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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1733 | 13 | 26 | الله يبسط الرزق لمن يشاء ويقدر وفرحوا بالحياة الدنيا وما الحياة الدنيا في الآخرة إلا متاع |
| | | और ख़ुदा ही जिसके लिए चाहता है रोज़ी को बढ़ा देता है और जिसके लिए चाहता है तंग करता है और ये लोग दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी पर बहुत निहाल हैं हालॉकि दुनियावी ज़िन्दगी (नईम) आख़िरत के मुक़ाबिल में बिल्कुल बेहकीक़त चीज़ है |
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1734 | 13 | 27 | ويقول الذين كفروا لولا أنزل عليه آية من ربه قل إن الله يضل من يشاء ويهدي إليه من أناب |
| | | और जिन लोगों ने कुफ्र एख़तियार किया वह कहते हैं कि उस (शख्स यानि तुम) पर हमारी ख्वाहिश के मुवाफिक़ कोई मौजिज़ा उसके परवरदिगार की तरफ से क्यों नहीं नाज़िल होता तुम उनसे कह दो कि इसमें शक़ नहीं कि ख़ुदा जिसे चाहता है गुमराही में छोड़ देता है |
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1735 | 13 | 28 | الذين آمنوا وتطمئن قلوبهم بذكر الله ألا بذكر الله تطمئن القلوب |
| | | और जिसने उसकी तरफ रुज़ू की उसे अपनी तरफ पहुँचने की राह दिखाता है (ये) वह लोग हैं जिन्होंने ईमान कुबूल किया और उनके दिलों को ख़ुदा की चाह से तसल्ली हुआ करती है |
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1736 | 13 | 29 | الذين آمنوا وعملوا الصالحات طوبى لهم وحسن مآب |
| | | जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उनके वास्ते (बेहश्त में) तूबा (दरख्त) और ख़ुशहाली और अच्छा अन्जाम है |
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1737 | 13 | 30 | كذلك أرسلناك في أمة قد خلت من قبلها أمم لتتلو عليهم الذي أوحينا إليك وهم يكفرون بالرحمن قل هو ربي لا إله إلا هو عليه توكلت وإليه متاب |
| | | (ऐ रसूल जिस तरह हमने और पैग़म्बर भेजे थे) उसी तरह हमने तुमको उस उम्मत में भेजा है जिससे पहले और भी बहुत सी उम्मते गुज़र चुकी हैं -ताकि तुम उनके सामने जो क़ुरान हमने वही के ज़रिए से तुम्हारे पास भेजा है उन्हें पढ़ कर सुना दो और ये लोग (कुछ तुम्हारे ही नहीं बल्कि सिरे से) ख़ुदा ही के मुन्किर हैं तुम कह दो कि वही मेरा परवरदिगार है उसके सिवा कोई माबूद नहीं मै उसी पर भरोसा रखता हूँ और उसी तरफ रुज़ू करता हूँ |
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1738 | 13 | 31 | ولو أن قرآنا سيرت به الجبال أو قطعت به الأرض أو كلم به الموتى بل لله الأمر جميعا أفلم ييأس الذين آمنوا أن لو يشاء الله لهدى الناس جميعا ولا يزال الذين كفروا تصيبهم بما صنعوا قارعة أو تحل قريبا من دارهم حتى يأتي وعد الله إن الله لا يخلف الميعاد |
| | | और अगर कोई ऐसा क़ुरान (भी नाज़िल होता) जिसकी बरकत से पहाड़ (अपनी जगह) चल खड़े होते या उसकी वजह से ज़मीन (की मुसाफ़त (दूरी)) तय की जाती और उसकी बरकत से मुर्दे बोल उठते (तो भी ये लोग मानने वाले न थे) बल्कि सच यूँ है कि सब काम का एख्तेयार ख़ुदा ही को है तो क्या अभी तक ईमानदारों को चैन नहीं आया कि अगर ख़ुदा चाहता तो सब लोगों की हिदायत कर देता और जिन लोगों ने कुफ्र एख्तेयार किया उन पर उनकी करतूत की सज़ा में कोई (न कोई) मुसीबत पड़ती ही रहेगी या (उन पर पड़ी) तो उनके घरों के आस पास (ग़रज़) नाज़िल होगी (ज़रुर) यहाँ तक कि ख़ुदा का वायदा (फतेह मक्का) पूरा हो कर रहे और इसमें शक़ नहीं कि ख़ुदा हरगिज़ ख़िलाफ़े वायदा नहीं करता |
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1739 | 13 | 32 | ولقد استهزئ برسل من قبلك فأمليت للذين كفروا ثم أخذتهم فكيف كان عقاب |
| | | और (ऐ रसूल) तुमसे पहले भी बहुतेरे पैग़म्बरों की हॅसी उड़ाई जा चुकी है तो मैने (चन्द रोज़) काफिरों को मोहलत दी फिर (आख़िर कार) हमने उन्हें ले डाला फिर (तू क्या पूछता है कि) हमारा अज़ाब कैसा था |
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1740 | 13 | 33 | أفمن هو قائم على كل نفس بما كسبت وجعلوا لله شركاء قل سموهم أم تنبئونه بما لا يعلم في الأرض أم بظاهر من القول بل زين للذين كفروا مكرهم وصدوا عن السبيل ومن يضلل الله فما له من هاد |
| | | क्या जो (ख़ुदा) हर एक शख़्श के आमाल की ख़बर रखता है (उनको युं ही छोड़ देगा हरगिज़ नहीं) और उन लोगों ने ख़ुदा के (दूसरे दूसरे) शरीक ठहराए (ऐ रसूल तुम उनसे कह दो कि तुम आख़िर उनके नाम तो बताओं या तुम ख़ुदा को ऐसे शरीक़ो की ख़बर देते हो जिनको वह जानता तक नहीं कि वह ज़मीन में (किधर बसते) हैं या (निरी ऊपर से बातें बनाते हैं बल्कि (असल ये है कि) काफिरों को उनकी मक्कारियाँ भली दिखाई गई है और वह (गोया) राहे रास्त से रोक दिए गए हैं और जिस शख़्श को ख़ुदा गुमराही में छोड़ दे तो उसका कोई हिदायत करने वाला नहीं |
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1741 | 13 | 34 | لهم عذاب في الحياة الدنيا ولعذاب الآخرة أشق وما لهم من الله من واق |
| | | इन लोगों के वास्ते दुनियावी ज़िन्दगी में (भी) अज़ाब है और आख़िरत का अज़ाब तो यक़ीनी और बहुत सख्त खुलने वाला है (और) (फिर) ख़ुदा (के ग़ज़ब) से उनको कोई बचाने वाला (भी) नहीं |
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1742 | 13 | 35 | مثل الجنة التي وعد المتقون تجري من تحتها الأنهار أكلها دائم وظلها تلك عقبى الذين اتقوا وعقبى الكافرين النار |
| | | जिस बाग़ (बेहश्त) का परहेज़गारों से वायदा किया गया है उसकी सिफत ये है कि उसके नीचे नहरें जारी होगी उसके मेवे सदाबहार और ऐसे ही उसकी छॉव भी ये अन्जाम है उन लोगों को जो (दुनिया में) परहेज़गार थे और काफिरों का अन्जाम (जहन्नुम की) आग है |
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