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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1848 | 15 | 46 | ادخلوها بسلام آمنين |
| | | (दाख़िले के वक्त फ़रिश्ते कहेगें कि) उनमें सलामती इत्मिनान से चले चलो |
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1849 | 15 | 47 | ونزعنا ما في صدورهم من غل إخوانا على سرر متقابلين |
| | | और (दुनिया की तकलीफों से) जो कुछ उनके दिल में रंज था उसको भी हम निकाल देगें और ये बाहम एक दूसरे के आमने सामने तख्तों पर इस तरह बैठे होगें जैसे भाई भाई |
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1850 | 15 | 48 | لا يمسهم فيها نصب وما هم منها بمخرجين |
| | | उनको बेहश्त में तकलीफ छुएगी भी तो नहीं और न कभी उसमें से निकाले जाएँगें |
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1851 | 15 | 49 | نبئ عبادي أني أنا الغفور الرحيم |
| | | (ऐ रसूल) मेरे बन्दों को आगाह करो कि बेशक मै बड़ा बख्शने वाला मेहरबान हूँ |
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1852 | 15 | 50 | وأن عذابي هو العذاب الأليم |
| | | मगर साथ ही इसके (ये भी याद रहे कि) बेशक मेरा अज़ाब भी बड़ा दर्दनाक अज़ाब है |
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1853 | 15 | 51 | ونبئهم عن ضيف إبراهيم |
| | | और उनको इबराहीम के मेहमान का हाल सुना दो |
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1854 | 15 | 52 | إذ دخلوا عليه فقالوا سلاما قال إنا منكم وجلون |
| | | कि जब ये इबराहीम के पास आए तो (पहले) उन्होंने सलाम किया इबराहीम ने (जवाब सलाम के बाद) कहा हमको तो तुम से डर मालूम होता है |
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1855 | 15 | 53 | قالوا لا توجل إنا نبشرك بغلام عليم |
| | | उन्होंने कहा आप मुत्तालिक़ ख़ौफ न कीजिए (क्योंकि) हम तो आप को एक (दाना व बीना) फरज़न्द (के पैदाइश) की खुशख़बरी देते हैं |
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1856 | 15 | 54 | قال أبشرتموني على أن مسني الكبر فبم تبشرون |
| | | इब्राहिम ने कहा क्या मुझे ख़ुशख़बरी (बेटा होने की) देते हो जब मुझे बुढ़ापा छा गया |
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1857 | 15 | 55 | قالوا بشرناك بالحق فلا تكن من القانطين |
| | | तो फिर अब काहे की खुशख़बरी देते हो वह फरिश्ते बोले हमने आप को बिल्कुल ठीक खुशख़बरी दी है तो आप (बारगाह ख़ुदा बन्दी से) ना उम्मीद न हो |
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