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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1618 | 12 | 22 | ولما بلغ أشده آتيناه حكما وعلما وكذلك نجزي المحسنين |
| | | और जब यूसुफ अपनी जवानी को पहुँचे तो हमने उनको हुक्म (नुबूवत) और इल्म अता किया और नेकी कारों को हम यूँ ही बदला दिया करते हैं |
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1619 | 12 | 23 | وراودته التي هو في بيتها عن نفسه وغلقت الأبواب وقالت هيت لك قال معاذ الله إنه ربي أحسن مثواي إنه لا يفلح الظالمون |
| | | और जिस औरत ज़ुलेखा के घर में यूसुफ रहते थे उसने अपने (नाजायज़) मतलब हासिल करने के लिए ख़ुद उनसे आरज़ू की और सब दरवाज़े बन्द कर दिए और (बे ताना) कहने लगी लो आओ यूसुफ ने कहा माज़अल्लाह वह (तुम्हारे मियाँ) मेरा मालिक हैं उन्होंने मुझे अच्छी तरह रखा है मै ऐसा ज़ुल्म क्यों कर सकता हूँ बेशक ऐसा ज़ुल्म करने वाले फलाह नहीं पाते |
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1620 | 12 | 24 | ولقد همت به وهم بها لولا أن رأى برهان ربه كذلك لنصرف عنه السوء والفحشاء إنه من عبادنا المخلصين |
| | | ज़ुलेखा ने तो उनके साथ (बुरा) इरादा कर ही लिया था और अगर ये भी अपने परवरदिगार की दलीन न देख चुके होते तो क़स्द कर बैठते (हमने उसको यूँ बचाया) ताकि हम उससे बुराई और बदकारी को दूर रखे बेशक वह हमारे ख़ालिस बन्दों में से था |
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1621 | 12 | 25 | واستبقا الباب وقدت قميصه من دبر وألفيا سيدها لدى الباب قالت ما جزاء من أراد بأهلك سوءا إلا أن يسجن أو عذاب أليم |
| | | और दोनों दरवाजे क़ी तरफ झपट पड़े और ज़ुलेख़ा (ने पीछे से उनका कुर्ता पकड़ कर खीचा और) फाड़ डाला और दोनों ने ज़ुलेखा के ख़ाविन्द को दरवाज़े के पास खड़ा पाया ज़ुलेख़ा झट (अपने शौहर से) कहने लगी कि जो तुम्हारी बीबी के साथ बदकारी का इरादा करे उसकी सज़ा इसके सिवा और कुछ नहीं कि या तो कैद कर दिया जाए |
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1622 | 12 | 26 | قال هي راودتني عن نفسي وشهد شاهد من أهلها إن كان قميصه قد من قبل فصدقت وهو من الكاذبين |
| | | या दर्दनाक अज़ाब में मुब्तिला कर दिया जाए यूसुफ ने कहा उसने ख़ुद (मुझसे मेरी आरज़ू की थी और ज़ुलेख़ा) के कुन्बे वालों में से एक गवाही देने वाले (दूध पीते बच्चे) ने गवाही दी कि अगर उनका कुर्ता आगे से फटा हुआ हो तो ये सच्ची और वह झूठे |
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1623 | 12 | 27 | وإن كان قميصه قد من دبر فكذبت وهو من الصادقين |
| | | और अगर उनका कुर्ता पींछे से फटा हुआ हो तो ये झूठी और वह सच्चे |
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1624 | 12 | 28 | فلما رأى قميصه قد من دبر قال إنه من كيدكن إن كيدكن عظيم |
| | | फिर जब अज़ीजे मिस्र ने उनका कुर्ता पीछे से फटा हुआ देखा तो (अपनी औरत से) कहने लगा ये तुम ही लोगों के चलत्तर है उसमें शक़ नहीं कि तुम लोगों के चलत्तर बड़े (ग़ज़ब के) होते हैं |
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1625 | 12 | 29 | يوسف أعرض عن هذا واستغفري لذنبك إنك كنت من الخاطئين |
| | | (और यूसुफ से कहा) ऐ यूसुफ इसको जाने दो और (औरत से कहा) कि तू अपने गुनाह की माफी माँग क्योंकि बेशक तू ही सरतापा ख़तावार है |
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1626 | 12 | 30 | وقال نسوة في المدينة امرأت العزيز تراود فتاها عن نفسه قد شغفها حبا إنا لنراها في ضلال مبين |
| | | और शहर (मिस्र) में औरतें चर्चा करने लगी कि अज़ीज़ (मिस्र) की बीबी अपने ग़ुलाम से (नाजायज़) मतलब हासिल करने की आरज़ू मन्द है बेशक गुलाम ने उसे उलफत में लुभाया है हम लोग तो यक़ीनन उसे सरीही ग़लती में मुब्तिला देखते हैं |
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1627 | 12 | 31 | فلما سمعت بمكرهن أرسلت إليهن وأعتدت لهن متكأ وآتت كل واحدة منهن سكينا وقالت اخرج عليهن فلما رأينه أكبرنه وقطعن أيديهن وقلن حاش لله ما هذا بشرا إن هذا إلا ملك كريم |
| | | तो जब ज़ुलेख़ा ने उनके ताने सुने तो उस ने उन औरतों को बुला भेजा और उनके लिए एक मजलिस आरास्ता की और उसमें से हर एक के हाथ में एक छुरी और एक (नारंगी) दी (और कह दिया कि जब तुम्हारे सामने आए तो काट के एक फ़ाक उसको दे देना) और यूसुफ़ से कहा कि अब इनके सामने से निकल तो जाओ तो जब उन औरतों ने उसे देखा तो उसके बड़ा हसीन पाया तो सब के सब ने (बे खुदी में) अपने अपने हाथ काट डाले और कहने लगी हाय अल्लाह ये आदमी नहीं है ये तो हो न हो बस एक मुअज़िज़ (इज्ज़त वाला) फ़रिश्ता है |
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