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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1698 | 12 | 102 | ذلك من أنباء الغيب نوحيه إليك وما كنت لديهم إذ أجمعوا أمرهم وهم يمكرون |
| | | (ऐ रसूल) ये किस्सा ग़ैब की ख़बरों में से है जिसे हम तुम्हारे पास वही के ज़रिए भेजते हैं (और तुम्हें मालूम होता है वरना जिस वक्त यूसुफ के भाई बाहम अपने काम का मशवरा कर रहे थे और (हलाक की) तदबीरे कर रहे थे |
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1699 | 12 | 103 | وما أكثر الناس ولو حرصت بمؤمنين |
| | | तुम उनके पास मौजूद न थे और कितने ही चाहो मगर बहुतेरे लोग ईमान लाने वाले नहीं हैं |
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1700 | 12 | 104 | وما تسألهم عليه من أجر إن هو إلا ذكر للعالمين |
| | | हालॉकि तुम उनसे (तबलीगे रिसालत का) कोई सिला नहीं मॉगते और ये (क़ुरान) तो सारे जहाँन के वास्ते नसीहत (ही नसीहत) है |
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1701 | 12 | 105 | وكأين من آية في السماوات والأرض يمرون عليها وهم عنها معرضون |
| | | और आसमानों और ज़मीन में (ख़ुदा की क़ुदरत की) कितनी निशानियाँ हैं जिन पर ये लोग (दिन रात) ग़ुज़ारा करते हैं और उससे मुँह फेरे रहते हैं |
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1702 | 12 | 106 | وما يؤمن أكثرهم بالله إلا وهم مشركون |
| | | और अक्सर लोगों की ये हालत है कि वह ख़ुदा पर ईमान तो नहीं लाते मगर शिर्क किए जाते हैं |
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1703 | 12 | 107 | أفأمنوا أن تأتيهم غاشية من عذاب الله أو تأتيهم الساعة بغتة وهم لا يشعرون |
| | | तो क्या ये लोग इस बात से मुतमइन हो बैठें हैं कि उन पर ख़ुदा का अज़ाब आ पड़े जो उन पर छा जाए या उन पर अचानक क़यामत ही आ जाए और उनको कुछ ख़बर भी न हो |
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1704 | 12 | 108 | قل هذه سبيلي أدعو إلى الله على بصيرة أنا ومن اتبعني وسبحان الله وما أنا من المشركين |
| | | (ऐ रसूल) उन से कह दो कि मेरा तरीका तो ये है कि मै (लोगों) को ख़ुदा की तरफ बुलाता हूँ मैं और मेरा पैरव (पीछे चलने वाले) (दोनों) मज़बूत दलील पर हैं और ख़ुदा (हर ऐब व नुक़स से) पाक व पाकीज़ा है और मै मुशरेकीन से नहीं हूँ |
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1705 | 12 | 109 | وما أرسلنا من قبلك إلا رجالا نوحي إليهم من أهل القرى أفلم يسيروا في الأرض فينظروا كيف كان عاقبة الذين من قبلهم ولدار الآخرة خير للذين اتقوا أفلا تعقلون |
| | | और (ऐ रसूल) तुमसे पहले भी हम गाँव ही के रहने वाले कुछ मर्दों को (पैग़म्बर बनाकर) भेजा किए है कि हम उन पर वही नाज़िल करते थे तो क्या ये लोग रुए ज़मीन पर चले फिरे नहीं कि ग़ौर करते कि जो लोग उनसे पहले हो गुज़रे हैं उनका अन्जाम क्या हुआ और जिन लोगों ने परहेज़गारी एख्तेयार की उनके लिए आख़िरत का घर (दुनिया से) यक़ीनन कहीं ज्यादा बेहतर है क्या ये लोग नहीं समझते |
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1706 | 12 | 110 | حتى إذا استيأس الرسل وظنوا أنهم قد كذبوا جاءهم نصرنا فنجي من نشاء ولا يرد بأسنا عن القوم المجرمين |
| | | पहले के पैग़म्बरो ने तबलीग़े रिसालत यहाँ वक कि जब (क़ौम के ईमान लाने से) पैग़म्बर मायूस हो गए और उन लोगों ने समझ लिया कि वह झुठलाए गए तो उनके पास हमारी (ख़ास) मदद आ पहुँची तो जिसे हमने चाहा नजात दी और हमारा अज़ाब गुनेहगार लोगों के सर से तो टाला नहीं जाता |
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1707 | 12 | 111 | لقد كان في قصصهم عبرة لأولي الألباب ما كان حديثا يفترى ولكن تصديق الذي بين يديه وتفصيل كل شيء وهدى ورحمة لقوم يؤمنون |
| | | इसमें शक़ नहीं कि उन लोगों के किस्सों में अक़लमन्दों के वास्ते (अच्छी ख़ासी) इबरत (व नसीहत) है ये (क़ुरान) कोई ऐसी बात नहीं है जो (ख्वाहामा ख्वाह) गढ़ ली जाए बल्कि (जो आसमानी किताबें) इसके पहले से मौजूद हैं उनकी तसदीक़ है और हर चीज़ की तफसील और ईमानदारों के वास्ते (अज़सरतापा) हिदायत व रहमत है |
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