा बना दिया और उसके ऊपर उन पर खरन्जे के पत्थर बरसा दिए इसमें शक़ नहीं कि इसमें (असली बात के) ताड़ जाने वालों के लिए (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं
18771575إن في ذلك لآيات للمتوسمين
और वह उलटी हुई बस्ती हमेशा (की आमदरफ्त)
18781576وإنها لبسبيل مقيم
के रास्ते पर है
18791577إن في ذلك لآية للمؤمنين
इसमें तो शक हीं नहीं कि इसमें ईमानदारों के वास्ते (कुदरते ख़ुदा की) बहुत बड़ी निशानी है
18801578وإن كان أصحاب الأيكة لظالمين
और एैका के रहने वाले (क़ौमे शुएब की तरह बड़े सरकश थे)
18811579فانتقمنا منهم وإنهما لبإمام مبين
तो उन से भी हमने (नाफरमानी का) बदला लिया और ये दो बस्तियाँ (क़ौमे लूत व शुएब की) एक खुली हुई यह राह पर (अभी तक मौजूद) हैं
18821580ولقد كذب أصحاب الحجر المرسلين
और इसी तरह हिज्र के रहने वालों (क़ौम सालेह ने भी) पैग़म्बरों को झुठलाया
18831581وآتيناهم آياتنا فكانوا عنها معرضين
और (बावजूद कि) हमने उन्हें अपनी निशानियाँ दी उस पर भी वह लोग उनसे रद गिरदानी करते रहे


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