بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
16631267وقال يا بني لا تدخلوا من باب واحد وادخلوا من أبواب متفرقة وما أغني عنكم من الله من شيء إن الحكم إلا لله عليه توكلت وعليه فليتوكل المتوكلون
उसने यह भी कहा, "ऐ मेरे बेटो! एक द्वार से प्रवेश न करना, बल्कि विभिन्न द्वारों से प्रवेश करना यद्यपि मैं अल्लाह के मुक़ाबले में तुम्हारे काम नहीं आ सकता आदेश तो बस अल्लाह ही का चलता है। उसी पर मैंने भरोसा किया और भरोसा करनेवालों को उसी पर भरोसा करना चाहिए।"
16641268ولما دخلوا من حيث أمرهم أبوهم ما كان يغني عنهم من الله من شيء إلا حاجة في نفس يعقوب قضاها وإنه لذو علم لما علمناه ولكن أكثر الناس لا يعلمون
और जब उन्होंने प्रवेश किया जिस तरह से उनके बाप ने उन्हें आदेश दिया था - अल्लाह की ओर से होनेवाली किसी चीज़ को वह उनसे हटा नहीं सकता था। बस याक़ूब के जी की एक इच्छा थी, जो उसने पूरी कर ली। और निस्संदेह वह ज्ञानवान था, क्योंकि हमने उसे ज्ञान प्रदान किया था; किन्तु अधिकतर लोग जानते नहीं -
16651269ولما دخلوا على يوسف آوى إليه أخاه قال إني أنا أخوك فلا تبتئس بما كانوا يعملون
और जब उन्होंने यूसुफ़ के यहाँ प्रवेश किया तो उसने अपने भाई को अपने पास जगह दी और कहा, "मैं तेरा भाई हूँ। जो कुछ ये करते रहे हैं, अब तू उसपर दुखी न हो।"
16661270فلما جهزهم بجهازهم جعل السقاية في رحل أخيه ثم أذن مؤذن أيتها العير إنكم لسارقون
फिर जब उनका सामान तैयार कर दिया तो अपने भाई के सामान में पानी पीने का प्याला रख दिया। फिर एक पुकारनेवाले ने पुकारकर कहा, "ऐ क़ाफ़िलेवालो! निश्चय ही तुम चोर हो।"
16671271قالوا وأقبلوا عليهم ماذا تفقدون
वे उनकी ओर रुख़ करते हुए बोले, "तुम्हारी क्या चीज़ खो गई है?"
16681272قالوا نفقد صواع الملك ولمن جاء به حمل بعير وأنا به زعيم
उन्होंने कहा, "शाही पैमाना हमें नहीं मिल रहा है। जो व्यक्ति उसे ला दे उसको एक ऊँट का बोझभर ग़ल्ला इनाम मिलेगा। मैं इसकी ज़िम्मेदारी लेता हूँ।"
16691273قالوا تالله لقد علمتم ما جئنا لنفسد في الأرض وما كنا سارقين
वे कहने लगे, "अल्लाह की क़सम! तुम लोग जानते ही हो कि हम इस भू-भाग में बिगाड़ पैदा करने नहीं आए है और न हम चोर है।"
16701274قالوا فما جزاؤه إن كنتم كاذبين
उन्होंने कहा, "यदि तुम झूठे सिद्ध हुए तो फिर उसका दंड क्या है?"
16711275قالوا جزاؤه من وجد في رحله فهو جزاؤه كذلك نجزي الظالمين
वे बोले, "उसका दंड यह है कि जिसके सामान में वह मिले वही उसका बदला ठहराया जाए। हम अत्याचारियों को ऐसा ही दंड देते है।"
16721276فبدأ بأوعيتهم قبل وعاء أخيه ثم استخرجها من وعاء أخيه كذلك كدنا ليوسف ما كان ليأخذ أخاه في دين الملك إلا أن يشاء الله نرفع درجات من نشاء وفوق كل ذي علم عليم
फिर उसके भाई की खुरजी से पहले उनकी ख़ुरजियाँ देखनी शुरू की; फिर उसके भाई की ख़ुरजी से उसे बरामद कर लिया। इस प्रकार हमने यूसुफ़ का उपाय किया। वह शाही क़ानून के अनुसार अपने भाई को प्राप्त नहीं कर सकता था। बल्कि अल्लाह ही की इच्छा लागू है। हम जिसको चाहे उसके दर्जे ऊँचे कर दें। और प्रत्येक ज्ञानवान से ऊपर एक ज्ञानवान मौजूद है


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