بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
15521179قالوا لقد علمت ما لنا في بناتك من حق وإنك لتعلم ما نريد
उन्होंने कहा, "तुझे तो मालूम है कि तेरी बेटियों से हमें कोई मतलब नहीं। और हम जो चाहते है, उसे तू भली-भाँति जानता है।"
15531180قال لو أن لي بكم قوة أو آوي إلى ركن شديد
उसने कहा, "क्या ही अच्छा होता मुझमें तुमसे मुक़ाबले की शक्ति होती या मैं किसी सुदृढ़ आश्रय की शरण ही ले सकता।"
15541181قالوا يا لوط إنا رسل ربك لن يصلوا إليك فأسر بأهلك بقطع من الليل ولا يلتفت منكم أحد إلا امرأتك إنه مصيبها ما أصابهم إن موعدهم الصبح أليس الصبح بقريب
उन्होंने कहा, "ऐ लूत! हम तुम्हारे रब के भेजे हुए है। वे तुम तक कदापि नहीं पहुँच सकते। अतः तुम रात के किसी हिस्सेमें अपने घरवालों को लेकर निकल जाओ और तुममें से कोई पीछे पलटकर न देखे। हाँ, तुम्हारी स्त्री का मामला और है। उनपर भी वही कुछ बीतनेवाला है, जो उनपर बीतेगा। निर्धारित समय उनके लिए प्रातःकाल का है। तो क्या प्रातःकाल निकट नहीं?"
15551182فلما جاء أمرنا جعلنا عاليها سافلها وأمطرنا عليها حجارة من سجيل منضود
फिर जब हमारा आदेश आ पहुँचा तो हमने उसको तलपट कर दिया और उसपर ककरीले पत्थर ताबड़-तोड़ बरसाए,
15561183مسومة عند ربك وما هي من الظالمين ببعيد
जो तुम्हारे रब के यहाँ चिन्हित थे। और वे अत्याचारियों से कुछ दूर भी नहीं
15571184وإلى مدين أخاهم شعيبا قال يا قوم اعبدوا الله ما لكم من إله غيره ولا تنقصوا المكيال والميزان إني أراكم بخير وإني أخاف عليكم عذاب يوم محيط
मदयन की ओर उनके भाई शुऐब को भेजा। उसने कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अल्लाह की बन्दही करो, उनके सिवा तुम्हारा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। और नाप और तौल में कमी न करो। मैं तो तुम्हें अच्छी दशा में देख रहा हूँ, किन्तु मुझे तुम्हारे विषय में एक घेर लेनेवाले दिन की यातना का भय है
15581185ويا قوم أوفوا المكيال والميزان بالقسط ولا تبخسوا الناس أشياءهم ولا تعثوا في الأرض مفسدين
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! इनसाफ़ के साथ नाप और तौल को पूरा रखो। और लोगों को उनकी चीज़ों में घाटा न दो और धरती में बिगाड़ पैदा करनेवाले बनकर अपने मुँह को कुलषित न करो
15591186بقيت الله خير لكم إن كنتم مؤمنين وما أنا عليكم بحفيظ
यदि तुम मोमिन हो तो जो अल्लाह के पास शेष रहता है वही तुम्हारे लिए उत्तम है। मैं तुम्हारे ऊपर कोई नियुक्त रखवाला नहीं हूँ।"
15601187قالوا يا شعيب أصلاتك تأمرك أن نترك ما يعبد آباؤنا أو أن نفعل في أموالنا ما نشاء إنك لأنت الحليم الرشيد
वे बोले, "ऐ शुऐब! क्या तेरी नमाज़ तुझे यही सिखाती है कि उन्हें हम छोड़ दें जिन्हें हमारे बाप-दादा पूजते आए है या यह कि हम अपने माल का उपभोग अपनी इच्छानुसार न करें? बस एक तू ही तो बड़ा सहनशील, समझदार रह गया है!"
15611188قال يا قوم أرأيتم إن كنت على بينة من ربي ورزقني منه رزقا حسنا وما أريد أن أخالفكم إلى ما أنهاكم عنه إن أريد إلا الإصلاح ما استطعت وما توفيقي إلا بالله عليه توكلت وإليه أنيب
उसने कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगो! तुम्हारा क्या विचार है? यदि मैं अपने रब के एक स्पष्ट प्रमाण पर हूँ और उसने मुझे अपनी ओर से अच्छी आजीविका भी प्रदान की (तो झुठलाना मेरे लिए कितना हानिकारक होगा!) और मैं नहीं चाहता कि जिन बातों से मैं तुम्हें रोकता हूँ स्वयं स्वयं तुम्हारे विपरीत उनको करने लगूँ। मैं तो अपने बस भर केवल सुधार चाहता हूँ। मेरा काम बनना तो अल्लाह ही की सहायता से सम्भव है। उसी पर मेरा भरोसा है और उसी की ओर मैं रुजू करता हूँ


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