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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1844 | 15 | 42 | إن عبادي ليس لك عليهم سلطان إلا من اتبعك من الغاوين |
| | | जो मेरे मुख़लिस (ख़ास बन्दे) बन्दे हैं उन पर तुझसे किसी तरह की हुकूमत न होगी मगर हाँ गुमराहों में से जो तेरी पैरवी करे (उस पर तेरा वार चल जाएगा) |
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1845 | 15 | 43 | وإن جهنم لموعدهم أجمعين |
| | | और हाँ ये भी याद रहे कि उन सब के वास्ते (आख़िरी) वायदा बस जहन्न ुम है जिसके सात दरवाजे होगे |
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1846 | 15 | 44 | لها سبعة أبواب لكل باب منهم جزء مقسوم |
| | | हर (दरवाज़े में जाने) के लिए उन गुमराहों की अलग अलग टोलियाँ होगीं |
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1847 | 15 | 45 | إن المتقين في جنات وعيون |
| | | और परहेज़गार तो बेहश्त के बाग़ों और चश्मों मे यक़ीनन होंगे |
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1848 | 15 | 46 | ادخلوها بسلام آمنين |
| | | (दाख़िले के वक्त फ़रिश्ते कहेगें कि) उनमें सलामती इत्मिनान से चले चलो |
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1849 | 15 | 47 | ونزعنا ما في صدورهم من غل إخوانا على سرر متقابلين |
| | | और (दुनिया की तकलीफों से) जो कुछ उनके दिल में रंज था उसको भी हम निकाल देगें और ये बाहम एक दूसरे के आमने सामने तख्तों पर इस तरह बैठे होगें जैसे भाई भाई |
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1850 | 15 | 48 | لا يمسهم فيها نصب وما هم منها بمخرجين |
| | | उनको बेहश्त में तकलीफ छुएगी भी तो नहीं और न कभी उसमें से निकाले जाएँगें |
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1851 | 15 | 49 | نبئ عبادي أني أنا الغفور الرحيم |
| | | (ऐ रसूल) मेरे बन्दों को आगाह करो कि बेशक मै बड़ा बख्शने वाला मेहरबान हूँ |
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1852 | 15 | 50 | وأن عذابي هو العذاب الأليم |
| | | मगर साथ ही इसके (ये भी याद रहे कि) बेशक मेरा अज़ाब भी बड़ा दर्दनाक अज़ाब है |
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1853 | 15 | 51 | ونبئهم عن ضيف إبراهيم |
| | | और उनको इबराहीम के मेहमान का हाल सुना दो |
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