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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1576 | 11 | 103 | إن في ذلك لآية لمن خاف عذاب الآخرة ذلك يوم مجموع له الناس وذلك يوم مشهود |
| | | इसमें तो शक़ नहीं कि उस शख़्श के वास्ते जो अज़ाब आख़िरत से डरता है (हमारी कुदरत की) एक निशानी है ये वह रोज़ होगा कि सारे (जहाँन) के लोग जमा किए जाएंगें और यही वह दिन होगा कि (हमारी बारगाह में) सब हाज़िर किए जाएंगें |
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1577 | 11 | 104 | وما نؤخره إلا لأجل معدود |
| | | और हम बस एक मुअय्युन मुद्दत तक इसमें देर कर रहे है |
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1578 | 11 | 105 | يوم يأت لا تكلم نفس إلا بإذنه فمنهم شقي وسعيد |
| | | जिस दिन वह आ पहुँचेगा तो बग़ैर हुक्मे ख़ुदा कोई शख़्श बात भी तो नहीं कर सकेगा फिर कुछ लोग उनमे से बदबख्त होगें और कुछ लोग नेक बख्त |
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1579 | 11 | 106 | فأما الذين شقوا ففي النار لهم فيها زفير وشهيق |
| | | तो जो लोग बदबख्त है वह दोज़ख़ में होगें और उसी में उनकी हाए वाए और चीख़ पुकार होगी |
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1580 | 11 | 107 | خالدين فيها ما دامت السماوات والأرض إلا ما شاء ربك إن ربك فعال لما يريد |
| | | वह लोग जब तक आसमान और ज़मीन में है हमेशा उसी मे रहेगें मगर जब तुम्हारा परवरदिगार (नजात देना) चाहे बेशक तुम्हारा परवरदिगार जो चाहता है कर ही डालता है |
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1581 | 11 | 108 | وأما الذين سعدوا ففي الجنة خالدين فيها ما دامت السماوات والأرض إلا ما شاء ربك عطاء غير مجذوذ |
| | | और जो लोग नेक बख्त हैं वह तो बेहश्त में होगें (और) जब तक आसमान व ज़मीन (बाक़ी) है वह हमेशा उसी में रहेगें मगर जब तेरा परवरदिगार चाहे (सज़ा देकर आख़िर में जन्नत में ले जाए |
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1582 | 11 | 109 | فلا تك في مرية مما يعبد هؤلاء ما يعبدون إلا كما يعبد آباؤهم من قبل وإنا لموفوهم نصيبهم غير منقوص |
| | | ये वह बख़्शिस है जो कभी मनक़तआ (खत्म) न होगी तो ये लोग (ख़ुदा के अलावा) जिसकी परसतिश करते हैं तुम उससे शक़ में न पड़ना ये लोग तो बस वैसी इबादत करते हैं जैसी उनसे पहले उनके बाप दादा करते थे और हम ज़रुर (क़यामत के दिन) उनको (अज़ाब का) पूरा पूरा हिस्सा बग़ैर कम किए देगें |
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1583 | 11 | 110 | ولقد آتينا موسى الكتاب فاختلف فيه ولولا كلمة سبقت من ربك لقضي بينهم وإنهم لفي شك منه مريب |
| | | और हमने मूसा को किताब तौरैत अता की तो उसमें (भी) झगड़े डाले गए और अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से हुक्म कोइ पहले ही न हो चुका होता तो उनके दरमियान (कब का) फैसला यक़ीनन हो गया होता और ये लोग (कुफ्फ़ारे मक्का) भी इस (क़ुरान) की तरफ से बहुत गहरे शक़ में पड़े हैं |
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1584 | 11 | 111 | وإن كلا لما ليوفينهم ربك أعمالهم إنه بما يعملون خبير |
| | | और इसमें तो शक़ ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार उनकी कारस्तानियों का बदला भरपूर देगा (क्योंकि) जो उनकी करतूतें हैं उससे वह खूब वाक़िफ है |
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1585 | 11 | 112 | فاستقم كما أمرت ومن تاب معك ولا تطغوا إنه بما تعملون بصير |
| | | तो (ऐ रसूल) जैसा तुम्हें हुक्म दिया है तुम और वह लोग भी जिन्होंने तुम्हारे साथ (कुफ्र से) तौबा की है ठीक साबित क़दम रहो और सरकशी न करो (क्योंकि) तुम लोग जो कुछ भी करते हो वह यक़ीनन देख रहा है |
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