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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1411 | 10 | 47 | ولكل أمة رسول فإذا جاء رسولهم قضي بينهم بالقسط وهم لا يظلمون |
| | | प्रत्येक समुदाय के लिए एक रसूल है। फिर जब उनके पास उनका रसूल आ जाता है तो उनके बीच न्यायपूर्वक फ़ैसला कर दिया जाता है। उनपर कुछ भी अत्याचार नहीं किया जाता |
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1412 | 10 | 48 | ويقولون متى هذا الوعد إن كنتم صادقين |
| | | वे कहते है, "यदि तुम सच्चे हो तो यह वादा कब पूरा होगा?" |
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1413 | 10 | 49 | قل لا أملك لنفسي ضرا ولا نفعا إلا ما شاء الله لكل أمة أجل إذا جاء أجلهم فلا يستأخرون ساعة ولا يستقدمون |
| | | कहो, "मुझे अपने लिए न तो किसी हानि का अधिकार प्राप्त है और न लाभ का, बल्कि अल्लाह जो चाहता है वही होता है। हर समुदाय के लिए एक नियत समय है, जब उनका नियत समय आ जाता है तो वे न घड़ी भर पीछे हट सकते है और न आगे बढ़ सकते है।" |
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1414 | 10 | 50 | قل أرأيتم إن أتاكم عذابه بياتا أو نهارا ماذا يستعجل منه المجرمون |
| | | कहो, "क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि तुमपर उसकी यातना रातों रात या दिन को आ जाए तो (क्या तुम उसे टाल सकोगे?) वह आख़िर कौन-सी चीज़ होगी जिसके लिए अपराधियों को जल्दी पड़ी हुई है? |
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1415 | 10 | 51 | أثم إذا ما وقع آمنتم به آلآن وقد كنتم به تستعجلون |
| | | क्या फिर जब वह घटित हो जाएगी तब तुम उसे मानोगे? - क्या अब! इसी के लिए तो तुम जल्दी मचा रहे थे!" |
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1416 | 10 | 52 | ثم قيل للذين ظلموا ذوقوا عذاب الخلد هل تجزون إلا بما كنتم تكسبون |
| | | "फिर अत्याचारी लोगों से कहा जाएगा, "स्थायी यातना का मज़ा चख़ो! जो कुछ तुम कमाते रहे हो, उसके सिवा तुम्हें और क्या बदला दिया जा सकता है?" |
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1417 | 10 | 53 | ويستنبئونك أحق هو قل إي وربي إنه لحق وما أنتم بمعجزين |
| | | वे तुम से चाहते है कि उन्हें ख़बर दो कि "क्या वह वास्तव में सत्य है?" कह दो, "हाँ, मेरे रब की क़सम! वह बिल्कुल सत्य है और तुम क़ाबू से बाहर निकल जानेवाले नहीं हो।" |
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1418 | 10 | 54 | ولو أن لكل نفس ظلمت ما في الأرض لافتدت به وأسروا الندامة لما رأوا العذاب وقضي بينهم بالقسط وهم لا يظلمون |
| | | यदि प्रत्येक अत्याचारी व्यक्ति के पास वह सब कुछ हो जो धरती में है, तो वह अर्थदंड के रूप में उसे दे डाले। जब वे यातना को देखेंगे तो मन ही मन में पछताएँगे। उनके बीच न्यायपूर्वक फ़ैसला कर दिया जाएगा और उनपर कोई अत्याचार न होगा |
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1419 | 10 | 55 | ألا إن لله ما في السماوات والأرض ألا إن وعد الله حق ولكن أكثرهم لا يعلمون |
| | | सुन लो, जो कुछ आकाशों और धरती में है, अल्लाह ही का है। जान लो, निस्संदेह अल्लाह का वादा सच्चा है, किन्तु उनमें अधिकतर लोग जानते नहीं |
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1420 | 10 | 56 | هو يحيي ويميت وإليه ترجعون |
| | | वही जिलाता है और मारता है और उसी की ओर तुम लौटाए जा रहे हो |
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