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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1749 | 13 | 42 | وقد مكر الذين من قبلهم فلله المكر جميعا يعلم ما تكسب كل نفس وسيعلم الكفار لمن عقبى الدار |
| | | उनसे पहले जो लोग गुज़रे है, वे भी चालें चल चुके है, किन्तु वास्तविक चाल तो पूरी की पूरी अल्लाह ही के हाथ में है। प्रत्येक व्यक्ति जो कमाई कर रहा है उसे वह जानता है। इनकार करनेवालों को शीघ्र ही ज्ञात हो जाएगा कि परलोक-गृह के शुभ परिणाम के अधिकारी कौन है |
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1750 | 13 | 43 | ويقول الذين كفروا لست مرسلا قل كفى بالله شهيدا بيني وبينكم ومن عنده علم الكتاب |
| | | जिन लोगों ने इनकार की नीति अपनाई, वे कहते है, "तुम कोई रसूल नहीं हो।" कह दो, "मेरे और तुम्हारे बीच अल्लाह की और जिस किसी के पास किताब का ज्ञान है उसकी, गवाही काफ़ी है।" |
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1751 | 14 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم الر كتاب أنزلناه إليك لتخرج الناس من الظلمات إلى النور بإذن ربهم إلى صراط العزيز الحميد |
| | | अलिफ़॰ लाम॰ रा॰। यह एक किताब है जिसे हमने तुम्हारी ओर अवतरित की है, ताकि तुम मनुष्यों को अँधेरों से निकालकर प्रकाश की ओर ले आओ, उनके रब की अनुमति से प्रभुत्वशाली, प्रशंस्य सत्ता, उस अल्लाह के मार्ग की ओर |
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1752 | 14 | 2 | الله الذي له ما في السماوات وما في الأرض وويل للكافرين من عذاب شديد |
| | | जिसका वह सब है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। इनकार करनेवालों के लिए तो एक कठोर यातना के कारण बड़ी तबाही है |
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1753 | 14 | 3 | الذين يستحبون الحياة الدنيا على الآخرة ويصدون عن سبيل الله ويبغونها عوجا أولئك في ضلال بعيد |
| | | जो आख़िरत की अपेक्षा सांसारिक जीवन को प्राथमिकता देते है और अल्लाह के मार्ग से रोकते है और उसमें टेढ़ पैदा करना चाहते है, वही परले दरजे की गुमराही में पड़े है |
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1754 | 14 | 4 | وما أرسلنا من رسول إلا بلسان قومه ليبين لهم فيضل الله من يشاء ويهدي من يشاء وهو العزيز الحكيم |
| | | हमने जो रसूल भी भेजा, उसकी अपनी क़ौम की भाषा के साथ ही भेजा, ताकि वह उनके लिए अच्छी तरह खोलकर बयान कर दे। फिर अल्लाह जिसे चाहता है पथभ्रष्ट रहने देता है और जिसे चाहता है सीधे मार्ग पर लगा देता है। वह है भी प्रभुत्वशाली, अत्यन्त तत्वदर्शी |
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1755 | 14 | 5 | ولقد أرسلنا موسى بآياتنا أن أخرج قومك من الظلمات إلى النور وذكرهم بأيام الله إن في ذلك لآيات لكل صبار شكور |
| | | हमने मूसा को अपनी निशानियों के साथ भेजा था कि "अपनी क़ौम के लोगों को अँधेरों से प्रकाश की ओर निकाल ला और उन्हें अल्लाह के दिवस याद दिला।" निश्चय ही इसमें प्रत्येक धैर्यवान, कृतज्ञ व्यक्ति के लिए कितनी ही निशानियाँ है |
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1756 | 14 | 6 | وإذ قال موسى لقومه اذكروا نعمة الله عليكم إذ أنجاكم من آل فرعون يسومونكم سوء العذاب ويذبحون أبناءكم ويستحيون نساءكم وفي ذلكم بلاء من ربكم عظيم |
| | | जब मूसा ने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "अल्लाह ही उस कृपादृष्टि को याद करो, जो तुमपर हुई। जब उसने तुम्हें फ़िरऔनियों से छुटकारा दिलाया जो तुम्हें बुरी यातना दे रहे थे, तुम्हारे बेटों का वध कर डालते थे और तुम्हारी औरतों को जीवित रखते थे, किन्तु इसमें तुम्हारे रब की ओर से बड़ी कृपा हुई।" |
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1757 | 14 | 7 | وإذ تأذن ربكم لئن شكرتم لأزيدنكم ولئن كفرتم إن عذابي لشديد |
| | | जब तुम्हारे रब ने सचेत कर दिया था कि 'यदि तुम कृतज्ञ हुए तो मैं तुम्हें और अधिक दूँगा, परन्तु यदि तुम अकृतज्ञ सिद्ध हुए तो निश्चय ही मेरी यातना भी अत्यन्त कठोर है।' |
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1758 | 14 | 8 | وقال موسى إن تكفروا أنتم ومن في الأرض جميعا فإن الله لغني حميد |
| | | और मूसा ने भी कहा था, "यदि तुम और वे जो भी धरती में हैं सब के सब अकृतज्ञ हो जाओ तो अल्लाह तो बड़ा निरपेक्ष, प्रशंस्य है।" |
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