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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1447 | 10 | 83 | فما آمن لموسى إلا ذرية من قومه على خوف من فرعون وملئهم أن يفتنهم وإن فرعون لعال في الأرض وإنه لمن المسرفين |
| | | अलग़रज़ मूसा पर उनकी क़ौम की नस्ल के चन्द आदमियों के सिवा फिरऔन और उसके सरदारों के इस ख़ौफ से कि उन पर कोई मुसीबत डाल दे कोई ईमान न लाया और इसमें शक़ नहीं कि फिरऔनरुए ज़मीन में बहुत बढ़ा चढ़ा था और इसमें शक़ नहीं कि वह यक़ीनन ज्यादती करने वालों में से था |
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1448 | 10 | 84 | وقال موسى يا قوم إن كنتم آمنتم بالله فعليه توكلوا إن كنتم مسلمين |
| | | और मूसा ने कहा ऐ मेरी क़ौम अगर तुम (सच्चे दिल से) ख़ुदा पर ईमान ला चुके तो अगर तुम फरमाबरदार हो तो बस उसी पर भरोसा करो |
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1449 | 10 | 85 | فقالوا على الله توكلنا ربنا لا تجعلنا فتنة للقوم الظالمين |
| | | उस पर उन लोगों ने अर्ज़ की हमने तो ख़ुदा ही पर भरोसा कर लिया है और दुआ की कि ऐ हमारे पालने वाले तू हमें ज़ालिम लोगों का (ज़रिया) इम्तिहान न बना |
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1450 | 10 | 86 | ونجنا برحمتك من القوم الكافرين |
| | | और अपनी रहमत से हमें इन काफ़िर लोगों (के नीचे) से नजात दे |
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1451 | 10 | 87 | وأوحينا إلى موسى وأخيه أن تبوآ لقومكما بمصر بيوتا واجعلوا بيوتكم قبلة وأقيموا الصلاة وبشر المؤمنين |
| | | और हमने मूसा और उनके भाई (हारुन) के पास 'वही' भेजी कि मिस्र में अपनी क़ौम के (रहने सहने के) लिए घर बना डालो और अपने अपने घरों ही को मस्जिदें क़रार दे लो और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ों और मोमिनीन को (नजात का) खुशख़बरी दे दो |
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1452 | 10 | 88 | وقال موسى ربنا إنك آتيت فرعون وملأه زينة وأموالا في الحياة الدنيا ربنا ليضلوا عن سبيلك ربنا اطمس على أموالهم واشدد على قلوبهم فلا يؤمنوا حتى يروا العذاب الأليم |
| | | और मूसा ने अर्ज़ की ऐ हमारे पालने वाले तूने फिरऔन और उसके सरदारों को दुनिया की ज़िन्दगी में (बड़ी) आराइश और दौलत दे रखी है (क्या तूने ये सामान इस लिए अता किया है) ताकि ये लोग तेरे रास्तें से लोगों को बहकाएं परवरदिगार तू उनके माल (दौलत) को ग़ारत (बरबाद) कर दे और उनके दिलों पर सख्ती कर (क्योंकि) जब तक ये लोग तकलीफ देह अज़ाब न देख लेगें ईमान न लाएगें |
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1453 | 10 | 89 | قال قد أجيبت دعوتكما فاستقيما ولا تتبعان سبيل الذين لا يعلمون |
| | | (ख़ुदा ने) फरमाया तुम दोनों की दुआ क़ुबूल की गई तो तुम दोनों साबित कदम रहो और नादानों की राह पर न चलो |
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1454 | 10 | 90 | وجاوزنا ببني إسرائيل البحر فأتبعهم فرعون وجنوده بغيا وعدوا حتى إذا أدركه الغرق قال آمنت أنه لا إله إلا الذي آمنت به بنو إسرائيل وأنا من المسلمين |
| | | और हमने बनी इसराइल को दरिया के उस पार कर दिया फिर फिरऔन और उसके लश्कर ने सरकशी की और शरारत से उनका पीछा किया-यहाँ तक कि जब वह डूबने लगा तो कहने लगा कि जिस ख़ुदा पर बनी इसराइल ईमान लाए हैं मै भी उस पर ईमान लाता हूँ उससे सिवा कोई माबूद नहीं और मैं फरमाबरदार बन्दों से हूँ |
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1455 | 10 | 91 | آلآن وقد عصيت قبل وكنت من المفسدين |
| | | अब (मरने) के वक्त र्ऌमान लाता है हालॉकि इससे पहले तो नाफ़रमानी कर चुका और तू तो फ़सादियों में से था |
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1456 | 10 | 92 | فاليوم ننجيك ببدنك لتكون لمن خلفك آية وإن كثيرا من الناس عن آياتنا لغافلون |
| | | तो हम आज तेरी रुह को तो नहीं (मगर) तेरे बदन को (तह नशीन होने से) बचाएँगें ताकि तू अपने बाद वालों के लिए इबरत का (बाइस) हो और इसमें तो शक़ नहीं कि तेरे लोग हमारी निशानियों से यक़ीनन बेख़बर हैं |
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