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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1634 | 12 | 38 | واتبعت ملة آبائي إبراهيم وإسحاق ويعقوب ما كان لنا أن نشرك بالله من شيء ذلك من فضل الله علينا وعلى الناس ولكن أكثر الناس لا يشكرون |
| | | और मैं तो अपने बाप दादा इबराहीम व इसहाक़ व याक़ूब के मज़हब पर चलने वाला हूँ मुनासिब नहीं कि हम ख़ुदा के साथ किसी चीज़ को (उसका) शरीक बनाएँ ये भी ख़ुदा की एक बड़ी मेहरबानी है हम पर भी और तमाम लोगों पर मगर बहुतेरे लोग उसका शुक्रिया (भी) अदा नहीं करते |
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1635 | 12 | 39 | يا صاحبي السجن أأرباب متفرقون خير أم الله الواحد القهار |
| | | ऐ मेरे कैद ख़ाने के दोनो रफीक़ों (साथियों) (ज़रा ग़ौर तो करो कि) भला जुदा जुदा माबूद अच्छे या ख़ुदाए यकता ज़बरदस्त (अफसोस) |
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1636 | 12 | 40 | ما تعبدون من دونه إلا أسماء سميتموها أنتم وآباؤكم ما أنزل الله بها من سلطان إن الحكم إلا لله أمر ألا تعبدوا إلا إياه ذلك الدين القيم ولكن أكثر الناس لا يعلمون |
| | | तुम लोग तो ख़ुदा को छोड़कर बस उन चन्द नामों ही को परसतिश करते हो जिन को तुमने और तुम्हारे बाप दादाओं ने गढ़ लिया है ख़ुदा ने उनके लिए कोई दलील नहीं नाज़िल की हुकूमत तो बस ख़ुदा ही के वास्ते ख़ास है उसने तो हुक्म दिया है कि उसके सिवा किसी की इबादत न करो यही साीधा दीन है मगर (अफसोस) बहुतेरे लोग नहीं जानते हैं |
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1637 | 12 | 41 | يا صاحبي السجن أما أحدكما فيسقي ربه خمرا وأما الآخر فيصلب فتأكل الطير من رأسه قضي الأمر الذي فيه تستفتيان |
| | | ऐ मेरे क़ैद ख़ाने के दोनो रफीक़ो (अच्छा अब ताबीर सुनो तुममें से एक (जिसने अंगूर देखा रिहा होकर) अपने मालिक को शराब पिलाने का काम करेगा और (दूसरा) जिसने रोटियाँ सर पर (देखी हैं) तो सूली दिया जाएगा और चिड़िया उसके सर से (नोच नोच) कर खाएगी जिस अम्र को तुम दोनों दरयाफ्त करते थे (वह ये है और) फैसला हो चुका है |
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1638 | 12 | 42 | وقال للذي ظن أنه ناج منهما اذكرني عند ربك فأنساه الشيطان ذكر ربه فلبث في السجن بضع سنين |
| | | और उन दोनों में से जिसकी निस्बत यूसुफ ने समझा था वह रिहा हो जाएगा उससे कहा कि अपने मालिक के पास मेरा भी तज़किरा करना (कि मैं बेजुर्म क़ैद हूँ) तो शैतान ने उसे अपने आक़ा से ज़िक्र करना भुला दिया तो यूसुफ क़ैद ख़ाने में कई बरस रहे |
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1639 | 12 | 43 | وقال الملك إني أرى سبع بقرات سمان يأكلهن سبع عجاف وسبع سنبلات خضر وأخر يابسات يا أيها الملأ أفتوني في رؤياي إن كنتم للرؤيا تعبرون |
| | | और (इसी असना (बीच) में) बादशाह ने (भी ख्वाब देखा और) कहा मैने देखा है कि सात मोटी ताज़ी गाए हैं उनको सात दुबली पतली गाय खाए जाती हैं और सात ताज़ी सब्ज़ बालियॉ (देखीं) और फिर (सात) सूखी बालियॉ ऐ (मेरे दरबार के) सरदारों अगर तुम लोगों को ख्वाब की ताबीर देनी आती हो तो मेरे (इस) ख्वाब के बारे में हुक्म लगाओ |
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1640 | 12 | 44 | قالوا أضغاث أحلام وما نحن بتأويل الأحلام بعالمين |
| | | उन लोगों ने अर्ज़ की कि ये तो (कुछ) ख्वाब परेशॉ (सा) है और हम लोग ऐसे ख्वाब (परेशॉ) की ताबीर तो नहीं जानते हैं |
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1641 | 12 | 45 | وقال الذي نجا منهما وادكر بعد أمة أنا أنبئكم بتأويله فأرسلون |
| | | और जिसने उन दोनों में से रिहाई पाई थी (साकी) और उसको एक ज़माने के बाद (यूसुफ का क़िस्सा) याद आया बोल उठा कि मुझे (क़ैद ख़ाने तक) जाने दीजिए तो मैं उसकी ताबीर बताए देता हूँ |
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1642 | 12 | 46 | يوسف أيها الصديق أفتنا في سبع بقرات سمان يأكلهن سبع عجاف وسبع سنبلات خضر وأخر يابسات لعلي أرجع إلى الناس لعلهم يعلمون |
| | | (ग़रज़ वह गया और यूसुफ से कहने लगा) ऐ यूसुफ ऐ बड़े सच्चे (यूसुफ) ज़रा हमें ये तो बताइए कि सात मोटी ताज़ी गायों को सात पतली गाय खाए जाती है और सात बालियॉ हैं हरी कचवा और फिर (सात) सूखी मुरझाई (इसकी ताबीर क्या है) तो मैं लोगों के पास पलट कर जाऊँ (और बयान करुँ) |
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1643 | 12 | 47 | قال تزرعون سبع سنين دأبا فما حصدتم فذروه في سنبله إلا قليلا مما تأكلون |
| | | ताकि उनको भी (तुम्हारी क़दर) मालूम हो जाए यूसुफ ने कहा (इसकी ताबीर ये है) कि तुम लोग लगातार सात बरस काश्तकारी करते रहोगे तो जो (फसल) तुम काटो उस (के दाने) को बालियों में रहने देना (छुड़ाना नहीं) मगर थोड़ा (बहुत) जो तुम खुद खाओ |
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