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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1543 | 11 | 70 | فلما رأى أيديهم لا تصل إليه نكرهم وأوجس منهم خيفة قالوا لا تخف إنا أرسلنا إلى قوم لوط |
| | | किन्तु जब देखा कि उनके हाथ उसकी ओर नहीं बढ़ रहे है तो उसने उन्हें अजनबी समझा और दिल में उनसे डरा। वे बोले, "डरो नहीं, हम तो लूत की क़ौम की ओर से भेजे गए है।" |
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1544 | 11 | 71 | وامرأته قائمة فضحكت فبشرناها بإسحاق ومن وراء إسحاق يعقوب |
| | | उसकी स्त्री भी खड़ी थी। वह इसपर हँस पड़ी। फिर हमने उसको इसहाक़ और इसहाक़ के बाद याक़ूब की शुभ सूचना दी |
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1545 | 11 | 72 | قالت يا ويلتى أألد وأنا عجوز وهذا بعلي شيخا إن هذا لشيء عجيب |
| | | वह बोली, "हाय मेरा हतभाग्य! क्या मैं बच्चे को जन्म दूँगी, जबकि मैं वृद्धा और ये मेरे पति है बूढें? यह तो बड़ी ही अद्भुपत बात है!" |
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1546 | 11 | 73 | قالوا أتعجبين من أمر الله رحمت الله وبركاته عليكم أهل البيت إنه حميد مجيد |
| | | वे बोले, "क्या अल्लाह के आदेश पर तुम आश्चर्य करती हो? घरवालो! तुम लोगों पर तो अल्लाह की दयालुता और उसकी बरकतें है। वह निश्चय ही प्रशंसनीय, गौरववाला है।" |
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1547 | 11 | 74 | فلما ذهب عن إبراهيم الروع وجاءته البشرى يجادلنا في قوم لوط |
| | | फिर जब इबराहीम की घबराहट दूर हो गई और उसे शुभ सूचना भी मिली तो वह लूत की क़ौम के विषय में हम से झगड़ने लगा |
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1548 | 11 | 75 | إن إبراهيم لحليم أواه منيب |
| | | निस्संदेह इबराहीम बड़ा ही सहनशील, कोमल हृदय, हमारी ओर रुजू (प्रवृत्त) होनेवाला था |
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1549 | 11 | 76 | يا إبراهيم أعرض عن هذا إنه قد جاء أمر ربك وإنهم آتيهم عذاب غير مردود |
| | | "ऐ ईबराहीम! इसे छोड़ दो। तुम्हारे रब का आदेश आ चुका है और निश्चय ही उनपर न टलनेवाली यातना आनेवाली है।" |
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1550 | 11 | 77 | ولما جاءت رسلنا لوطا سيء بهم وضاق بهم ذرعا وقال هذا يوم عصيب |
| | | और जब हमारे दूत लूत के पास पहुँचे तो वह उनके कारण अप्रसन्न हुआ और उनके मामले में दिल तंग पाया। कहने लगा, "यह तो बड़ा ही कठिन दिन है।" |
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1551 | 11 | 78 | وجاءه قومه يهرعون إليه ومن قبل كانوا يعملون السيئات قال يا قوم هؤلاء بناتي هن أطهر لكم فاتقوا الله ولا تخزون في ضيفي أليس منكم رجل رشيد |
| | | उसकी क़ौम के लोग दौड़ते हुए उसके पास आ पहुँचे। वे पहले से ही दुष्कर्म किया करते थे। उसने कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगो! ये मेरी (क़ौम की) बेटियाँ (विधिवत विवाह के लिए) मौजूड है। ये तुम्हारे लिए अधिक पवित्र है। अतः अल्लाह का डर रखो और मेरे अतिथियों के विषय में मुझे अपमानित न करो। क्या तुममें एक भी अच्छी समझ का आदमी नहीं?" |
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1552 | 11 | 79 | قالوا لقد علمت ما لنا في بناتك من حق وإنك لتعلم ما نريد |
| | | उन्होंने कहा, "तुझे तो मालूम है कि तेरी बेटियों से हमें कोई मतलब नहीं। और हम जो चाहते है, उसे तू भली-भाँति जानता है।" |
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