بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
15311158ولما جاء أمرنا نجينا هودا والذين آمنوا معه برحمة منا ونجيناهم من عذاب غليظ
और जब हमारा (अज़ाब का) हुक्म आ पहुँचा तो हमने हूद को और जो लोग उसके साथ ईमान लाए थे अपनी मेहरबानी से नजात दिया और उन सबको सख्त अज़ाब से बचा लिया
15321159وتلك عاد جحدوا بآيات ربهم وعصوا رسله واتبعوا أمر كل جبار عنيد
(ऐ रसूल) ये हालात क़ौमे आद के हैं जिन्होंने अपने परवरदिगार की आयतों से इन्कार किया और उसके पैग़म्बरों की नाफ़रमानी की और हर सरकश (दुश्मने ख़ुदा) के हुक्म पर चलते रहें
15331160وأتبعوا في هذه الدنيا لعنة ويوم القيامة ألا إن عادا كفروا ربهم ألا بعدا لعاد قوم هود
और इस दुनिया में भी लानत उनके पीछे लगा दी गई और क़यामत के दिन भी (लगी रहेगी) देख क़ौमे आद ने अपने परवरदिगार का इन्कार किया देखो हूद की क़ौमे आद (हमारी बारगाह से) धुत्कारी पड़ी है
15341161وإلى ثمود أخاهم صالحا قال يا قوم اعبدوا الله ما لكم من إله غيره هو أنشأكم من الأرض واستعمركم فيها فاستغفروه ثم توبوا إليه إن ربي قريب مجيب
और (हमने) क़ौमे समूद के पास उनके भाई सालेह को (पैग़म्बर बनाकर भेजा) तो उन्होंने (अपनी क़ौम से) कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा ही की परसतिश करो उसके सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं उसी ने तुमको ज़मीन (की मिट्टी) से पैदा किया और तुमको उसमें बसाया तो उससे मग़फिरत की दुआ मॉगों फिर उसकी बारगाह में तौबा करो (बेशक मेरा परवरदिगार (हर शख़्श के) क़रीब और सबकी सुनता और दुआ क़ुबूल करता है
15351162قالوا يا صالح قد كنت فينا مرجوا قبل هذا أتنهانا أن نعبد ما يعبد آباؤنا وإننا لفي شك مما تدعونا إليه مريب
वह लोग कहने लगे ऐ सालेह इसके पहले तो तुमसे हमारी उम्मीदें वाबस्ता थी तो क्या अब तुम जिस चीज़ की परसतिश हमारे बाप दादा करते थे उसकी परसतिश से हमें रोकते हो और जिस दीन की तरफ तुम हमें बुलाते हो हम तो उसकी निस्बत ऐसे शक़ में पड़े हैं
15361163قال يا قوم أرأيتم إن كنت على بينة من ربي وآتاني منه رحمة فمن ينصرني من الله إن عصيته فما تزيدونني غير تخسير
कि उसने हैरत में डाल दिया है सालेह ने जवाब दिया ऐ मेरी क़ौम भला देखो तो कि अगर मैं अपने परवरदिगार की तरफ से रौशन दलील पर हूँ और उसने मुझे अपनी (बारगाह) मे रहमत (नबूवत) अता की है इस पर भी अगर मै उसकी नाफ़रमानी करुँ तो ख़ुदा (के अज़ाब से बचाने में) मेरी मदद कौन करेगा-फिर तुम सिवा नुक़सान के मेरा कुछ बढ़ा दोगे नहीं
15371164ويا قوم هذه ناقة الله لكم آية فذروها تأكل في أرض الله ولا تمسوها بسوء فيأخذكم عذاب قريب
ऐ मेरी क़ौम ये ख़ुदा की (भेजी हुई) ऊँटनी है तुम्हारे वास्ते (मेरी नबूवत का) एक मौजिज़ा है तो इसको (उसके हाल पर) छोड़ दो कि ख़ुदा की ज़मीन में (जहाँ चाहे) खाए और उसे कोई तकलीफ न पहुँचाओ
15381165فعقروها فقال تمتعوا في داركم ثلاثة أيام ذلك وعد غير مكذوب
(वरना) फिर तुम्हें फौरन ही (ख़ुदा का) अज़ाब ले डालेगा इस पर भी उन लोगों ने उसकी कूँचे काटकर (मार) डाला तब सालेह ने कहा अच्छा तीन दिन तक (और) अपने अपने घर में चैन (उड़ा लो)
15391166فلما جاء أمرنا نجينا صالحا والذين آمنوا معه برحمة منا ومن خزي يومئذ إن ربك هو القوي العزيز
यही ख़ुदा का वायदा है जो कभी झूठा नहीं होता फिर जब हमारा (अज़ाब का) हुक्म आ पहुँचा तो हमने सालेह और उन लोगों को जो उसके साथ ईमान लाए थे अपनी मेहरबानी से नजात दी और उस दिन की रुसवाई से बचा लिया इसमें शक़ नहीं कि तेरा परवरदिगार ज़बरदस्त ग़ालिब है
15401167وأخذ الذين ظلموا الصيحة فأصبحوا في ديارهم جاثمين
और जिन लोगों ने ज़ुल्म किया था उनको एक सख्त चिघाड़ ने ले डाला तो वह लोग अपने अपने घरों में औंधें पड़े रह गये


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