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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1649 | 12 | 53 | وما أبرئ نفسي إن النفس لأمارة بالسوء إلا ما رحم ربي إن ربي غفور رحيم |
| | | और (यूं तो) मै भी अपने नफ्स को गुनाहो से बे लौस नहीं कहता हूँ क्योंकि (मैं भी बशर हूँ और नफ्स बराबर बुराई की तरफ उभारता ही है मगर जिस पर मेरा परवरदिगार रहम फरमाए (और गुनाह से बचाए) |
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1650 | 12 | 54 | وقال الملك ائتوني به أستخلصه لنفسي فلما كلمه قال إنك اليوم لدينا مكين أمين |
| | | इसमें शक़ नहीं कि मेरा परवरदिगार बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है और बादशाह ने हुक्म दिया कि यूसुफ को मेरे पास ले आओ तो मैं उनको अपने ज़ाती काम के लिए ख़ास कर लूंगा फिर उसने यूसुफ से बातें की तो यूसुफ की आला क़ाबलियत साबित हुई (और) उसने हुक्म दिया कि तुम आज (से) हमारे सरकार में यक़ीन बावक़ार (और) मुअतबर हो |
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1651 | 12 | 55 | قال اجعلني على خزائن الأرض إني حفيظ عليم |
| | | यूसुफ ने कहा (जब अपने मेरी क़दर की है तो) मुझे मुल्की ख़ज़ानों पर मुक़र्रर कीजिए क्योंकि मैं (उसका) अमानतदार ख़ज़ान्ची (और) उसके हिसाब व किताब से भी वाक़िफ हूँ |
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1652 | 12 | 56 | وكذلك مكنا ليوسف في الأرض يتبوأ منها حيث يشاء نصيب برحمتنا من نشاء ولا نضيع أجر المحسنين |
| | | (ग़रज़ यूसुफ शाही ख़ज़ानो के अफसर मुक़र्रर हुए) और हमने यूसुफ को युं मुल्क (मिस्र) पर क़ाबिज़ बना दिया कि उसमें जहाँ चाहें रहें हम जिस पर चाहते हैं अपना फज़ल करते हैं और हमने नेको कारो के अज्र को अकारत नहीं करते |
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1653 | 12 | 57 | ولأجر الآخرة خير للذين آمنوا وكانوا يتقون |
| | | और जो लोग ईमान लाए और परहेज़गारी करते रहे उनके लिए आख़िरत का अज्र उसी से कही बेहतर है |
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1654 | 12 | 58 | وجاء إخوة يوسف فدخلوا عليه فعرفهم وهم له منكرون |
| | | (और चूंकि कनआन में भी कहत (सूखा) था इस वजह से) यूसुफ के (सौतेले भाई ग़ल्ला ख़रीदने को मिस्र में) आए और यूसुफ के पास गए तो उनको फौरन ही पहचान लिया और वह लोग उनको न पहचान सके |
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1655 | 12 | 59 | ولما جهزهم بجهازهم قال ائتوني بأخ لكم من أبيكم ألا ترون أني أوفي الكيل وأنا خير المنزلين |
| | | और जब यूसुफ ने उनके (ग़ल्ले का) सामान दुरूस्त कर दिया और वह जाने लगे तो यूसुफ़ ने (उनसे कहा) कि (अबकी आना तो) अपने सौतेले भाई को (जिसे घर छोड़ आए हो) मेरे पास लेते आना क्या तुम नहीं देखते कि मै यक़ीनन नाप भी पूरी देता हूं और बहुत अच्छा मेहमान नवाज़ भी हूँ |
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1656 | 12 | 60 | فإن لم تأتوني به فلا كيل لكم عندي ولا تقربون |
| | | पस अगर तुम उसको मेरे पास न लाओगे तो तुम्हारे लिए न मेरे पास कुछ न कुछ (ग़ल्ला वग़ैरह) होगा |
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1657 | 12 | 61 | قالوا سنراود عنه أباه وإنا لفاعلون |
| | | न तुम लोग मेरे क़रीब ही चढ़ने पाओगे वह लोग कहने लगे हम उसके वालिद से उसके बारे में जाते ही दरख्वास्त करेंगे |
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1658 | 12 | 62 | وقال لفتيانه اجعلوا بضاعتهم في رحالهم لعلهم يعرفونها إذا انقلبوا إلى أهلهم لعلهم يرجعون |
| | | और हम ज़रुर इस काम को पूरा करेंगें और यूसुफ ने अपने मुलाज़िमों (नौकरों) को हुक्म दिया कि उनकी (जमा) पूंजी उनके बोरो में (चूपके से) रख दो ताकि जब ये लोग अपने एहलो (अयाल) के पास लौट कर जाएं तो अपनी पूंजी को पहचान ले |
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