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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1529 | 11 | 56 | إني توكلت على الله ربي وربكم ما من دابة إلا هو آخذ بناصيتها إن ربي على صراط مستقيم |
| | | मेरा भरोसा तो अल्लाह, अपने रब और तुम्हारे रब, पर है। चलने-फिरनेवाला जो प्राणी भी है, उसकी चोटी तो उसी के हाथ में है। निस्संदेह मेरा रब सीधे मार्ग पर है |
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1530 | 11 | 57 | فإن تولوا فقد أبلغتكم ما أرسلت به إليكم ويستخلف ربي قوما غيركم ولا تضرونه شيئا إن ربي على كل شيء حفيظ |
| | | किन्तु यदि तुम मुँह मोड़ते हो तो जो कुछ देकर मुझे तुम्हारी ओर भेजा गया था, वह तो मैं तुम्हें पहुँचा ही चुका। मेरा रब तुम्हारे स्थान पर दूसरी किसी क़ौम को लाएगा और तुम उसका कुछ न बिगाड़ सकोगे। निस्संदेह मेरा रब हर चीज़ की देख-भाल कर रहा है।" |
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1531 | 11 | 58 | ولما جاء أمرنا نجينا هودا والذين آمنوا معه برحمة منا ونجيناهم من عذاب غليظ |
| | | और जब हमारा आदेश आ पहुँचा तो हमने हूद और उसके साथ के ईमान लानेवालों को अपनी दयालुता से बचा लिया। और एक कठोर यातना से हमने उन्हें छुटकारा दिया |
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1532 | 11 | 59 | وتلك عاد جحدوا بآيات ربهم وعصوا رسله واتبعوا أمر كل جبار عنيد |
| | | ये आद है, जिन्होंने अपने रब की आयतों का इनकार किया; उसके रसूलों की अवज्ञा की और हर सरकश विरोधी के पीछे चलते रहे |
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1533 | 11 | 60 | وأتبعوا في هذه الدنيا لعنة ويوم القيامة ألا إن عادا كفروا ربهم ألا بعدا لعاد قوم هود |
| | | इस संसार में भी लानत ने उनका पीछा किया और क़ियामत के दिन भी, "सुन लो! निस्संदेह आद ने अपने रब के साथ कुफ़्र किया। सुनो! विनष्ट हो आद, हूद की क़ौम।" |
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1534 | 11 | 61 | وإلى ثمود أخاهم صالحا قال يا قوم اعبدوا الله ما لكم من إله غيره هو أنشأكم من الأرض واستعمركم فيها فاستغفروه ثم توبوا إليه إن ربي قريب مجيب |
| | | समूद को और उसके भाई सालेह को भेजा। उसने कहा, "ऐ मेरी क़़ौम के लोगों! अल्लाह की बन्दगी करो। उसके सिवा तुम्हारा कोई अन्य पूज्य-प्रभु नहीं। उसी ने तुम्हें धरती से पैदा किया और उसमें तुम्हें बसायाय़ अतः उससे क्षमा माँगो; फिर उसकी ओर पलट आओ। निस्संदेह मेरा रब निकट है, प्रार्थनाओं को स्वीकार करनेवाला भी।" |
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1535 | 11 | 62 | قالوا يا صالح قد كنت فينا مرجوا قبل هذا أتنهانا أن نعبد ما يعبد آباؤنا وإننا لفي شك مما تدعونا إليه مريب |
| | | उन्होंने कहा, "ऐ सालेह! इससे पहले तू हमारे बीच ऐसा व्यक्ति था जिससे बड़ी आशाएँ थीं। क्या तू हमें उनको पूजने से रोकता है जिनकी पूजा हमारे बाप-दादा करते रहे है? जिनकी ओर तू हमें बुला रहा है उसके विषय में तो हमें संदेह है जो हमें दुविधा में डाले हुए है।" |
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1536 | 11 | 63 | قال يا قوم أرأيتم إن كنت على بينة من ربي وآتاني منه رحمة فمن ينصرني من الله إن عصيته فما تزيدونني غير تخسير |
| | | उसने कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगों! क्या तुमने सोचा? यदि मैं अपने रब के एक स्पष्ट प्रमाण पर हूँ और उसने मुझे अपनी ओर से दयालुता प्रदान की है, तो यदि मैं उसकी अवज्ञा करूँ तो अल्लाह के मुक़ाबले में कौन मेरी सहायता करेगा? तुम तो और अधिक घाटे में डाल देने के अतिरिक्त मेरे हक़ में और कोई अभिवृद्धि नहीं करोगे |
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1537 | 11 | 64 | ويا قوم هذه ناقة الله لكم آية فذروها تأكل في أرض الله ولا تمسوها بسوء فيأخذكم عذاب قريب |
| | | ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यह अल्लाह की ऊँटनी तुम्हारे लिए एक निशानी है। इसे छोड़ दो कि अल्लाह की धरती में खाए और इसे तकलीफ़ देने के लिए हाथ न लगाना अन्यथा समीपस्थ यातना तुम्हें आ लेगी।" |
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1538 | 11 | 65 | فعقروها فقال تمتعوا في داركم ثلاثة أيام ذلك وعد غير مكذوب |
| | | किन्तु उन्होंने उसकी कूंचे काट डाली। इसपर उसने कहा, "अपने घरों में तीन दिन और मज़े ले लो। यह ऐसा वादा है, जो झूठा सिद्ध न होगा।" |
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