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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1568 | 11 | 95 | كأن لم يغنوا فيها ألا بعدا لمدين كما بعدت ثمود |
| | | (और वह ऐसे मर मिटे) कि गोया उन बस्तियों में कभी बसे ही न थे सुन रखो कि जिस तरह समूद (ख़ुदा की बारगाह से) धुत्कारे गए उसी तरह अहले मदियन की भी धुत्कारी हुई |
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1569 | 11 | 96 | ولقد أرسلنا موسى بآياتنا وسلطان مبين |
| | | और बेशक हमने मूसा को अपनी निशानियाँ और रौशन दलील देकर |
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1570 | 11 | 97 | إلى فرعون وملئه فاتبعوا أمر فرعون وما أمر فرعون برشيد |
| | | फिरऔन और उसके अम्र (सरदारों) के पास (पैग़म्बर बना कर) भेजा तो लोगों ने फिरऔन ही का हुक्म मान लिया (और मूसा की एक न सुनी) हालॉकि फिरऔन का हुक्म कुछ जॅचा समझा हुआ न था |
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1571 | 11 | 98 | يقدم قومه يوم القيامة فأوردهم النار وبئس الورد المورود |
| | | क़यामत के दिन वह अपनी क़ौम के आगे आगे चलेगा और उनको दोज़ख़ में ले जाकर झोंक देगा और ये लोग किस क़दर बड़े घाट उतारे गए |
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1572 | 11 | 99 | وأتبعوا في هذه لعنة ويوم القيامة بئس الرفد المرفود |
| | | और (इस दुनिया) में भी लानत उनके पीछे पीछे लगा दी गई और क़यामत के दिन भी (लगी रहेगी) क्या बुरा इनाम है जो उन्हें मिला |
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1573 | 11 | 100 | ذلك من أنباء القرى نقصه عليك منها قائم وحصيد |
| | | (ऐ रसूल) ये चन्द बस्तियों के हालात हैं जो हम तुम से बयान करते हैं उनमें से बाज़ तो (उस वक्त तक) क़ायम हैं और बाज़ का तहस नहस हो गया |
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1574 | 11 | 101 | وما ظلمناهم ولكن ظلموا أنفسهم فما أغنت عنهم آلهتهم التي يدعون من دون الله من شيء لما جاء أمر ربك وما زادوهم غير تتبيب |
| | | और हमने किसी तरह उन पर ज़ल्म नहीं किया बल्कि उन लोगों ने आप अपने ऊपर (नाफरमानी करके) ज़ुल्म किया फिर जब तुम्हारे परवरदिगार का (अज़ाब का) हुक्म आ पहुँचा तो न उसके वह माबूद ही काम आए जिन्हें ख़ुदा को छोड़कर पुकारा करते थें और न उन माबूदों ने हलाक करने के सिवा कुछ फायदा ही पहुँचाया बल्कि उन्हीं की परसतिश की बदौलत अज़ाब आया |
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1575 | 11 | 102 | وكذلك أخذ ربك إذا أخذ القرى وهي ظالمة إن أخذه أليم شديد |
| | | और (ऐ रसूल) बस्तियों के लोगों की सरकशी से जब तुम्हारा परवरदिगार अज़ाब में पकड़ता है तो उसकी पकड़ ऐसी ही होती है बेशक पकड़ तो दर्दनाक (और सख्त) होती है |
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1576 | 11 | 103 | إن في ذلك لآية لمن خاف عذاب الآخرة ذلك يوم مجموع له الناس وذلك يوم مشهود |
| | | इसमें तो शक़ नहीं कि उस शख़्श के वास्ते जो अज़ाब आख़िरत से डरता है (हमारी कुदरत की) एक निशानी है ये वह रोज़ होगा कि सारे (जहाँन) के लोग जमा किए जाएंगें और यही वह दिन होगा कि (हमारी बारगाह में) सब हाज़िर किए जाएंगें |
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1577 | 11 | 104 | وما نؤخره إلا لأجل معدود |
| | | और हम बस एक मुअय्युन मुद्दत तक इसमें देर कर रहे है |
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