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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1455 | 10 | 91 | آلآن وقد عصيت قبل وكنت من المفسدين |
| | | अब (मरने) के वक्त र्ऌमान लाता है हालॉकि इससे पहले तो नाफ़रमानी कर चुका और तू तो फ़सादियों में से था |
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1456 | 10 | 92 | فاليوم ننجيك ببدنك لتكون لمن خلفك آية وإن كثيرا من الناس عن آياتنا لغافلون |
| | | तो हम आज तेरी रुह को तो नहीं (मगर) तेरे बदन को (तह नशीन होने से) बचाएँगें ताकि तू अपने बाद वालों के लिए इबरत का (बाइस) हो और इसमें तो शक़ नहीं कि तेरे लोग हमारी निशानियों से यक़ीनन बेख़बर हैं |
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1457 | 10 | 93 | ولقد بوأنا بني إسرائيل مبوأ صدق ورزقناهم من الطيبات فما اختلفوا حتى جاءهم العلم إن ربك يقضي بينهم يوم القيامة فيما كانوا فيه يختلفون |
| | | और हमने बनी इसराइल को (मालिक शाम में) बहुत अच्छी जगह बसाया और उन्हं अच्छी अच्छी चीज़ें खाने को दी तो उन लोगों के पास जब तक इल्म (न) आ चुका उन लोगों ने एख्तेलाफ़ नहीं किया इसमें तो शक़ ही नहीं जिन बातों में ये (दुनिया में) बाहम झगड़े रहे है क़यामत के दिन तुम्हारा परवरदिगार इसमें फैसला कर देगा |
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1458 | 10 | 94 | فإن كنت في شك مما أنزلنا إليك فاسأل الذين يقرءون الكتاب من قبلك لقد جاءك الحق من ربك فلا تكونن من الممترين |
| | | पस जो कुरान हमने तुम्हारी तरफ नाज़िल किया है अगर उसके बारे में तुम को कुछ शक़ हो तो जो लोग तुम से पहले से किताब (ख़ुदा) पढ़ा करते हैं उन से पूछ के देखों तुम्हारे पास यक़ीनन तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से बरहक़ किताब आ चुकी तो तू न हरगिज़ शक़ करने वालों से होना |
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1459 | 10 | 95 | ولا تكونن من الذين كذبوا بآيات الله فتكون من الخاسرين |
| | | न उन लोगों से होना जिन्होंने ख़ुदा की आयतों को झुठलाया (वरना) तुम भी घाटा उठाने वालों से हो जाओगे |
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1460 | 10 | 96 | إن الذين حقت عليهم كلمت ربك لا يؤمنون |
| | | (ऐ रसूल) इसमें शक़ नहीं कि जिन लोगों के बारे में तुम्हारे परवरदिगार को बातें पूरी उतर चुकी हैं (कि ये मुस्तहके अज़ाब हैं) |
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1461 | 10 | 97 | ولو جاءتهم كل آية حتى يروا العذاب الأليم |
| | | वह लोग जब तक दर्दनाक अज़ाब देख (न) लेगें ईमान न लाएंगें अगरचे इनके सामने सारी (ख़ुदाई के) मौजिज़े आ मौजूद हो |
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1462 | 10 | 98 | فلولا كانت قرية آمنت فنفعها إيمانها إلا قوم يونس لما آمنوا كشفنا عنهم عذاب الخزي في الحياة الدنيا ومتعناهم إلى حين |
| | | कोई बस्ती ऐसी क्यों न हुई कि ईमान क़ुबूल करती तो उसको उसका ईमान फायदे मन्द होता हाँ यूनूस की क़ौम जब (अज़ाब देख कर) ईमान लाई तो हमने दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी में उनसे रुसवाई का अज़ाब दफा कर दिया और हमने उन्हें एक ख़ास वक्त तक चैन करने दिया |
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1463 | 10 | 99 | ولو شاء ربك لآمن من في الأرض كلهم جميعا أفأنت تكره الناس حتى يكونوا مؤمنين |
| | | और (ऐ पैग़म्बर) अगर तेरा परवरदिगार चाहता तो जितने लोग रुए ज़मीन पर हैं सबके सब ईमान ले आते तो क्या तुम लोगों पर ज़बरदस्ती करना चाहते हो ताकि सबके सब ईमानदार हो जाएँ हालॉकि किसी शख़्स को ये एख्तेयार नहीं |
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1464 | 10 | 100 | وما كان لنفس أن تؤمن إلا بإذن الله ويجعل الرجس على الذين لا يعقلون |
| | | कि बगैर ख़ुदा की इजाज़त ईमान ले आए और जो लोग (उसूले दीन में) अक़ल से काम नहीं लेते उन्हीं लोगें पर ख़ुदा (कुफ़्र) की गन्दगी डाल देता है |
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