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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1663 | 12 | 67 | وقال يا بني لا تدخلوا من باب واحد وادخلوا من أبواب متفرقة وما أغني عنكم من الله من شيء إن الحكم إلا لله عليه توكلت وعليه فليتوكل المتوكلون |
| | | उसने यह भी कहा, "ऐ मेरे बेटो! एक द्वार से प्रवेश न करना, बल्कि विभिन्न द्वारों से प्रवेश करना यद्यपि मैं अल्लाह के मुक़ाबले में तुम्हारे काम नहीं आ सकता आदेश तो बस अल्लाह ही का चलता है। उसी पर मैंने भरोसा किया और भरोसा करनेवालों को उसी पर भरोसा करना चाहिए।" |
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1664 | 12 | 68 | ولما دخلوا من حيث أمرهم أبوهم ما كان يغني عنهم من الله من شيء إلا حاجة في نفس يعقوب قضاها وإنه لذو علم لما علمناه ولكن أكثر الناس لا يعلمون |
| | | और जब उन्होंने प्रवेश किया जिस तरह से उनके बाप ने उन्हें आदेश दिया था - अल्लाह की ओर से होनेवाली किसी चीज़ को वह उनसे हटा नहीं सकता था। बस याक़ूब के जी की एक इच्छा थी, जो उसने पूरी कर ली। और निस्संदेह वह ज्ञानवान था, क्योंकि हमने उसे ज्ञान प्रदान किया था; किन्तु अधिकतर लोग जानते नहीं - |
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1665 | 12 | 69 | ولما دخلوا على يوسف آوى إليه أخاه قال إني أنا أخوك فلا تبتئس بما كانوا يعملون |
| | | और जब उन्होंने यूसुफ़ के यहाँ प्रवेश किया तो उसने अपने भाई को अपने पास जगह दी और कहा, "मैं तेरा भाई हूँ। जो कुछ ये करते रहे हैं, अब तू उसपर दुखी न हो।" |
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1666 | 12 | 70 | فلما جهزهم بجهازهم جعل السقاية في رحل أخيه ثم أذن مؤذن أيتها العير إنكم لسارقون |
| | | फिर जब उनका सामान तैयार कर दिया तो अपने भाई के सामान में पानी पीने का प्याला रख दिया। फिर एक पुकारनेवाले ने पुकारकर कहा, "ऐ क़ाफ़िलेवालो! निश्चय ही तुम चोर हो।" |
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1667 | 12 | 71 | قالوا وأقبلوا عليهم ماذا تفقدون |
| | | वे उनकी ओर रुख़ करते हुए बोले, "तुम्हारी क्या चीज़ खो गई है?" |
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1668 | 12 | 72 | قالوا نفقد صواع الملك ولمن جاء به حمل بعير وأنا به زعيم |
| | | उन्होंने कहा, "शाही पैमाना हमें नहीं मिल रहा है। जो व्यक्ति उसे ला दे उसको एक ऊँट का बोझभर ग़ल्ला इनाम मिलेगा। मैं इसकी ज़िम्मेदारी लेता हूँ।" |
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1669 | 12 | 73 | قالوا تالله لقد علمتم ما جئنا لنفسد في الأرض وما كنا سارقين |
| | | वे कहने लगे, "अल्लाह की क़सम! तुम लोग जानते ही हो कि हम इस भू-भाग में बिगाड़ पैदा करने नहीं आए है और न हम चोर है।" |
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1670 | 12 | 74 | قالوا فما جزاؤه إن كنتم كاذبين |
| | | उन्होंने कहा, "यदि तुम झूठे सिद्ध हुए तो फिर उसका दंड क्या है?" |
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1671 | 12 | 75 | قالوا جزاؤه من وجد في رحله فهو جزاؤه كذلك نجزي الظالمين |
| | | वे बोले, "उसका दंड यह है कि जिसके सामान में वह मिले वही उसका बदला ठहराया जाए। हम अत्याचारियों को ऐसा ही दंड देते है।" |
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1672 | 12 | 76 | فبدأ بأوعيتهم قبل وعاء أخيه ثم استخرجها من وعاء أخيه كذلك كدنا ليوسف ما كان ليأخذ أخاه في دين الملك إلا أن يشاء الله نرفع درجات من نشاء وفوق كل ذي علم عليم |
| | | फिर उसके भाई की खुरजी से पहले उनकी ख़ुरजियाँ देखनी शुरू की; फिर उसके भाई की ख़ुरजी से उसे बरामद कर लिया। इस प्रकार हमने यूसुफ़ का उपाय किया। वह शाही क़ानून के अनुसार अपने भाई को प्राप्त नहीं कर सकता था। बल्कि अल्लाह ही की इच्छा लागू है। हम जिसको चाहे उसके दर्जे ऊँचे कर दें। और प्रत्येक ज्ञानवान से ऊपर एक ज्ञानवान मौजूद है |
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