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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1552 | 11 | 79 | قالوا لقد علمت ما لنا في بناتك من حق وإنك لتعلم ما نريد |
| | | उन्होंने कहा, "तुझे तो मालूम है कि तेरी बेटियों से हमें कोई मतलब नहीं। और हम जो चाहते है, उसे तू भली-भाँति जानता है।" |
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1553 | 11 | 80 | قال لو أن لي بكم قوة أو آوي إلى ركن شديد |
| | | उसने कहा, "क्या ही अच्छा होता मुझमें तुमसे मुक़ाबले की शक्ति होती या मैं किसी सुदृढ़ आश्रय की शरण ही ले सकता।" |
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1554 | 11 | 81 | قالوا يا لوط إنا رسل ربك لن يصلوا إليك فأسر بأهلك بقطع من الليل ولا يلتفت منكم أحد إلا امرأتك إنه مصيبها ما أصابهم إن موعدهم الصبح أليس الصبح بقريب |
| | | उन्होंने कहा, "ऐ लूत! हम तुम्हारे रब के भेजे हुए है। वे तुम तक कदापि नहीं पहुँच सकते। अतः तुम रात के किसी हिस्सेमें अपने घरवालों को लेकर निकल जाओ और तुममें से कोई पीछे पलटकर न देखे। हाँ, तुम्हारी स्त्री का मामला और है। उनपर भी वही कुछ बीतनेवाला है, जो उनपर बीतेगा। निर्धारित समय उनके लिए प्रातःकाल का है। तो क्या प्रातःकाल निकट नहीं?" |
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1555 | 11 | 82 | فلما جاء أمرنا جعلنا عاليها سافلها وأمطرنا عليها حجارة من سجيل منضود |
| | | फिर जब हमारा आदेश आ पहुँचा तो हमने उसको तलपट कर दिया और उसपर ककरीले पत्थर ताबड़-तोड़ बरसाए, |
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1556 | 11 | 83 | مسومة عند ربك وما هي من الظالمين ببعيد |
| | | जो तुम्हारे रब के यहाँ चिन्हित थे। और वे अत्याचारियों से कुछ दूर भी नहीं |
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1557 | 11 | 84 | وإلى مدين أخاهم شعيبا قال يا قوم اعبدوا الله ما لكم من إله غيره ولا تنقصوا المكيال والميزان إني أراكم بخير وإني أخاف عليكم عذاب يوم محيط |
| | | मदयन की ओर उनके भाई शुऐब को भेजा। उसने कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अल्लाह की बन्दही करो, उनके सिवा तुम्हारा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। और नाप और तौल में कमी न करो। मैं तो तुम्हें अच्छी दशा में देख रहा हूँ, किन्तु मुझे तुम्हारे विषय में एक घेर लेनेवाले दिन की यातना का भय है |
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1558 | 11 | 85 | ويا قوم أوفوا المكيال والميزان بالقسط ولا تبخسوا الناس أشياءهم ولا تعثوا في الأرض مفسدين |
| | | ऐ मेरी क़ौम के लोगो! इनसाफ़ के साथ नाप और तौल को पूरा रखो। और लोगों को उनकी चीज़ों में घाटा न दो और धरती में बिगाड़ पैदा करनेवाले बनकर अपने मुँह को कुलषित न करो |
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1559 | 11 | 86 | بقيت الله خير لكم إن كنتم مؤمنين وما أنا عليكم بحفيظ |
| | | यदि तुम मोमिन हो तो जो अल्लाह के पास शेष रहता है वही तुम्हारे लिए उत्तम है। मैं तुम्हारे ऊपर कोई नियुक्त रखवाला नहीं हूँ।" |
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1560 | 11 | 87 | قالوا يا شعيب أصلاتك تأمرك أن نترك ما يعبد آباؤنا أو أن نفعل في أموالنا ما نشاء إنك لأنت الحليم الرشيد |
| | | वे बोले, "ऐ शुऐब! क्या तेरी नमाज़ तुझे यही सिखाती है कि उन्हें हम छोड़ दें जिन्हें हमारे बाप-दादा पूजते आए है या यह कि हम अपने माल का उपभोग अपनी इच्छानुसार न करें? बस एक तू ही तो बड़ा सहनशील, समझदार रह गया है!" |
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1561 | 11 | 88 | قال يا قوم أرأيتم إن كنت على بينة من ربي ورزقني منه رزقا حسنا وما أريد أن أخالفكم إلى ما أنهاكم عنه إن أريد إلا الإصلاح ما استطعت وما توفيقي إلا بالله عليه توكلت وإليه أنيب |
| | | उसने कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगो! तुम्हारा क्या विचार है? यदि मैं अपने रब के एक स्पष्ट प्रमाण पर हूँ और उसने मुझे अपनी ओर से अच्छी आजीविका भी प्रदान की (तो झुठलाना मेरे लिए कितना हानिकारक होगा!) और मैं नहीं चाहता कि जिन बातों से मैं तुम्हें रोकता हूँ स्वयं स्वयं तुम्हारे विपरीत उनको करने लगूँ। मैं तो अपने बस भर केवल सुधार चाहता हूँ। मेरा काम बनना तो अल्लाह ही की सहायता से सम्भव है। उसी पर मेरा भरोसा है और उसी की ओर मैं रुजू करता हूँ |
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