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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1863 | 15 | 61 | فلما جاء آل لوط المرسلون |
| | | फिर जब ये दूत लूत के यहाँ पहुँचे, |
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1864 | 15 | 62 | قال إنكم قوم منكرون |
| | | तो उसने कहा, "तुम तो अपरिचित लोग हो।" |
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1865 | 15 | 63 | قالوا بل جئناك بما كانوا فيه يمترون |
| | | उन्होंने कहा, "नहीं, बल्कि हम तो तुम्हारे पास वही चीज़ लेकर आए है, जिसके विषय में वे सन्देह कर रहे थे |
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1866 | 15 | 64 | وأتيناك بالحق وإنا لصادقون |
| | | और हम तुम्हारे पास यक़ीनी चीज़ लेकर आए है, और हम बिलकुल सच कह रहे है |
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1867 | 15 | 65 | فأسر بأهلك بقطع من الليل واتبع أدبارهم ولا يلتفت منكم أحد وامضوا حيث تؤمرون |
| | | अतएव अब तुम अपने घरवालों को लेकर रात्रि के किसी हिस्से में निकल जाओ, और स्वयं उन सबके पीछे-पीछे चलो। और तुममें से कोई भी पीछे मुड़कर न देखे। बस चले जाओ, जिधर का तुम्हे आदेश है।" |
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1868 | 15 | 66 | وقضينا إليه ذلك الأمر أن دابر هؤلاء مقطوع مصبحين |
| | | हमने उसे अपना यह फ़ैसला पहुँचा दिया कि प्रातः होते-होते उनकी जड़ कट चुकी होगी |
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1869 | 15 | 67 | وجاء أهل المدينة يستبشرون |
| | | इतने में नगर के लोग ख़ुश-ख़ुश आ पहुँचे |
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1870 | 15 | 68 | قال إن هؤلاء ضيفي فلا تفضحون |
| | | उसने कहा, "ये मेरे अतिथि है। मेरी फ़ज़ीहत मत करना, |
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1871 | 15 | 69 | واتقوا الله ولا تخزون |
| | | अल्लाह का डर ऱखो, मुझे रुसवा न करो।" |
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1872 | 15 | 70 | قالوا أولم ننهك عن العالمين |
| | | उन्होंने कहा, "क्या हमने तुम्हें दुनिया भर के लोगों का ज़िम्मा लेने से रोका नहीं था?" |
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