بسم الله الرحمن الرحيم

نتائج البحث: 6236
ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
1477114إلى الله مرجعكم وهو على كل شيء قدير
(याद रखो) तुम सब को (आख़िरकार) ख़ुदा ही की तरफ लौटना है और वह हर चीज़ पर (अच्छी तरह) क़ादिर है
1478115ألا إنهم يثنون صدورهم ليستخفوا منه ألا حين يستغشون ثيابهم يعلم ما يسرون وما يعلنون إنه عليم بذات الصدور
(ऐ रसूल) देखो ये कुफ़्फ़ार (तुम्हारी अदावत में) अपने सीनों को (गोया) दोहरा किए डालते हैं ताकि ख़ुदा से (अपनी बातों को) छिपाए रहें (मगर) देखो जब ये लोग अपने कपड़े ख़ूब लपेटते हैं (तब भी तो) ख़ुदा (उनकी बातों को) जानता है जो छिपाकर करते हैं और खुल्लम खुल्ला करते हैं इसमें शक़ नहीं कि वह सीनों के भेद तक को खूब जानता है
1479116وما من دابة في الأرض إلا على الله رزقها ويعلم مستقرها ومستودعها كل في كتاب مبين
और ज़मीन पर चलने वालों में कोई ऐसा नहीं जिसकी रोज़ी ख़ुदा के ज़िम्मे न हो और ख़ुदा उनके ठिकाने और (मरने के बाद) उनके सौपे जाने की जगह (क़ब्र) को भी जानता है सब कुछ रौशन किताब (लौहे महफूज़) में मौजूद है
1480117وهو الذي خلق السماوات والأرض في ستة أيام وكان عرشه على الماء ليبلوكم أيكم أحسن عملا ولئن قلت إنكم مبعوثون من بعد الموت ليقولن الذين كفروا إن هذا إلا سحر مبين
और वह तो वही (क़ादिरे मुत्तलिक़) है जिसने आसमानों और ज़मीन को 6 दिन में पैदा किया और (उस वक्त) उसका अर्श (फलक नहुम) पानी पर था (उसने आसमान व ज़मीन) इस ग़रज़ से बनाया ताकि तुम लोगों को आज़माए कि तुममे ज्यादा अच्छी कार गुज़ारी वाला कौन है और (ऐ रसूल) अगर तुम (उनसे) कहोगे कि मरने के बाद तुम सबके सब दोबारा (क़ब्रों से) उठाए जाओगे तो काफ़िर लोग ज़रुर कह बैठेगें कि ये तो बस खुला हुआ जादू है
1481118ولئن أخرنا عنهم العذاب إلى أمة معدودة ليقولن ما يحبسه ألا يوم يأتيهم ليس مصروفا عنهم وحاق بهم ما كانوا به يستهزئون
और अगर हम गिनती के चन्द रोज़ो तक उन पर अज़ाब करने में देर भी करें तो ये लोग (अपनी शरारत से) बेताम्मुल ज़रुर कहने लगेगें कि (हाए) अज़ाब को कौन सी चीज़ रोक रही है सुन रखो जिस दिन इन पर अज़ाब आ पडे तो (फिर) उनके टाले न टलेगा और जिस (अज़ाब) की ये लोग हँसी उड़ाया करते थे वह उनको हर तरह से घेर लेगा
1482119ولئن أذقنا الإنسان منا رحمة ثم نزعناها منه إنه ليئوس كفور
और अगर हम इन्सान को अपनी रहमत का मज़ा चखाएं फिर उसको हम उससे छीन लें तो (उस वक्त) यक़ीनन बड़ा बेआस और नाशुक्रा हो जाता है
14831110ولئن أذقناه نعماء بعد ضراء مسته ليقولن ذهب السيئات عني إنه لفرح فخور
(और हमारी शिकायत करने लगता है) और अगर हम तकलीफ के बाद जो उसे पहुँचती थी राहत व आराम का जाएक़ा चखाए तो ज़रुर कहने लगता है कि अब तो सब सख्तियाँ मुझसे दफा हो गई इसमें शक़ नहीं कि वह बड़ा (जल्दी खुश) होने येख़ी बाज़ है
14841111إلا الذين صبروا وعملوا الصالحات أولئك لهم مغفرة وأجر كبير
मगर जिन लोगों ने सब्र किया और अच्छे (अच्छे) काम किए (वह ऐसे नहीं) ये वह लोग हैं जिनके वास्ते (ख़ुदा की) बख़्शिस और बहुत बड़ी (खरी) मज़दूरी है
14851112فلعلك تارك بعض ما يوحى إليك وضائق به صدرك أن يقولوا لولا أنزل عليه كنز أو جاء معه ملك إنما أنت نذير والله على كل شيء وكيل
तो जो चीज़ तुम्हारे पास 'वही' के ज़रिए से भेजी है उनमें से बाज़ को (सुनाने के वक्त) यायद तुम फक़त इस ख्याल से छोड़ देने वाले हो और तुम तंग दिल हो कि मुबादा ये लोग कह बैंठें कि उन पर खज़ाना क्यों नहीं नाज़िल किया गया या (उनके तसदीक के लिए) उनके साथ कोई फरिश्ता क्यों न आया तो तुम सिर्फ (अज़ाब से) डराने वाले हो
14861113أم يقولون افتراه قل فأتوا بعشر سور مثله مفتريات وادعوا من استطعتم من دون الله إن كنتم صادقين
तुम्हें उनका ख्याल न करना चाहिए और ख़ुदा हर चीज़ का ज़िम्मेदार है क्या ये लोग कहते हैं कि उस शख़्श (तुम) ने इस (क़ुरान) को अपनी तरफ से गढ़ लिया है तो तुम (उनसे साफ साफ) कह दो कि अगर तुम (अपने दावे में) सच्चे हो तो (ज्यादा नहीं) ऐसे दस सूरे अपनी तरफ से गढ़ के ले आओं


0 ... 137.6 138.6 139.6 140.6 141.6 142.6 143.6 144.6 145.6 146.6 148.6 149.6 150.6 151.6 152.6 153.6 154.6 155.6 156.6 ... 623

إنتاج هذه المادة أخد: 0.02 ثانية


المغرب.كووم © ٢٠٠٩ - ١٤٣٠ © الحـمـد لله الـذي سـخـر لـنا هـذا :: وقف لله تعالى وصدقة جارية

36292054564411934236053352440361634910