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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1658 | 12 | 62 | وقال لفتيانه اجعلوا بضاعتهم في رحالهم لعلهم يعرفونها إذا انقلبوا إلى أهلهم لعلهم يرجعون |
| | | और हम ज़रुर इस काम को पूरा करेंगें और यूसुफ ने अपने मुलाज़िमों (नौकरों) को हुक्म दिया कि उनकी (जमा) पूंजी उनके बोरो में (चूपके से) रख दो ताकि जब ये लोग अपने एहलो (अयाल) के पास लौट कर जाएं तो अपनी पूंजी को पहचान ले |
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1659 | 12 | 63 | فلما رجعوا إلى أبيهم قالوا يا أبانا منع منا الكيل فأرسل معنا أخانا نكتل وإنا له لحافظون |
| | | (और इस लालच में) यायद फिर पलट के आएं ग़रज़ जब ये लोग अपने वालिद के पास पलट के आए तो सब ने मिलकर अर्ज़ की ऐ अब्बा हमें (आइन्दा) गल्ले मिलने की मुमानिअत (मना) कर दी गई है तो आप हमारे साथ हमारे भाई (बिन यामीन) को भेज दीजिए |
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1660 | 12 | 64 | قال هل آمنكم عليه إلا كما أمنتكم على أخيه من قبل فالله خير حافظا وهو أرحم الراحمين |
| | | ताकि हम (फिर) गल्ला लाए और हम उसकी पूरी हिफाज़त करेगें याक़ूब ने कहा मै उसके बारे में तुम्हारा ऐतबार नहीं करता मगर वैसा ही जैसा कि उससे पहले उसके मांजाए (भाई) के बारे में किया था तो ख़ुद उसका सबसे बेहतर हिफाज़त करने वाला है और वही सब से ज्यादा रहम करने वाला है |
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1661 | 12 | 65 | ولما فتحوا متاعهم وجدوا بضاعتهم ردت إليهم قالوا يا أبانا ما نبغي هذه بضاعتنا ردت إلينا ونمير أهلنا ونحفظ أخانا ونزداد كيل بعير ذلك كيل يسير |
| | | और जब उन लोगों ने अपने अपने असबाब खोले तो अपनी अपनी पूंजी को देखा कि (वैसे ही) वापस कर दी गई है तो (अपने बाप से) कहने लगे ऐ अब्बा हमें (और) क्या चाहिए (देखिए) यह हमारी जमा पूंजी हमें वापस दे दी गयी है और (ग़ल्ला मुफ्त मिला अब इब्ने यामीन को जाने दीजिए तो) हम अपने एहलो अयाल के वास्ते ग़ल्ला लादें और अपने भाई की पूरी हिफाज़त करेगें और एक बार यतर ग़ल्ला और बढ़वा लाएंगें |
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1662 | 12 | 66 | قال لن أرسله معكم حتى تؤتون موثقا من الله لتأتنني به إلا أن يحاط بكم فلما آتوه موثقهم قال الله على ما نقول وكيل |
| | | ये जो अबकी दफा लाए थे थोड़ा सा ग़ल्ला है याकूब ने कहा जब तक तुम लोग मेरे सामने खुदा से एहद न कर लोगे कि तुम उसको ज़रुर मुझ तक (सही व सालिम) ले आओगे मगर हाँ जब तुम खुद घिर जाओ तो मजबूरी है वरना मै तुम्हारे साथ हरगिज़ उसको न भेजूंगा फिर जब उन लोगों ने उनके सामने एहद कर लिया तो याक़ूब ने कहा कि हम लोग जो कह रहे हैं ख़ुदा उसका ज़ामिन है |
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1663 | 12 | 67 | وقال يا بني لا تدخلوا من باب واحد وادخلوا من أبواب متفرقة وما أغني عنكم من الله من شيء إن الحكم إلا لله عليه توكلت وعليه فليتوكل المتوكلون |
| | | और याक़ूब ने (नसीहतन चलते वक्त बेटो से) कहा ऐ फरज़न्दों (देखो ख़बरदार) सब के सब एक ही दरवाजे से न दाख़िल होना (कि कहीं नज़र न लग जाए) और मुताफरिक़ (अलग अलग) दरवाज़ों से दाख़िल होना और मै तुमसे (उस बात को जो) ख़ुदा की तरफ से (आए) कुछ टाल भी नहीं सकता हुक्म तो (और असली) ख़ुदा ही के वास्ते है मैने उसी पर भरोसा किया है और भरोसा करने वालों को उसी पर भरोसा करना चाहिए |
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1664 | 12 | 68 | ولما دخلوا من حيث أمرهم أبوهم ما كان يغني عنهم من الله من شيء إلا حاجة في نفس يعقوب قضاها وإنه لذو علم لما علمناه ولكن أكثر الناس لا يعلمون |
| | | और जब ये सब भाई जिस तरह उनके वालिद ने हुक्म दिया था उसी तरह (मिस्र में) दाख़िल हुए मगर जो हुक्म ख़ुदा की तरफ से आने को था उसे याक़ूब कुछ भी टाल नहीं सकते थे मगर (हाँ) याक़ूब के दिल में एक तमन्ना थी जिसे उन्होंने भी युं पूरा कर लिया क्योंकि इसमे तो शक़ नहीं कि उसे चूंकि हमने तालीम दी थी साहिबे इल्म ज़रुर था मगर बहुतेरे लोग (उससे भी) वाक़िफ नहीं |
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1665 | 12 | 69 | ولما دخلوا على يوسف آوى إليه أخاه قال إني أنا أخوك فلا تبتئس بما كانوا يعملون |
| | | और जब ये लोग यूसुफ के पास पहुँचे तो यूसुफ ने अपने हक़ीक़ी (सगे) भाई को अपने पास (बग़ल में) जगह दी और (चुपके से) उस (इब्ने यामीन) से कह दिया कि मै तुम्हारा भाई (यूसुफ) हूँ तो जो कुछ (बदसुलूकियाँ) ये लोग तुम्हारे साथ करते रहे हैं उसका रंज न करो |
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1666 | 12 | 70 | فلما جهزهم بجهازهم جعل السقاية في رحل أخيه ثم أذن مؤذن أيتها العير إنكم لسارقون |
| | | फिर जब यूसुफ ने उन का साज़ो सामान सफर ग़ल्ला (वग़ैरह) दुरुस्त करा दिया तो अपने भाई के असबाब में पानी पीने का कटोरा (यूसुफ के इशारे) से रखवा दिया फिर एक मुनादी ललकार के बोला कि ऐ क़ाफ़िले वालों (हो न हो) यक़ीनन तुम्ही लोग ज़रुर चोर हो |
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1667 | 12 | 71 | قالوا وأقبلوا عليهم ماذا تفقدون |
| | | ये सुन कर ये लोग पुकारने वालों की तरफ भिड़ पड़े और कहने लगे (आख़िर) तुम्हारी क्या चीज़ गुम हो गई है |
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