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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1422 | 10 | 58 | قل بفضل الله وبرحمته فبذلك فليفرحوا هو خير مما يجمعون |
| | | कह दो, "यह अल्लाह के अनुग्रह और उसकी दया से है, अतः इस पर प्रसन्न होना चाहिए। यह उन सब चीज़ों से उत्तम है, जिनको वे इकट्ठा करने में लगे हुए है।" |
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1423 | 10 | 59 | قل أرأيتم ما أنزل الله لكم من رزق فجعلتم منه حراما وحلالا قل آلله أذن لكم أم على الله تفترون |
| | | कह दो, "क्या तुम लोगों ने यह भी देखा कि जो रोज़ी अल्लाह ने तुम्हारे लिए उतारी है उसमें से तुमने स्वयं ही कुछ को हराम और हलाल ठहरा लिया?" कहो, "क्या अल्लाह ने तुम्हें इसकी अनुमति दी है या तुम अल्लाह पर झूठ घड़कर थोप रहे हो?" |
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1424 | 10 | 60 | وما ظن الذين يفترون على الله الكذب يوم القيامة إن الله لذو فضل على الناس ولكن أكثرهم لا يشكرون |
| | | जो लोग झूठ घड़कर उसे अल्लाह पर थोंपते है, उन्होंने क़ियामत के दिन के विषय में क्या समझ रखा है? अल्लाह तो लोगों के लिए बड़ा अनुग्रहवाला है, किन्तु उनमें अधिकतर कृतज्ञता नहीं दिखलाते |
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1425 | 10 | 61 | وما تكون في شأن وما تتلو منه من قرآن ولا تعملون من عمل إلا كنا عليكم شهودا إذ تفيضون فيه وما يعزب عن ربك من مثقال ذرة في الأرض ولا في السماء ولا أصغر من ذلك ولا أكبر إلا في كتاب مبين |
| | | तुम जिस दशा में भी होते हो और क़ुरआन से जो कुछ भी पढ़ते हो और तुम लोग जो काम भी करते हो हम तुम्हें देख रहे होते है, जब तुम उसमें लगे होते हो। और तुम्हारे रब से कण भर भी कोई चीज़ छिपी नहीं है, न धरती में न आकाश में और न उससे छोटी और न बड़ी कोई त चीज़ ऐसी है जो एक स्पष्ट किताब में मौजूद न हो |
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1426 | 10 | 62 | ألا إن أولياء الله لا خوف عليهم ولا هم يحزنون |
| | | सुन लो, अल्लाह के मित्रों को न तो कोई डर है और न वे शोकाकुल ही होंगे |
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1427 | 10 | 63 | الذين آمنوا وكانوا يتقون |
| | | ये वे लोग है जो ईमान लाए और डर कर रहे |
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1428 | 10 | 64 | لهم البشرى في الحياة الدنيا وفي الآخرة لا تبديل لكلمات الله ذلك هو الفوز العظيم |
| | | उनके लिए सांसारिक जीवन में भी शुभ-सूचना है और आख़िरत में भी - अल्लाह के शब्द बदलते नहीं - यही बड़ी सफलता है |
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1429 | 10 | 65 | ولا يحزنك قولهم إن العزة لله جميعا هو السميع العليم |
| | | उनकी बात तुम्हें दुखी न करे, सारा प्रभुत्व अल्लाह ही के लिए है, वह सुनता, जानता है |
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1430 | 10 | 66 | ألا إن لله من في السماوات ومن في الأرض وما يتبع الذين يدعون من دون الله شركاء إن يتبعون إلا الظن وإن هم إلا يخرصون |
| | | जान रखो! जो कोई भी आकाशों में है और जो कोई धरती में है, अल्लाह ही का है। जो लोग अल्लाह को छोड़कर दूसरे साझीदारों को पुकारते है, वे आखिर किसका अनुसरण करते है? वे तो केवल अटकल पर चलते है और वे निरे अटकले दौड़ाते है |
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1431 | 10 | 67 | هو الذي جعل لكم الليل لتسكنوا فيه والنهار مبصرا إن في ذلك لآيات لقوم يسمعون |
| | | वही है जिसने तुम्हारे लिए रात बनाई ताकि तुम उसमें चैन पाओ और दिन को प्रकाशमान बनाया (ताकि तुम उसमें दौड़-धूप कर सको); निस्संदेह इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ है, जो सुनते है |
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