نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1580 | 11 | 107 | خالدين فيها ما دامت السماوات والأرض إلا ما شاء ربك إن ربك فعال لما يريد |
| | | वह लोग जब तक आसमान और ज़मीन में है हमेशा उसी मे रहेगें मगर जब तुम्हारा परवरदिगार (नजात देना) चाहे बेशक तुम्हारा परवरदिगार जो चाहता है कर ही डालता है |
|
1581 | 11 | 108 | وأما الذين سعدوا ففي الجنة خالدين فيها ما دامت السماوات والأرض إلا ما شاء ربك عطاء غير مجذوذ |
| | | और जो लोग नेक बख्त हैं वह तो बेहश्त में होगें (और) जब तक आसमान व ज़मीन (बाक़ी) है वह हमेशा उसी में रहेगें मगर जब तेरा परवरदिगार चाहे (सज़ा देकर आख़िर में जन्नत में ले जाए |
|
1582 | 11 | 109 | فلا تك في مرية مما يعبد هؤلاء ما يعبدون إلا كما يعبد آباؤهم من قبل وإنا لموفوهم نصيبهم غير منقوص |
| | | ये वह बख़्शिस है जो कभी मनक़तआ (खत्म) न होगी तो ये लोग (ख़ुदा के अलावा) जिसकी परसतिश करते हैं तुम उससे शक़ में न पड़ना ये लोग तो बस वैसी इबादत करते हैं जैसी उनसे पहले उनके बाप दादा करते थे और हम ज़रुर (क़यामत के दिन) उनको (अज़ाब का) पूरा पूरा हिस्सा बग़ैर कम किए देगें |
|
1583 | 11 | 110 | ولقد آتينا موسى الكتاب فاختلف فيه ولولا كلمة سبقت من ربك لقضي بينهم وإنهم لفي شك منه مريب |
| | | और हमने मूसा को किताब तौरैत अता की तो उसमें (भी) झगड़े डाले गए और अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से हुक्म कोइ पहले ही न हो चुका होता तो उनके दरमियान (कब का) फैसला यक़ीनन हो गया होता और ये लोग (कुफ्फ़ारे मक्का) भी इस (क़ुरान) की तरफ से बहुत गहरे शक़ में पड़े हैं |
|
1584 | 11 | 111 | وإن كلا لما ليوفينهم ربك أعمالهم إنه بما يعملون خبير |
| | | और इसमें तो शक़ ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार उनकी कारस्तानियों का बदला भरपूर देगा (क्योंकि) जो उनकी करतूतें हैं उससे वह खूब वाक़िफ है |
|
1585 | 11 | 112 | فاستقم كما أمرت ومن تاب معك ولا تطغوا إنه بما تعملون بصير |
| | | तो (ऐ रसूल) जैसा तुम्हें हुक्म दिया है तुम और वह लोग भी जिन्होंने तुम्हारे साथ (कुफ्र से) तौबा की है ठीक साबित क़दम रहो और सरकशी न करो (क्योंकि) तुम लोग जो कुछ भी करते हो वह यक़ीनन देख रहा है |
|
1586 | 11 | 113 | ولا تركنوا إلى الذين ظلموا فتمسكم النار وما لكم من دون الله من أولياء ثم لا تنصرون |
| | | और (मुसलमानों) जिन लोगों ने (हमारी नाफरमानी करके) अपने ऊपर ज़ुल्म किया है उनकी तरफ माएल (झुकना) न होना और वरना तुम तक भी (दोज़ख़) की आग आ लपटेगी और ख़ुदा के सिवा और लोग तुम्हारे सरपरस्त भी नहीं हैं फिर तुम्हारी मदद कोई भी नहीं करेगा |
|
1587 | 11 | 114 | وأقم الصلاة طرفي النهار وزلفا من الليل إن الحسنات يذهبن السيئات ذلك ذكرى للذاكرين |
| | | और (ऐ रसूल) दिन के दोनो किनारे और कुछ रात गए नमाज़ पढ़ा करो (क्योंकि) नेकियाँ यक़ीनन गुनाहों को दूर कर देती हैं और (हमारी) याद करने वालो के लिए ये (बातें) नसीहत व इबरत हैं |
|
1588 | 11 | 115 | واصبر فإن الله لا يضيع أجر المحسنين |
| | | और (ऐ रसूल) तुम सब्र करो क्योंकि ख़ुदा नेकी करने वालों का अज्र बरबाद नहीं करता |
|
1589 | 11 | 116 | فلولا كان من القرون من قبلكم أولو بقية ينهون عن الفساد في الأرض إلا قليلا ممن أنجينا منهم واتبع الذين ظلموا ما أترفوا فيه وكانوا مجرمين |
| | | फिर जो लोग तुमसे पहले गुज़र चुके हैं उनमें कुछ लोग ऐसे अक़ल वाले क्यों न हुए जो (लोगों को) रुए ज़मीन पर फसाद फैलाने से रोका करते (ऐसे लोग थे तो) मगर बहुत थोड़े से और ये उन्हीं लोगों से थे जिनको हमने अज़ाब से बचा लिया और जिन लोगों ने नाफरमानी की थी वह उन्हीं (लज्ज़तों) के पीछे पड़े रहे और जो उन्हें दी गई थी और ये लोग मुजरिम थे ही |
|