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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1584 | 11 | 111 | وإن كلا لما ليوفينهم ربك أعمالهم إنه بما يعملون خبير |
| | | और इसमें तो शक़ ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार उनकी कारस्तानियों का बदला भरपूर देगा (क्योंकि) जो उनकी करतूतें हैं उससे वह खूब वाक़िफ है |
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1585 | 11 | 112 | فاستقم كما أمرت ومن تاب معك ولا تطغوا إنه بما تعملون بصير |
| | | तो (ऐ रसूल) जैसा तुम्हें हुक्म दिया है तुम और वह लोग भी जिन्होंने तुम्हारे साथ (कुफ्र से) तौबा की है ठीक साबित क़दम रहो और सरकशी न करो (क्योंकि) तुम लोग जो कुछ भी करते हो वह यक़ीनन देख रहा है |
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1586 | 11 | 113 | ولا تركنوا إلى الذين ظلموا فتمسكم النار وما لكم من دون الله من أولياء ثم لا تنصرون |
| | | और (मुसलमानों) जिन लोगों ने (हमारी नाफरमानी करके) अपने ऊपर ज़ुल्म किया है उनकी तरफ माएल (झुकना) न होना और वरना तुम तक भी (दोज़ख़) की आग आ लपटेगी और ख़ुदा के सिवा और लोग तुम्हारे सरपरस्त भी नहीं हैं फिर तुम्हारी मदद कोई भी नहीं करेगा |
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1587 | 11 | 114 | وأقم الصلاة طرفي النهار وزلفا من الليل إن الحسنات يذهبن السيئات ذلك ذكرى للذاكرين |
| | | और (ऐ रसूल) दिन के दोनो किनारे और कुछ रात गए नमाज़ पढ़ा करो (क्योंकि) नेकियाँ यक़ीनन गुनाहों को दूर कर देती हैं और (हमारी) याद करने वालो के लिए ये (बातें) नसीहत व इबरत हैं |
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1588 | 11 | 115 | واصبر فإن الله لا يضيع أجر المحسنين |
| | | और (ऐ रसूल) तुम सब्र करो क्योंकि ख़ुदा नेकी करने वालों का अज्र बरबाद नहीं करता |
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1589 | 11 | 116 | فلولا كان من القرون من قبلكم أولو بقية ينهون عن الفساد في الأرض إلا قليلا ممن أنجينا منهم واتبع الذين ظلموا ما أترفوا فيه وكانوا مجرمين |
| | | फिर जो लोग तुमसे पहले गुज़र चुके हैं उनमें कुछ लोग ऐसे अक़ल वाले क्यों न हुए जो (लोगों को) रुए ज़मीन पर फसाद फैलाने से रोका करते (ऐसे लोग थे तो) मगर बहुत थोड़े से और ये उन्हीं लोगों से थे जिनको हमने अज़ाब से बचा लिया और जिन लोगों ने नाफरमानी की थी वह उन्हीं (लज्ज़तों) के पीछे पड़े रहे और जो उन्हें दी गई थी और ये लोग मुजरिम थे ही |
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1590 | 11 | 117 | وما كان ربك ليهلك القرى بظلم وأهلها مصلحون |
| | | और तुम्हारा परवरदिगार ऐसा (बे इन्साफ) कभी न था कि बस्तियों को जबरदस्ती उजाड़ देता और वहाँ के लोग नेक चलन हों |
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1591 | 11 | 118 | ولو شاء ربك لجعل الناس أمة واحدة ولا يزالون مختلفين |
| | | और अगर तुम्हारा परवरदिगार चाहता तो बेशक तमाम लोगों को एक ही (किस्म की) उम्मत बना देता (मगर) उसने न चाहा इसी (वजह से) लोग हमेशा आपस में फूट डाला करेगें |
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1592 | 11 | 119 | إلا من رحم ربك ولذلك خلقهم وتمت كلمة ربك لأملأن جهنم من الجنة والناس أجمعين |
| | | मगर जिस पर तुम्हारा परवरदिगार रहम फरमाए और इसलिए तो उसने उन लोगों को पैदा किया (और इसी वजह से तो) तुम्हारा परवरदिगार का हुक्म क़तई पूरा होकर रहा कि हम यक़ीनन जहन्नुम को तमाम जिन्नात और आदमियों से भर देगें |
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1593 | 11 | 120 | وكلا نقص عليك من أنباء الرسل ما نثبت به فؤادك وجاءك في هذه الحق وموعظة وذكرى للمؤمنين |
| | | और (ऐ रसूल) पैग़म्बरों के हालत में से हम उन तमाम क़िस्सों को तुम से बयान किए देते हैं जिनसे हम तुम्हारे दिल को मज़बूत कर देगें और उन्हीं क़िस्सों में तुम्हारे पास हक़ (क़ुरान) और मोमिनीन के लिए नसीहत और याद दहानी भी आ गई |
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