بسم الله الرحمن الرحيم

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1852178يا أيها الذين آمنوا كتب عليكم القصاص في القتلى الحر بالحر والعبد بالعبد والأنثى بالأنثى فمن عفي له من أخيه شيء فاتباع بالمعروف وأداء إليه بإحسان ذلك تخفيف من ربكم ورحمة فمن اعتدى بعد ذلك فله عذاب أليم
ऐ मोमिनों जो लोग (नाहक़) मार डाले जाएँ उनके बदले में तुम को जान के बदले जान लेने का हुक्म दिया जाता है आज़ाद के बदले आज़ाद और ग़ुलाम के बदले ग़ुलाम और औरत के बदले औरत पस जिस (क़ातिल) को उसके ईमानी भाई तालिबे केसास की तरफ से कुछ माफ़ कर दिया जाये तो उसे भी उसके क़दम ब क़दम नेकी करना और ख़ुश मआमलती से (ख़ून बहा) अदा कर देना चाहिए ये तुम्हारे परवरदिगार की तरफ आसानी और मेहरबानी है फिर उसके बाद जो ज्यादती करे तो उस के लिए दर्दनाक अज़ाब है
1862179ولكم في القصاص حياة يا أولي الألباب لعلكم تتقون
और ऐ अक़लमनदों क़सास (के क़वाएद मुक़र्रर कर देने) में तुम्हारी ज़िन्दगी है (और इसीलिए जारी किया गया है ताकि तुम ख़ूंरेज़ी से) परहेज़ करो
1872180كتب عليكم إذا حضر أحدكم الموت إن ترك خيرا الوصية للوالدين والأقربين بالمعروف حقا على المتقين
(मुसलमानों) तुम को हुक्म दिया जाता है कि जब तुम में से किसी के सामने मौत आ खड़ी हो बशर्ते कि वह कुछ माल छोड़ जाएं तो माँ बाप और क़राबतदारों के लिए अच्छी वसीयत करें जो ख़ुदा से डरते हैं उन पर ये एक हक़ है
1882181فمن بدله بعدما سمعه فإنما إثمه على الذين يبدلونه إن الله سميع عليم
फिर जो सुन चुका उसके बाद उसे कुछ का कुछ कर दे तो उस का गुनाह उन्हीं लोगों की गरदन पर है जो उसे बदल डालें बेशक ख़ुदा सब कुछ जानता और सुनता है
1892182فمن خاف من موص جنفا أو إثما فأصلح بينهم فلا إثم عليه إن الله غفور رحيم
(हाँ अलबत्ता) जो शख्स वसीयत करने वाले से बेजा तरफ़दारी या बे इन्साफी का ख़ौफ रखता है और उन वारिसों में सुलह करा दे तो उस पर बदलने का कुछ गुनाह नहीं है बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
1902183يا أيها الذين آمنوا كتب عليكم الصيام كما كتب على الذين من قبلكم لعلكم تتقون
ऐ ईमानदारों रोज़ा रखना जिस तरह तुम से पहले के लोगों पर फर्ज था उसी तरफ तुम पर भी फर्ज़ किया गया ताकि तुम उस की वजह से बहुत से गुनाहों से बचो
1912184أياما معدودات فمن كان منكم مريضا أو على سفر فعدة من أيام أخر وعلى الذين يطيقونه فدية طعام مسكين فمن تطوع خيرا فهو خير له وأن تصوموا خير لكم إن كنتم تعلمون
(वह भी हमेशा नहीं बल्कि) गिनती के चन्द रोज़ इस पर भी (रोज़े के दिनों में) जो शख्स तुम में से बीमार हो या सफर में हो तो और दिनों में जितने क़ज़ा हुए हो) गिन के रख ले और जिन्हें रोज़ा रखने की कूवत है और न रखें तो उन पर उस का बदला एक मोहताज को खाना खिला देना है और जो शख्स अपनी ख़ुशी से भलाई करे तो ये उस के लिए ज्यादा बेहतर है और अगर तुम समझदार हो तो (समझ लो कि फिदये से) रोज़ा रखना तुम्हारे हक़ में बहरहाल अच्छा है
1922185شهر رمضان الذي أنزل فيه القرآن هدى للناس وبينات من الهدى والفرقان فمن شهد منكم الشهر فليصمه ومن كان مريضا أو على سفر فعدة من أيام أخر يريد الله بكم اليسر ولا يريد بكم العسر ولتكملوا العدة ولتكبروا الله على ما هداكم ولعلكم تشكرون
(रोज़ों का) महीना रमज़ान है जिस में क़ुरान नाज़िल किया गया जो लोगों का रहनुमा है और उसमें रहनुमाई और (हक़ व बातिल के) तमीज़ की रौशन निशानियाँ हैं (मुसलमानों) तुम में से जो शख्स इस महीनें में अपनी जगह पर हो तो उसको चाहिए कि रोज़ा रखे और जो शख्स बीमार हो या फिर सफ़र में हो तो और दिनों में रोज़े की गिनती पूरी करे ख़ुदा तुम्हारे साथ आसानी करना चाहता है और तुम्हारे साथ सख्ती करनी नहीं चाहता और (शुमार का हुक्म इस लिए दिया है) ताकि तुम (रोज़ो की) गिनती पूरी करो और ताकि ख़ुदा ने जो तुम को राह पर लगा दिया है उस नेअमत पर उस की बड़ाई करो और ताकि तुम शुक्र गुज़ार बनो
1932186وإذا سألك عبادي عني فإني قريب أجيب دعوة الداع إذا دعان فليستجيبوا لي وليؤمنوا بي لعلهم يرشدون
(ऐ रसूल) जब मेरे बन्दे मेरा हाल तुमसे पूछे तो (कह दो कि) मै उन के पास ही हूँ और जब मुझसे कोई दुआ माँगता है तो मै हर दुआ करने वालों की दुआ (सुन लेता हूँ और जो मुनासिब हो तो) क़ुबूल करता हूँ पस उन्हें चाहिए कि मेरा भी कहना माने) और मुझ पर ईमान लाएँ
1942187أحل لكم ليلة الصيام الرفث إلى نسائكم هن لباس لكم وأنتم لباس لهن علم الله أنكم كنتم تختانون أنفسكم فتاب عليكم وعفا عنكم فالآن باشروهن وابتغوا ما كتب الله لكم وكلوا واشربوا حتى يتبين لكم الخيط الأبيض من الخيط الأسود من الفجر ثم أتموا الصيام إلى الليل ولا تباشروهن وأنتم عاكفون في المساجد تلك حدود الله فلا تقربوها كذلك يبين الله آياته للناس لعلهم يتقون
ताकि वह सीधी राह पर आ जाए (मुसलमानों) तुम्हारे वास्ते रोज़ों की रातों में अपनी बीवियों के पास जाना हलाल कर दिया गया औरतें (गोया) तुम्हारी चोली हैं और तुम (गोया उन के दामन हो) ख़ुदा ने देखा कि तुम (गुनाह) करके अपना नुकसान करते (कि ऑंख बचा के अपनी बीबी के पास चले जाते थे) तो उसने तुम्हारी तौबा क़ुबूल की और तुम्हारी ख़ता से दर गुज़र किया पस तुम अब उनसे हम बिस्तरी करो और (औलाद) जो कुछ ख़ुदा ने तुम्हारे लिए (तक़दीर में) लिख दिया है उसे माँगों और खाओ और पियो यहाँ तक कि सुबह की सफेद धारी (रात की) काली धारी से आसमान पर पूरब की तरफ़ तक तुम्हें साफ नज़र आने लगे फिर रात तक रोज़ा पूरा करो और हाँ जब तुम मस्ज़िदों में एतेकाफ़ करने बैठो तो उन से (रात को भी) हम बिस्तरी न करो ये ख़ुदा की (मुअय्युन की हुई) हदे हैं तो तुम उनके पास भी न जाना यूँ खुल्लम खुल्ला ख़ुदा अपने एहकाम लोगों के सामने बयान करता है ताकि वह लोग (नाफ़रमानी से) बचें


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