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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1721 | 13 | 14 | له دعوة الحق والذين يدعون من دونه لا يستجيبون لهم بشيء إلا كباسط كفيه إلى الماء ليبلغ فاه وما هو ببالغه وما دعاء الكافرين إلا في ضلال |
| | | उसी के लिए सच्ची पुकार है। उससे हटकर जिनको वे पुकारते है, वे उनकी पुकार का कुछ भी उत्तर नहीं देते। बस यह ऐसा ही होता है जैसे कोई अपने दोनों हाथ पानी की ओर इसलिए फैलाए कि वह उसके मुँह में पहुँच जाए, हालाँकि वह उसतक पहुँचनेवाला नहीं। कुफ़्र करनेवालों की पुकार तो बस भटकने ही के लिए होती है |
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1722 | 13 | 15 | ولله يسجد من في السماوات والأرض طوعا وكرها وظلالهم بالغدو والآصال |
| | | आकाशों और धरती में जो भी है स्वेच्छापूर्वक या विवशतापूर्वक अल्लाह ही को सजदा कर रहे है और उनकी परछाइयाँ भी प्रातः और संध्या समय |
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1723 | 13 | 16 | قل من رب السماوات والأرض قل الله قل أفاتخذتم من دونه أولياء لا يملكون لأنفسهم نفعا ولا ضرا قل هل يستوي الأعمى والبصير أم هل تستوي الظلمات والنور أم جعلوا لله شركاء خلقوا كخلقه فتشابه الخلق عليهم قل الله خالق كل شيء وهو الواحد القهار |
| | | कहो, "आकाशों और धरती का रब कौन है?" कहो, "अल्लाह" कह दो, "फिर क्या तुमने उससे हटकर दूसरों को अपना संरक्षक बना रखा है, जिन्हें स्वयं अपने भी किसी लाभ का न अधिकार प्राप्त है और न किसी हानि का?" कहो, "क्या अंधा और आँखोंवाला दोनों बराबर होते है? या बराबर होते हो अँधरे और प्रकाश? या जिनको अल्लाह का सहभागी ठहराया है, उन्होंने भी कुछ पैदा किया है, जैसा कि उसने पैदा किया है, जिसके कारण सृष्टि का मामला इनके लिए गडुमडु हो गया है?" कहो, "हर चीज़ को पैदा करनेवाला अल्लाह है और वह अकेला है, सब पर प्रभावी!" |
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1724 | 13 | 17 | أنزل من السماء ماء فسالت أودية بقدرها فاحتمل السيل زبدا رابيا ومما يوقدون عليه في النار ابتغاء حلية أو متاع زبد مثله كذلك يضرب الله الحق والباطل فأما الزبد فيذهب جفاء وأما ما ينفع الناس فيمكث في الأرض كذلك يضرب الله الأمثال |
| | | उसने आकाश से पानी उतारा तो नदी-नाले अपनी-अपनी समाई के अनुसार बह निकले। फिर पानी के बहाव ने उभरे हुए झाग को उठा लिया और उसमें से भी, जिसे वे ज़ेवर या दूसरे सामान बनाने के लिए आग में तपाते हैं, ऐसा ही झाग उठता है। इस प्रकार अल्लाह सत्य और असत्य की मिसाल बयान करता है। फिर जो झाग है वह तो सूखकर नष्ट हो जाता है और जो कुछ लोगों को लाभ पहुँचानेवाला होता है, वह धरती में ठहर जाता है। इसी प्रकार अल्लाह दृष्टांत प्रस्तुत करता है |
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1725 | 13 | 18 | للذين استجابوا لربهم الحسنى والذين لم يستجيبوا له لو أن لهم ما في الأرض جميعا ومثله معه لافتدوا به أولئك لهم سوء الحساب ومأواهم جهنم وبئس المهاد |
| | | जिन लोगों ने अपने रब का आमंत्रण स्वीकार कर लिया, उनके लिए अच्छा पुरस्कार है। रहे वे लोग जिन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया यदि उनके पास वह सब कुछ हो जो धरती में हैं, बल्कि उसके साथ उतना और भी हो तो अपनी मुक्ति के लिए वे सब दे डालें। वही हैं, जिनका बुरा हिसाब होगा। उनका ठिकाना जहन्नम है और वह अत्यन्त बुरा विश्राम-स्थल है |
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1726 | 13 | 19 | أفمن يعلم أنما أنزل إليك من ربك الحق كمن هو أعمى إنما يتذكر أولو الألباب |
| | | भला वह व्यक्ति जो जानता है कि जो कुछ तुम पर उतरा है तुम्हारे रब की ओर से सत्य है, कभी उस जैसा हो सकता है जो अंधा है? परन्तु समझते तो वही है जो बुद्धि और समझ रखते है, |
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1727 | 13 | 20 | الذين يوفون بعهد الله ولا ينقضون الميثاق |
| | | जो अल्लाह के साथ की हुई प्रतिज्ञा को पूरा करते है औऱ अभिवचन को तोड़ते नहीं, |
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1728 | 13 | 21 | والذين يصلون ما أمر الله به أن يوصل ويخشون ربهم ويخافون سوء الحساب |
| | | और जो ऐसे हैं कि अल्लाह नॆ जिसे जोड़ने का आदेश दिया है उसे जोड़ते हैं और अपनॆ रब से डरते रहते हैं और बुरॆ हिसाब का उन्हॆं डर लगा रहता है |
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1729 | 13 | 22 | والذين صبروا ابتغاء وجه ربهم وأقاموا الصلاة وأنفقوا مما رزقناهم سرا وعلانية ويدرءون بالحسنة السيئة أولئك لهم عقبى الدار |
| | | और जिन लोगों ने अपने रब की प्रसन्नता की चाह में धैर्य से काम लिया और नमाज़ क़ायम की और जो कुछ हमने उन्हें दिया है, उसमें से खुले और छिपे ख़र्च किया, और भलाई के द्वारा बुराई को दूर करते है। वही लोग है जिनके लिए आख़िरत के घर का अच्छा परिणाम है, |
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1730 | 13 | 23 | جنات عدن يدخلونها ومن صلح من آبائهم وأزواجهم وذرياتهم والملائكة يدخلون عليهم من كل باب |
| | | अर्थात सदैव रहने के बाग़ है जिनमें वे प्रवेश करेंगे और उनके बाप-दादा और उनकी पत्नियों और उनकी सन्तानों में से जो नेक होंगे वे भी और हर दरवाज़े से फ़रिश्ते उनके पास पहुँचेंगे |
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