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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1613 | 12 | 17 | قالوا يا أبانا إنا ذهبنا نستبق وتركنا يوسف عند متاعنا فأكله الذئب وما أنت بمؤمن لنا ولو كنا صادقين |
| | | कहने लगे, "ऐ मेरे बाप! हम परस्पर दौड़ में मुक़ाबला करते हुए दूर चले गए और यूसफ़ को हमने अपने सामान के साथ छोड़ दिया था कि इतने में भेड़िया उसे खा गया। आप तो हमपर विश्वास करेंगे नहीं, यद्यपि हम सच्चे है।" |
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1614 | 12 | 18 | وجاءوا على قميصه بدم كذب قال بل سولت لكم أنفسكم أمرا فصبر جميل والله المستعان على ما تصفون |
| | | वे उसके कुर्ते पर झूठमूठ का ख़ून लगा लाए थे। उसने कहा, "नहीं, बल्कि तुम्हारे जी ने बहकाकर तुम्हारे लिए एक बात बना दी है। अब धैर्य से काम लेना ही उत्तम है! जो बात तुम बता रहे हो उसमें अल्लाह ही सहायक हो सकता है।" |
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1615 | 12 | 19 | وجاءت سيارة فأرسلوا واردهم فأدلى دلوه قال يا بشرى هذا غلام وأسروه بضاعة والله عليم بما يعملون |
| | | एक क़ाफ़िला आया। फिर उसने पनिहारा को भेजा। उसने अपना डोल ज्यों ही डाला तो पुकार उठा, "अरे! कितनी ख़ुशी की बात है। यह तो एक लड़का है।" उन्होंने उसे व्यापार का माल समझकर छुपा लिया। किन्तु जो कुछ वे कर रहे थे, अल्लाह तो उसे जानता ही था |
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1616 | 12 | 20 | وشروه بثمن بخس دراهم معدودة وكانوا فيه من الزاهدين |
| | | उन्होंने उसे सस्ते दाम, गिनती के कुछ दिरहमों में बेच दिया, क्योंकि वे उसके मामलें में बेपरवाह थे |
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1617 | 12 | 21 | وقال الذي اشتراه من مصر لامرأته أكرمي مثواه عسى أن ينفعنا أو نتخذه ولدا وكذلك مكنا ليوسف في الأرض ولنعلمه من تأويل الأحاديث والله غالب على أمره ولكن أكثر الناس لا يعلمون |
| | | मिस्र के जिस व्यक्ति ने उसे ख़रीदा, उसने अपनी स्त्री से कहा, "इसको अच्छी तरह रखना। बहुत सम्भव है कि यह हमारे काम आए या हम इसे बेटा बना लें।" इस प्रकार हमने उस भूभाग में यूसुफ़ के क़दम जमाने की राह निकाली (ताकि उसे प्रतिष्ठा प्रदान करें) और ताकि मामलों और बातों के परिणाम से हम उसे अवगत कराएँ। अल्लाह तो अपना काम करके रहता है, किन्तु अधिकतर लोग जानते नहीं |
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1618 | 12 | 22 | ولما بلغ أشده آتيناه حكما وعلما وكذلك نجزي المحسنين |
| | | और जब वह अपनी जवानी को पहुँचा तो हमने उसे निर्णय-शक्ति और ज्ञान प्रदान किया। उत्तमकार लोगों को हम इसी प्रकार बदला देते है |
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1619 | 12 | 23 | وراودته التي هو في بيتها عن نفسه وغلقت الأبواب وقالت هيت لك قال معاذ الله إنه ربي أحسن مثواي إنه لا يفلح الظالمون |
| | | जिस स्त्री के घर में वह रहता था, वह उस पर डोरे डालने लगी। उसने दरवाज़े बन्द कर दिए और कहने लगी, "लो, आ जाओ!" उसने कहा, "अल्लाह की पनाह! मेरे रब ने मुझे अच्छा स्थान दिया है। अत्याचारी कभी सफल नहीं होते।" |
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1620 | 12 | 24 | ولقد همت به وهم بها لولا أن رأى برهان ربه كذلك لنصرف عنه السوء والفحشاء إنه من عبادنا المخلصين |
| | | उसने उसका इरादा कर लिया था। यदि वह अपने रब का स्पष्ट॥ प्रमाण न देख लेता तो वह भी उसका इरादा कर लेता। ऐसा इसलिए हुआ ताकि हम बुराई और अश्लीलता को उससे दूर रखें। निस्संदेह वह हमारे चुने हुए बन्दों में से था |
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1621 | 12 | 25 | واستبقا الباب وقدت قميصه من دبر وألفيا سيدها لدى الباب قالت ما جزاء من أراد بأهلك سوءا إلا أن يسجن أو عذاب أليم |
| | | वे दोनों दरवाज़े की ओर झपटे और उस स्त्री ने उसका कुर्ता पीछे से फाड़ डाला। दरवाज़े पर दोनों ने उस स्त्री के पति को उपस्थित पाया। वह बोली, "जो कोई तुम्हारी घरवाली के साथ बुरा इरादा करे, उसका बदला इसके सिवा और क्या होगा कि उसे बन्दी बनाया जाए या फिर कोई दुखद यातना दी जाए?" |
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1622 | 12 | 26 | قال هي راودتني عن نفسي وشهد شاهد من أهلها إن كان قميصه قد من قبل فصدقت وهو من الكاذبين |
| | | उसने कहा, "यही मुझपर डोरे डाल रही थी।" उस स्त्री के लोगों में से एक गवाह ने गवाही दी, "यदि इसका कुर्ता आगे से फटा है तो यह सच्ची है और यह झूठा है, |
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