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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1477 | 11 | 4 | إلى الله مرجعكم وهو على كل شيء قدير |
| | | (याद रखो) तुम सब को (आख़िरकार) ख़ुदा ही की तरफ लौटना है और वह हर चीज़ पर (अच्छी तरह) क़ादिर है |
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1478 | 11 | 5 | ألا إنهم يثنون صدورهم ليستخفوا منه ألا حين يستغشون ثيابهم يعلم ما يسرون وما يعلنون إنه عليم بذات الصدور |
| | | (ऐ रसूल) देखो ये कुफ़्फ़ार (तुम्हारी अदावत में) अपने सीनों को (गोया) दोहरा किए डालते हैं ताकि ख़ुदा से (अपनी बातों को) छिपाए रहें (मगर) देखो जब ये लोग अपने कपड़े ख़ूब लपेटते हैं (तब भी तो) ख़ुदा (उनकी बातों को) जानता है जो छिपाकर करते हैं और खुल्लम खुल्ला करते हैं इसमें शक़ नहीं कि वह सीनों के भेद तक को खूब जानता है |
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1479 | 11 | 6 | وما من دابة في الأرض إلا على الله رزقها ويعلم مستقرها ومستودعها كل في كتاب مبين |
| | | और ज़मीन पर चलने वालों में कोई ऐसा नहीं जिसकी रोज़ी ख़ुदा के ज़िम्मे न हो और ख़ुदा उनके ठिकाने और (मरने के बाद) उनके सौपे जाने की जगह (क़ब्र) को भी जानता है सब कुछ रौशन किताब (लौहे महफूज़) में मौजूद है |
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1480 | 11 | 7 | وهو الذي خلق السماوات والأرض في ستة أيام وكان عرشه على الماء ليبلوكم أيكم أحسن عملا ولئن قلت إنكم مبعوثون من بعد الموت ليقولن الذين كفروا إن هذا إلا سحر مبين |
| | | और वह तो वही (क़ादिरे मुत्तलिक़) है जिसने आसमानों और ज़मीन को 6 दिन में पैदा किया और (उस वक्त) उसका अर्श (फलक नहुम) पानी पर था (उसने आसमान व ज़मीन) इस ग़रज़ से बनाया ताकि तुम लोगों को आज़माए कि तुममे ज्यादा अच्छी कार गुज़ारी वाला कौन है और (ऐ रसूल) अगर तुम (उनसे) कहोगे कि मरने के बाद तुम सबके सब दोबारा (क़ब्रों से) उठाए जाओगे तो काफ़िर लोग ज़रुर कह बैठेगें कि ये तो बस खुला हुआ जादू है |
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1481 | 11 | 8 | ولئن أخرنا عنهم العذاب إلى أمة معدودة ليقولن ما يحبسه ألا يوم يأتيهم ليس مصروفا عنهم وحاق بهم ما كانوا به يستهزئون |
| | | और अगर हम गिनती के चन्द रोज़ो तक उन पर अज़ाब करने में देर भी करें तो ये लोग (अपनी शरारत से) बेताम्मुल ज़रुर कहने लगेगें कि (हाए) अज़ाब को कौन सी चीज़ रोक रही है सुन रखो जिस दिन इन पर अज़ाब आ पडे तो (फिर) उनके टाले न टलेगा और जिस (अज़ाब) की ये लोग हँसी उड़ाया करते थे वह उनको हर तरह से घेर लेगा |
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1482 | 11 | 9 | ولئن أذقنا الإنسان منا رحمة ثم نزعناها منه إنه ليئوس كفور |
| | | और अगर हम इन्सान को अपनी रहमत का मज़ा चखाएं फिर उसको हम उससे छीन लें तो (उस वक्त) यक़ीनन बड़ा बेआस और नाशुक्रा हो जाता है |
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1483 | 11 | 10 | ولئن أذقناه نعماء بعد ضراء مسته ليقولن ذهب السيئات عني إنه لفرح فخور |
| | | (और हमारी शिकायत करने लगता है) और अगर हम तकलीफ के बाद जो उसे पहुँचती थी राहत व आराम का जाएक़ा चखाए तो ज़रुर कहने लगता है कि अब तो सब सख्तियाँ मुझसे दफा हो गई इसमें शक़ नहीं कि वह बड़ा (जल्दी खुश) होने येख़ी बाज़ है |
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1484 | 11 | 11 | إلا الذين صبروا وعملوا الصالحات أولئك لهم مغفرة وأجر كبير |
| | | मगर जिन लोगों ने सब्र किया और अच्छे (अच्छे) काम किए (वह ऐसे नहीं) ये वह लोग हैं जिनके वास्ते (ख़ुदा की) बख़्शिस और बहुत बड़ी (खरी) मज़दूरी है |
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1485 | 11 | 12 | فلعلك تارك بعض ما يوحى إليك وضائق به صدرك أن يقولوا لولا أنزل عليه كنز أو جاء معه ملك إنما أنت نذير والله على كل شيء وكيل |
| | | तो जो चीज़ तुम्हारे पास 'वही' के ज़रिए से भेजी है उनमें से बाज़ को (सुनाने के वक्त) यायद तुम फक़त इस ख्याल से छोड़ देने वाले हो और तुम तंग दिल हो कि मुबादा ये लोग कह बैंठें कि उन पर खज़ाना क्यों नहीं नाज़िल किया गया या (उनके तसदीक के लिए) उनके साथ कोई फरिश्ता क्यों न आया तो तुम सिर्फ (अज़ाब से) डराने वाले हो |
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1486 | 11 | 13 | أم يقولون افتراه قل فأتوا بعشر سور مثله مفتريات وادعوا من استطعتم من دون الله إن كنتم صادقين |
| | | तुम्हें उनका ख्याल न करना चाहिए और ख़ुदा हर चीज़ का ज़िम्मेदार है क्या ये लोग कहते हैं कि उस शख़्श (तुम) ने इस (क़ुरान) को अपनी तरफ से गढ़ लिया है तो तुम (उनसे साफ साफ) कह दो कि अगर तुम (अपने दावे में) सच्चे हो तो (ज्यादा नहीं) ऐसे दस सूरे अपनी तरफ से गढ़ के ले आओं |
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