بسم الله الرحمن الرحيم

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14621098فلولا كانت قرية آمنت فنفعها إيمانها إلا قوم يونس لما آمنوا كشفنا عنهم عذاب الخزي في الحياة الدنيا ومتعناهم إلى حين
फिर ऐसी कोई बस्ती क्यों न हुई कि वह ईमान लाती और उसका ईमान उसके लिए लाभप्रद सिद्ध होता? हाँ, यूनुस की क़ौम के लोग इसके लिए अपवाद है। जब वे ईमान लाए तो हमने सांसारिक जीवन में अपमानजनक यातना को उनपर से टाल दिया और उन्हें एक अवधि तक सुखोपभोग का अवसर प्रदान किया
14631099ولو شاء ربك لآمن من في الأرض كلهم جميعا أفأنت تكره الناس حتى يكونوا مؤمنين
यदि तुम्हारा रब चाहता तो धरती में जितने लोग है वे सब के सब ईमान ले आते, फिर क्या तुम लोगों को विवश करोगे कि वे मोमिन हो जाएँ?
146410100وما كان لنفس أن تؤمن إلا بإذن الله ويجعل الرجس على الذين لا يعقلون
हालाँकि किसी व्यक्ति के लिए यह सम्भव नहीं कि अल्लाह की अनुज्ञा के बिना कोई क्यक्ति ईमान लाए। वह तो उन लोगों पर गन्दगी डाल देता है, जो बुद्धि से काम नहीं लेते
146510101قل انظروا ماذا في السماوات والأرض وما تغني الآيات والنذر عن قوم لا يؤمنون
कहो, "देख लो, आकाशों और धरती में क्या कुछ है!" किन्तु निशानियाँ और चेतावनियाँ उन लोगों के कुछ काम नहीं आती, जो ईमान न लाना चाहें
146610102فهل ينتظرون إلا مثل أيام الذين خلوا من قبلهم قل فانتظروا إني معكم من المنتظرين
अतः वे तो उस तरह के दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जिस तरह के दिन वे लोग देख चुके है जो उनसे पहले गुज़रे है। कह दो, "अच्छा, प्रतीक्षा करो, मैं भी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करता हूँ।"
146710103ثم ننجي رسلنا والذين آمنوا كذلك حقا علينا ننج المؤمنين
फिर हम अपने रसूलों और उन लोगों को बचा लेते रहे हैं, जो ईमान ले आए। ऐसी ही हमारी रीति है, हमपर यह हक़ है कि ईमानवालों को बचा लें
146810104قل يا أيها الناس إن كنتم في شك من ديني فلا أعبد الذين تعبدون من دون الله ولكن أعبد الله الذي يتوفاكم وأمرت أن أكون من المؤمنين
कह दो, "ऐ लोगों! यदि तुम मेरे धर्म के विषय में किसी सन्देह में हो तो मैं तो उनकी बन्दगी नहीं करता जिनकी तुम अल्लाह से हटकर बन्दगी करते हो, बल्कि मैं उस अल्लाह की बन्दगी करता हूँ जो तुम्हें मृत्यु देता है। और मुझे आदेश है कि मैं ईमानवालों में से होऊँ
146910105وأن أقم وجهك للدين حنيفا ولا تكونن من المشركين
और यह कि हर ओर से एकाग्र होकर अपना रुख़ इस धर्म की ओर कर लो और मुशरिक़ों में कदापि सम्मिलित न हो,
147010106ولا تدع من دون الله ما لا ينفعك ولا يضرك فإن فعلت فإنك إذا من الظالمين
और अल्लाह से हटकर उसे न पुकारो जो न तुम्हें लाभ पहुँचाए और न तुम्हें हानि पहुँचा सके और न तुम्हारा बुरा कर सके, क्योंकि यदि तुमने ऐसा किया तो उस समय तुम अत्याचारी होगे
147110107وإن يمسسك الله بضر فلا كاشف له إلا هو وإن يردك بخير فلا راد لفضله يصيب به من يشاء من عباده وهو الغفور الرحيم
यदि अल्लाह तुम्हें किसी तकलीफ़ में डाल दे तो उसके सिवा कोई उसे दूर करनेवाला नहीं। और यदि वह तुम्हारे लिए किसी भलाई का इरादा कर ले तो कोई उसके अनुग्रह को फेरनेवाला भी नहीं। वह इसे अपने बन्दों में से जिस तक चाहता है, पहुँचाता है और वह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।"


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