بسم الله الرحمن الرحيم

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18441542إن عبادي ليس لك عليهم سلطان إلا من اتبعك من الغاوين
जो मेरे मुख़लिस (ख़ास बन्दे) बन्दे हैं उन पर तुझसे किसी तरह की हुकूमत न होगी मगर हाँ गुमराहों में से जो तेरी पैरवी करे (उस पर तेरा वार चल जाएगा)
18451543وإن جهنم لموعدهم أجمعين
और हाँ ये भी याद रहे कि उन सब के वास्ते (आख़िरी) वायदा बस जहन्न ुम है जिसके सात दरवाजे होगे
18461544لها سبعة أبواب لكل باب منهم جزء مقسوم
हर (दरवाज़े में जाने) के लिए उन गुमराहों की अलग अलग टोलियाँ होगीं
18471545إن المتقين في جنات وعيون
और परहेज़गार तो बेहश्त के बाग़ों और चश्मों मे यक़ीनन होंगे
18481546ادخلوها بسلام آمنين
(दाख़िले के वक्त फ़रिश्ते कहेगें कि) उनमें सलामती इत्मिनान से चले चलो
18491547ونزعنا ما في صدورهم من غل إخوانا على سرر متقابلين
और (दुनिया की तकलीफों से) जो कुछ उनके दिल में रंज था उसको भी हम निकाल देगें और ये बाहम एक दूसरे के आमने सामने तख्तों पर इस तरह बैठे होगें जैसे भाई भाई
18501548لا يمسهم فيها نصب وما هم منها بمخرجين
उनको बेहश्त में तकलीफ छुएगी भी तो नहीं और न कभी उसमें से निकाले जाएँगें
18511549نبئ عبادي أني أنا الغفور الرحيم
(ऐ रसूल) मेरे बन्दों को आगाह करो कि बेशक मै बड़ा बख्शने वाला मेहरबान हूँ
18521550وأن عذابي هو العذاب الأليم
मगर साथ ही इसके (ये भी याद रहे कि) बेशक मेरा अज़ाब भी बड़ा दर्दनाक अज़ाब है
18531551ونبئهم عن ضيف إبراهيم
और उनको इबराहीम के मेहमान का हाल सुना दो


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