بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
18631561فلما جاء آل لوط المرسلون
फिर जब ये दूत लूत के यहाँ पहुँचे,
18641562قال إنكم قوم منكرون
तो उसने कहा, "तुम तो अपरिचित लोग हो।"
18651563قالوا بل جئناك بما كانوا فيه يمترون
उन्होंने कहा, "नहीं, बल्कि हम तो तुम्हारे पास वही चीज़ लेकर आए है, जिसके विषय में वे सन्देह कर रहे थे
18661564وأتيناك بالحق وإنا لصادقون
और हम तुम्हारे पास यक़ीनी चीज़ लेकर आए है, और हम बिलकुल सच कह रहे है
18671565فأسر بأهلك بقطع من الليل واتبع أدبارهم ولا يلتفت منكم أحد وامضوا حيث تؤمرون
अतएव अब तुम अपने घरवालों को लेकर रात्रि के किसी हिस्से में निकल जाओ, और स्वयं उन सबके पीछे-पीछे चलो। और तुममें से कोई भी पीछे मुड़कर न देखे। बस चले जाओ, जिधर का तुम्हे आदेश है।"
18681566وقضينا إليه ذلك الأمر أن دابر هؤلاء مقطوع مصبحين
हमने उसे अपना यह फ़ैसला पहुँचा दिया कि प्रातः होते-होते उनकी जड़ कट चुकी होगी
18691567وجاء أهل المدينة يستبشرون
इतने में नगर के लोग ख़ुश-ख़ुश आ पहुँचे
18701568قال إن هؤلاء ضيفي فلا تفضحون
उसने कहा, "ये मेरे अतिथि है। मेरी फ़ज़ीहत मत करना,
18711569واتقوا الله ولا تخزون
अल्लाह का डर ऱखो, मुझे रुसवा न करो।"
18721570قالوا أولم ننهك عن العالمين
उन्होंने कहा, "क्या हमने तुम्हें दुनिया भर के लोगों का ज़िम्मा लेने से रोका नहीं था?"


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