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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1708 | 13 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم المر تلك آيات الكتاب والذي أنزل إليك من ربك الحق ولكن أكثر الناس لا يؤمنون |
| | | अलिफ़ लाम मीम रा ये किताब (क़ुरान) की आयतें है और तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से जो कुछ तुम्हारे पास नाज़िल किया गया है बिल्कुल ठीक है मगर बहुतेरे लोग ईमान नहीं लाते |
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1709 | 13 | 2 | الله الذي رفع السماوات بغير عمد ترونها ثم استوى على العرش وسخر الشمس والقمر كل يجري لأجل مسمى يدبر الأمر يفصل الآيات لعلكم بلقاء ربكم توقنون |
| | | ख़ुदा वही तो है जिसने आसमानों को जिन्हें तुम देखते हो बग़ैर सुतून (खम्बों) के उठाकर खड़ा कर दिया फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ और सूरज और चाँद को (अपना) ताबेदार बनाया कि हर एक वक्त मुक़र्ररा तक चला करते है वही (दुनिया के) हर एक काम का इन्तेज़ाम करता है और इसी ग़रज़ से कि तुम लोग अपने परवरदिगार के सामने हाज़िर होने का यक़ीन करो |
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1710 | 13 | 3 | وهو الذي مد الأرض وجعل فيها رواسي وأنهارا ومن كل الثمرات جعل فيها زوجين اثنين يغشي الليل النهار إن في ذلك لآيات لقوم يتفكرون |
| | | (अपनी) आयतें तफसीलदार बयान करता है और वह वही है जिसने ज़मीन को बिछाया और उसमें (बड़े बड़े) अटल पहाड़ और दरिया बनाए और उसने हर तरह के मेवों की दो दो किस्में पैदा की (जैसे खट्टे मीठे) वही रात (के परदे) से दिन को ढाक देता है इसमें शक़ नहीं कि जो लोग और ग़ौर व फिक्र करते हैं उनके लिए इसमें (कुदरत खुदा की) बहुतेरी निशानियाँ हैं |
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1711 | 13 | 4 | وفي الأرض قطع متجاورات وجنات من أعناب وزرع ونخيل صنوان وغير صنوان يسقى بماء واحد ونفضل بعضها على بعض في الأكل إن في ذلك لآيات لقوم يعقلون |
| | | और खुरमों (खजूर) के दरख्त की एक जड़ और दो याखें और बाज़ अकेला (एक ही याख़ का) हालॉकि सब एक ही पानी से सीचे जाते हैं और फलों में बाज़ को बाज़ पर हम तरजीह देते हैं बेशक जो लोग अक़ल वाले हैं उनके लिए इसमें (कुदरत खुदा की) बहुतेरी निशानियाँ हैं |
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1712 | 13 | 5 | وإن تعجب فعجب قولهم أإذا كنا ترابا أإنا لفي خلق جديد أولئك الذين كفروا بربهم وأولئك الأغلال في أعناقهم وأولئك أصحاب النار هم فيها خالدون |
| | | और अगर तुम्हें (किसी बात पर) ताज्जुब होता है तो उन कुफ्फारों को ये क़ौल ताज्जुब की बात है कि जब हम (सड़गल कर) मिट्टी हो जाएंगें तो क्या हम (फिर दोबारा) एक नई जहन्नुम में आंऎंगें ये वही लोग हैं जिन्होंने अपने परवरदिगार के साथ कुफ्र किया और यही वह लोग हैं जिनकी गर्दनों में (क़यामत के दिन) तौक़ पड़े होगें और यही लोग जहन्नुमी हैं कि ये इसमें हमेशा रहेगें |
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1713 | 13 | 6 | ويستعجلونك بالسيئة قبل الحسنة وقد خلت من قبلهم المثلات وإن ربك لذو مغفرة للناس على ظلمهم وإن ربك لشديد العقاب |
| | | और (ऐ रसूल) ये लोग तुम से भलाई के क़ब्ल ही बुराई (अज़ाब) की जल्दी मचा रहे हैं हालॉकि उनके पहले (बहुत से लोगों की) सज़ाएं हो चुकी हैं और इसमें शक़ नहीं की तुम्हारा परवरदिगार बावजूद उनकी शरारत के लोगों पर बड़ा बख़शिश (करम) वाला है और इसमें भी शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन सख्त अज़ाब वाला है |
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1714 | 13 | 7 | ويقول الذين كفروا لولا أنزل عليه آية من ربه إنما أنت منذر ولكل قوم هاد |
| | | और वो लोग काफिर हैं कहते हैं कि इस शख़्श (मोहम्मद) पर उसके परवरदिगार की तरफ से कोई निशानी (हमारी मर्ज़ी के मुताबिक़) क्यों नहीं नाज़िल की जाती ऐ रसूल तुम तो सिर्फ (ख़ौफे ख़ुदा से) डराने वाले हो |
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1715 | 13 | 8 | الله يعلم ما تحمل كل أنثى وما تغيض الأرحام وما تزداد وكل شيء عنده بمقدار |
| | | और हर क़ौम के लिए एक हिदायत करने वाला है हर मादा जो कि पेट में लिए हुए है और उसको ख़ुदा ही जानता है व बच्चा दानियों का घटना बढ़ना (भी वही जानता है) और हर चीज़ उसके नज़दीक़ एक अन्दाजे से है |
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1716 | 13 | 9 | عالم الغيب والشهادة الكبير المتعال |
| | | (वही) बातिन (छुपे हुवे) व ज़ाहिर का जानने वाला (सब से) बड़ा और आलीशान है |
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1717 | 13 | 10 | سواء منكم من أسر القول ومن جهر به ومن هو مستخف بالليل وسارب بالنهار |
| | | तुम लोगों में जो कोई चुपके से बात कहे और जो शख़्श ज़ोर से पुकार के बोले और जो शख़्श रात की तारीक़ी (अंधेरे) में छुपा बैठा हो और जो शख़्श दिन दहाडें चला जा रहा हो |
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