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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1548 | 11 | 75 | إن إبراهيم لحليم أواه منيب |
| | | बेशक इबराहीम बुर्दबार नरम दिल (हर बात में ख़ुदा की तरफ) रुजू (ध्यान) करने वाले थे |
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1549 | 11 | 76 | يا إبراهيم أعرض عن هذا إنه قد جاء أمر ربك وإنهم آتيهم عذاب غير مردود |
| | | (हमने कहा) ऐ इबराहीम इस बात में हट मत करो (इस बार में) जो हुक्म तुम्हारे परवरदिगार का था वह क़तअन आ चुका और इसमें शक़ नहीं कि उन पर ऐसा अज़ाब आने वाले वाला है |
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1550 | 11 | 77 | ولما جاءت رسلنا لوطا سيء بهم وضاق بهم ذرعا وقال هذا يوم عصيب |
| | | जो किसी तरह टल नहीं सकता और जब हमारे भेजे हुए फरिश्ते (लड़को की सूरत में) लूत के पास आए तो उनके ख्याल से रजीदा हुए और उनके आने से तंग दिल हो गए और कहने लगे कि ये (आज का दिन) सख्त मुसीबत का दिन है |
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1551 | 11 | 78 | وجاءه قومه يهرعون إليه ومن قبل كانوا يعملون السيئات قال يا قوم هؤلاء بناتي هن أطهر لكم فاتقوا الله ولا تخزون في ضيفي أليس منكم رجل رشيد |
| | | और उनकी क़ौम (लड़को की आवाज़ सुनकर बुरे इरादे से) उनके पास दौड़ती हुई आई और ये लोग उसके क़ब्ल भी बुरे काम किया करते थे लूत ने (जब उनको) आते देखा तो कहा ऐ मेरी क़ौम ये मारी क़ौम की बेटियाँ (मौजूद हैं) उनसे निकाह कर लो ये तुम्हारीे वास्ते जायज़ और ज्यादा साफ सुथरी हैं तो खुदा से डरो और मुझे मेरे मेहमान के बारे में रुसवा न करो क्या तुम में से कोई भी समझदार आदमी नहीं है |
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1552 | 11 | 79 | قالوا لقد علمت ما لنا في بناتك من حق وإنك لتعلم ما نريد |
| | | उन (कम्बख्तो) न जवाब दिया तुम को खूब मालूम है कि तुम्हारी क़ौम की लड़कियों की हमें कुछ हाजत (जरूरत) नही है और जो बात हम चाहते है वह तो तुम ख़ूब जानते हो |
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1553 | 11 | 80 | قال لو أن لي بكم قوة أو آوي إلى ركن شديد |
| | | लूत ने कहा काश मुझमें तुम्हारे मुक़ाबले की कूवत होती या मै किसी मज़बूत क़िले मे पनाह ले सकता |
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1554 | 11 | 81 | قالوا يا لوط إنا رسل ربك لن يصلوا إليك فأسر بأهلك بقطع من الليل ولا يلتفت منكم أحد إلا امرأتك إنه مصيبها ما أصابهم إن موعدهم الصبح أليس الصبح بقريب |
| | | वह फरिश्ते बोले ऐ लूत हम तुम्हारे परवरदिगार के भेजे हुए (फरिश्ते हैं तुम घबराओ नहीं) ये लोग तुम तक हरगिज़ (नहीं पहुँच सकते तो तुम कुछ रात रहे अपने लड़कों बालों समैत निकल भागो और तुममें से कोई इधर मुड़ कर भी न देखे मगर तुम्हारी बीबी कि उस पर भी यक़ीनन वह अज़ाब नाज़िल होने वाला है जो उन लोगों पर नाज़िल होगा और उन (के अज़ाब का) वायदा बस सुबह है क्या सुबह क़रीब नहीं |
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1555 | 11 | 82 | فلما جاء أمرنا جعلنا عاليها سافلها وأمطرنا عليها حجارة من سجيل منضود |
| | | फिर जब हमारा (अज़ाब का) हुक्म आ पहुँचा तो हमने (बस्ती की ज़मीन के तबके) उलट कर उसके ऊपर के हिस्से को नीचे का बना दिया और उस पर हमने खरन्जेदार पत्थर ताबड़ तोड़ बरसाए |
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1556 | 11 | 83 | مسومة عند ربك وما هي من الظالمين ببعيد |
| | | जिन पर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से निशान बनाए हुए थे और वह बस्ती (उन) ज़ालिमों (कुफ्फ़ारे मक्का) से कुछ दूर नहीं |
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1557 | 11 | 84 | وإلى مدين أخاهم شعيبا قال يا قوم اعبدوا الله ما لكم من إله غيره ولا تنقصوا المكيال والميزان إني أراكم بخير وإني أخاف عليكم عذاب يوم محيط |
| | | और हमने मदयन वालों के पास उनके भाई शुएब को पैग़म्बर बना कर भेजा उन्होंने (अपनी क़ौम से) कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा की इबादत करो उसके सिवा तुम्हारा कोई ख़ुदा नहीं और नाप और तौल में कोई कमी न किया करो मै तो तुम को आसूदगी (ख़ुशहाली) में देख रहा हूँ (फिर घटाने की क्या ज़रुरत है) और मै तो तुम पर उस दिन के अज़ाब से डराता हूँ जो (सबको) घेर लेगा |
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