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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1700 | 12 | 104 | وما تسألهم عليه من أجر إن هو إلا ذكر للعالمين |
| | | तुम उनसे इसका कोई बदला भी नहीं माँगते। यह तो सारे संसार के लिए बस एक अनुस्मरण है |
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1701 | 12 | 105 | وكأين من آية في السماوات والأرض يمرون عليها وهم عنها معرضون |
| | | आकाशों और धरती में कितनी ही निशानियाँ हैं, जिनपर से वे इस तरह गुज़र जाते है कि उनकी ओर वे ध्यान ही नहीं देते |
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1702 | 12 | 106 | وما يؤمن أكثرهم بالله إلا وهم مشركون |
| | | इनमें अधिकतर लोग अल्लाह को मानते भी है तो इस तरह कि वे साझी भी ठहराते है |
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1703 | 12 | 107 | أفأمنوا أن تأتيهم غاشية من عذاب الله أو تأتيهم الساعة بغتة وهم لا يشعرون |
| | | क्या वे इस बात से निश्चिन्त है कि अल्लाह की कोई यातना उन्हें ढँक ले या सहसा वह घड़ी ही उनपर आ जाए, जबकि वे बिलकुल बेख़बर हों? |
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1704 | 12 | 108 | قل هذه سبيلي أدعو إلى الله على بصيرة أنا ومن اتبعني وسبحان الله وما أنا من المشركين |
| | | कह दो, "यही मेरा मार्ग है। मैं अल्लाह की ओर बुलाता हूँ। मैं स्वयं भी पूर्ण प्रकाश में हूँ और मेरे अनुयायी भी - महिमावान है अल्लाह! ृृ- और मैं कदापि बहुदेववादी नहीं।" |
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1705 | 12 | 109 | وما أرسلنا من قبلك إلا رجالا نوحي إليهم من أهل القرى أفلم يسيروا في الأرض فينظروا كيف كان عاقبة الذين من قبلهم ولدار الآخرة خير للذين اتقوا أفلا تعقلون |
| | | तुमसे पहले भी हमने जिनको रसूल बनाकर भेजा, वे सब बस्तियों के रहनेवाले पुरुष ही थे। हम उनकी ओर प्रकाशना करते रहे - फिर क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उनका कैसा परिणाम हुआ, जो उनसे पहले गुज़रे है? निश्चय ही आख़िरत का घर ही डर रखनेवालों के लिए सर्वोत्तम है। तो क्या तुम समझते नहीं? - |
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1706 | 12 | 110 | حتى إذا استيأس الرسل وظنوا أنهم قد كذبوا جاءهم نصرنا فنجي من نشاء ولا يرد بأسنا عن القوم المجرمين |
| | | यहाँ तक कि जब वे रसूल निराश होने लगे और वे समझने लगे कि उनसे झूठ कहा गया था कि सहसा उन्हें हमारी सहायता पहुँच गई। फिर हमने जिसे चाहा बचा लिया। किन्तु अपराधी लोगों पर से तो हमारी यातना टलती ही नहीं |
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1707 | 12 | 111 | لقد كان في قصصهم عبرة لأولي الألباب ما كان حديثا يفترى ولكن تصديق الذي بين يديه وتفصيل كل شيء وهدى ورحمة لقوم يؤمنون |
| | | निश्चय ही उनकी कथाओं में बुद्धि और समझ रखनेवालों के लिए एक शिक्षाप्रद सामग्री है। यह कोई घड़ी हुई बात नहीं है, बल्कि यह अपने से पूर्व की पुष्टि में है, और हर चीज़ का विस्तार और ईमान लानेवाले लोगों के लिए मार्ग-दर्शन और दयालुता है |
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1708 | 13 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم المر تلك آيات الكتاب والذي أنزل إليك من ربك الحق ولكن أكثر الناس لا يؤمنون |
| | | अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰ रा॰। ये किताब की आयतें है औऱ जो कुछ तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी ओर अवतरित हुआ है, वह सत्य है, किन्तु अधिकतर लोग मान नहीं रहे है |
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1709 | 13 | 2 | الله الذي رفع السماوات بغير عمد ترونها ثم استوى على العرش وسخر الشمس والقمر كل يجري لأجل مسمى يدبر الأمر يفصل الآيات لعلكم بلقاء ربكم توقنون |
| | | अल्लाह वह है जिसने आकाशों को बिना सहारे के ऊँचा बनाया जैसा कि तुम उन्हें देखते हो। फिर वह सिंहासन पर आसीन हुआ। उसने सूर्य और चन्द्रमा को काम पर लगाया। हरेक एक नियत समय तक के लिए चला जा रहा है। वह सारे काम का विधान कर रहा है; वह निशानियाँ खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम्हें अपने रब से मिलने का विश्वास हो |
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