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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1806 | 15 | 4 | وما أهلكنا من قرية إلا ولها كتاب معلوم |
| | | अनक़रीब ही (इसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा और हमने कभी कोई बस्ती तबाह नहीं की मगर ये कि उसकी तबाही के लिए (पहले ही से) समझी बूझी मियाद मुक़र्रर लिखी हुई थी |
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1807 | 15 | 5 | ما تسبق من أمة أجلها وما يستأخرون |
| | | कोई उम्मत अपने वक्त से न आगे बढ़ सकती है न पीछे हट सकती है |
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1808 | 15 | 6 | وقالوا يا أيها الذي نزل عليه الذكر إنك لمجنون |
| | | (ऐ रसूल कुफ्फ़ारे मक्का तुमसे) कहते हैं कि ऐ शख़्श (जिसको ये भरम है) कि उस पर 'वही' व किताब नाज़िल हुईहै तो (अच्छा ख़ासा) सिड़ी है |
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1809 | 15 | 7 | لو ما تأتينا بالملائكة إن كنت من الصادقين |
| | | अगर तू अपने दावे में सच्चा है तो फरिश्तों को हमारे सामने क्यों नहीं ला खड़ा करता |
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1810 | 15 | 8 | ما ننزل الملائكة إلا بالحق وما كانوا إذا منظرين |
| | | (हालॉकि) हम फरिश्तों को खुल्लम खुल्ला (जिस अज़ाब के साथ) फैसले ही के लिए भेजा करते हैं और (अगर फरिश्ते नाज़िल हो जाए तो) फिर उनको (जान बचाने की) मोहलत भी न मिले |
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1811 | 15 | 9 | إنا نحن نزلنا الذكر وإنا له لحافظون |
| | | बेशक हम ही ने क़ुरान नाज़िल किया और हम ही तो उसके निगेहबान भी हैं |
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1812 | 15 | 10 | ولقد أرسلنا من قبلك في شيع الأولين |
| | | (ऐ रसूल) हमने तो तुमसे पहले भी अगली उम्मतों में (और भी बहुत से) रसूल भेजे |
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1813 | 15 | 11 | وما يأتيهم من رسول إلا كانوا به يستهزئون |
| | | और (उनकी भी यही हालत थी कि) उनके पास कोई रसूल न आया मगर उन लोगों ने उसकी हँसी ज़रुर उड़ाई |
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1814 | 15 | 12 | كذلك نسلكه في قلوب المجرمين |
| | | हम (गोया खुद) इसी तरह इस (गुमराही) को (उन) गुनाहगारों के दिल में डाल देते हैं |
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1815 | 15 | 13 | لا يؤمنون به وقد خلت سنة الأولين |
| | | ये कुफ्फ़ार इस (क़ुरान) पर ईमान न लाएँगें और (ये कुछ अनोखी बात नहीं) अगलों के तरीक़े भी (ऐसे ही) रहें है |
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