بسم الله الرحمن الرحيم

نتائج البحث: 6236
ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
1806154وما أهلكنا من قرية إلا ولها كتاب معلوم
अनक़रीब ही (इसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा और हमने कभी कोई बस्ती तबाह नहीं की मगर ये कि उसकी तबाही के लिए (पहले ही से) समझी बूझी मियाद मुक़र्रर लिखी हुई थी
1807155ما تسبق من أمة أجلها وما يستأخرون
कोई उम्मत अपने वक्त से न आगे बढ़ सकती है न पीछे हट सकती है
1808156وقالوا يا أيها الذي نزل عليه الذكر إنك لمجنون
(ऐ रसूल कुफ्फ़ारे मक्का तुमसे) कहते हैं कि ऐ शख़्श (जिसको ये भरम है) कि उस पर 'वही' व किताब नाज़िल हुईहै तो (अच्छा ख़ासा) सिड़ी है
1809157لو ما تأتينا بالملائكة إن كنت من الصادقين
अगर तू अपने दावे में सच्चा है तो फरिश्तों को हमारे सामने क्यों नहीं ला खड़ा करता
1810158ما ننزل الملائكة إلا بالحق وما كانوا إذا منظرين
(हालॉकि) हम फरिश्तों को खुल्लम खुल्ला (जिस अज़ाब के साथ) फैसले ही के लिए भेजा करते हैं और (अगर फरिश्ते नाज़िल हो जाए तो) फिर उनको (जान बचाने की) मोहलत भी न मिले
1811159إنا نحن نزلنا الذكر وإنا له لحافظون
बेशक हम ही ने क़ुरान नाज़िल किया और हम ही तो उसके निगेहबान भी हैं
18121510ولقد أرسلنا من قبلك في شيع الأولين
(ऐ रसूल) हमने तो तुमसे पहले भी अगली उम्मतों में (और भी बहुत से) रसूल भेजे
18131511وما يأتيهم من رسول إلا كانوا به يستهزئون
और (उनकी भी यही हालत थी कि) उनके पास कोई रसूल न आया मगर उन लोगों ने उसकी हँसी ज़रुर उड़ाई
18141512كذلك نسلكه في قلوب المجرمين
हम (गोया खुद) इसी तरह इस (गुमराही) को (उन) गुनाहगारों के दिल में डाल देते हैं
18151513لا يؤمنون به وقد خلت سنة الأولين
ये कुफ्फ़ार इस (क़ुरान) पर ईमान न लाएँगें और (ये कुछ अनोखी बात नहीं) अगलों के तरीक़े भी (ऐसे ही) रहें है


0 ... 170.5 171.5 172.5 173.5 174.5 175.5 176.5 177.5 178.5 179.5 181.5 182.5 183.5 184.5 185.5 186.5 187.5 188.5 189.5 ... 623

إنتاج هذه المادة أخد: 0.02 ثانية


المغرب.كووم © ٢٠٠٩ - ١٤٣٠ © الحـمـد لله الـذي سـخـر لـنا هـذا :: وقف لله تعالى وصدقة جارية

447919365115336214557724597326754955345