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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1517 | 11 | 44 | وقيل يا أرض ابلعي ماءك ويا سماء أقلعي وغيض الماء وقضي الأمر واستوت على الجودي وقيل بعدا للقوم الظالمين |
| | | और (ग़ैब ख़ुदा की तरफ से) हुक्म दिया गया कि ऐ ज़मीन अपना पानी जज्ब (शोख) करे और ऐ आसमान (बरसने से) थम जा और पानी घट गया और (लोगों का) काम तमाम कर दिया गया और कश्ती जो वही (पहाड़) पर जा ठहरी और (चारो तरफ) पुकार दिया गया कि ज़ालिम लोगों को (ख़ुदा की रहमत से) दूरी हो |
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1518 | 11 | 45 | ونادى نوح ربه فقال رب إن ابني من أهلي وإن وعدك الحق وأنت أحكم الحاكمين |
| | | और (जिस वक्त नूह का बेटा ग़रक (डूब) हो रहा था तो नूह ने अपने परवरदिगार को पुकारा और अर्ज़ की ऐ मेरे परवरदिगार इसमें तो शक़ नहीं कि मेरा बेटा मेरे अहल (घर वालों) में शामिल है और तूने वायदा किया था कि तेरे अहल को बचा लूँगा) और इसमें शक़ नहीं कि तेरा वायदा सच्चा है और तू सारे (जहान) के हाकिमों से बड़ा हाकिम है |
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1519 | 11 | 46 | قال يا نوح إنه ليس من أهلك إنه عمل غير صالح فلا تسألن ما ليس لك به علم إني أعظك أن تكون من الجاهلين |
| | | (तू मेरे बेटे को नजात दे) ख़ुदा ने फरमाया ऐ नूह तुम (ये क्या कह रहे हो) हरगिज़ वह तुम्हारे अहल में शामिल नहीं वह बेशक बदचलन है (देखो जिसका तुम्हें इल्म नहीं है मुझसे उसके बारे में (दरख्वास्त न किया करो और नादानों की सी बातें न करो) नूह ने अर्ज़ की ऐ मेरे परवरदिगार मै तुझ ही से पनाह मागँता हूँ कि जिस चीज़ का मुझे इल्म न हो मै उसकी दरख्वास्त करुँ |
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1520 | 11 | 47 | قال رب إني أعوذ بك أن أسألك ما ليس لي به علم وإلا تغفر لي وترحمني أكن من الخاسرين |
| | | और अगर तु मुझे (मेरे कसूर न बख्श देगा और मुझ पर रहम न खाएगा तो मैं सख्त घाटा उठाने वालों में हो जाऊँगा (जब तूफान जाता रहा तो) हुक्म दिया गया ऐ नूह हमारी तरफ से सलामती और उन बरकतों के साथ कश्ती से उतरो |
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1521 | 11 | 48 | قيل يا نوح اهبط بسلام منا وبركات عليك وعلى أمم ممن معك وأمم سنمتعهم ثم يمسهم منا عذاب أليم |
| | | जो तुम पर हैं और जो लोग तुम्हारे साथ हैं उनमें से न कुछ लोगों पर और (तुम्हारे बाद) कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें हम थोड़े ही दिन बाद बहरावर करेगें फिर हमारी तरफ से उनको दर्दनाक अज़ाब पहुँचेगा |
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1522 | 11 | 49 | تلك من أنباء الغيب نوحيها إليك ما كنت تعلمها أنت ولا قومك من قبل هذا فاصبر إن العاقبة للمتقين |
| | | (ऐ रसूल) ये ग़ैब की चन्द ख़बरे हैं जिनको तुम्हारी तरफ वही के ज़रिए पहुँचाते हैं जो उसके क़ब्ल न तुम जानते थे और न तुम्हारी क़ौम ही (जानती थी) तो तुम सब्र करो इसमें शक़ नहीं कि आख़िारत (की खूबियाँ) परहेज़गारों ही के वास्ते हैं |
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1523 | 11 | 50 | وإلى عاد أخاهم هودا قال يا قوم اعبدوا الله ما لكم من إله غيره إن أنتم إلا مفترون |
| | | और (हमने) क़ौमे आद के पास उनके भाई हूद को (पैग़म्बर बनाकर भेजा और) उन्होनें अपनी क़ौम से कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा ही की परसतिश करों उसके सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं तुम बस निरे इफ़तेरा परदाज़ (झूठी बात बनाने वाले) हो |
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1524 | 11 | 51 | يا قوم لا أسألكم عليه أجرا إن أجري إلا على الذي فطرني أفلا تعقلون |
| | | ऐ मेरी क़ौम मै उस (समझाने पर तुमसे कुछ मज़दूरी नहीं मॉगता मेरी मज़दूरी तो बस उस शख़्श के ज़िम्मे है जिसने मुझे पैदा किया तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते |
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1525 | 11 | 52 | ويا قوم استغفروا ربكم ثم توبوا إليه يرسل السماء عليكم مدرارا ويزدكم قوة إلى قوتكم ولا تتولوا مجرمين |
| | | और ऐ मेरी क़ौम अपने परवरदिगार से मग़फिरत की दुआ मॉगों फिर उसकी बारगाह में अपने (गुनाहों से) तौबा करो तो वह तुम पर मूसलाधार मेह आसमान से बरसाएगा ख़ुश्क साली न होगी और तुम्हारी क़ूवत (ताक़त) में और क़ूवत बढ़ा देगा और मुजरिम बन कर उससे मुँह न मोड़ों |
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1526 | 11 | 53 | قالوا يا هود ما جئتنا ببينة وما نحن بتاركي آلهتنا عن قولك وما نحن لك بمؤمنين |
| | | वह लोग कहने लगे ऐ हूद तुम हमारे पास कोई दलील लेकर तो आए नहीं और तुम्हारे कहने से अपने ख़ुदाओं को तो छोड़ने वाले नहीं और न हम तुम पर ईमान लाने वाले हैं |
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