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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
15 | 2 | 8 | ومن الناس من يقول آمنا بالله وباليوم الآخر وما هم بمؤمنين |
| | | कुछ लोग ऐसे हैं जो कहते हैं कि हम अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखते हैं, हालाँकि वे ईमान नहीं रखते |
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16 | 2 | 9 | يخادعون الله والذين آمنوا وما يخدعون إلا أنفسهم وما يشعرون |
| | | वे अल्लाह और ईमानवालों के साथ धोखेबाज़ी कर रहे हैं, हालाँकि धोखा वे स्वयं अपने-आपको ही दे रहे हैं, परन्तु वे इसको महसूस नहीं करते |
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17 | 2 | 10 | في قلوبهم مرض فزادهم الله مرضا ولهم عذاب أليم بما كانوا يكذبون |
| | | उनके दिलों में रोग था तो अल्लाह ने उनके रोग को और बढ़ा दिया और उनके लिए झूठ बोलते रहने के कारण उनके लिए एक दुखद यातना है |
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18 | 2 | 11 | وإذا قيل لهم لا تفسدوا في الأرض قالوا إنما نحن مصلحون |
| | | और जब उनसे कहा जाता है कि "ज़मीन में बिगाड़ पैदा न करो", तो कहते हैं, "हम तो केवल सुधारक है।"" |
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19 | 2 | 12 | ألا إنهم هم المفسدون ولكن لا يشعرون |
| | | जान लो! वही हैं जो बिगाड़ पैदा करते हैं, परन्तु उन्हें एहसास नहीं होता |
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20 | 2 | 13 | وإذا قيل لهم آمنوا كما آمن الناس قالوا أنؤمن كما آمن السفهاء ألا إنهم هم السفهاء ولكن لا يعلمون |
| | | और जब उनसे कहा जाता है, "ईमान लाओ जैसे लोग ईमान लाए हैं", कहते हैं, "क्या हम ईमान लाए जैसे कम समझ लोग ईमान लाए हैं?" जान लो, वही कम समझ हैं परन्तु जानते नहीं |
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21 | 2 | 14 | وإذا لقوا الذين آمنوا قالوا آمنا وإذا خلوا إلى شياطينهم قالوا إنا معكم إنما نحن مستهزئون |
| | | और जब ईमान लानेवालों से मिलते हैं तो कहते, "हम भी ईमान लाए हैं," और जब एकान्त में अपने शैतानों के पास पहुँचते हैं, तो कहते हैं, "हम तो तुम्हारे साथ हैं और यह तो हम केवल परिहास कर रहे हैं।" |
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22 | 2 | 15 | الله يستهزئ بهم ويمدهم في طغيانهم يعمهون |
| | | अल्लाह उनके साथ परिहास कर रहा है और उन्हें उनकी सरकशी में ढील दिए जाता है, वे भटकते फिर रहे हैं |
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23 | 2 | 16 | أولئك الذين اشتروا الضلالة بالهدى فما ربحت تجارتهم وما كانوا مهتدين |
| | | यही वे लोग हैं, जिन्होंने मार्गदर्शन के बदले में गुमराही मोल ली, किन्तु उनके इस व्यापार में न कोई लाभ पहुँचाया, और न ही वे सीधा मार्ग पा सके |
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24 | 2 | 17 | مثلهم كمثل الذي استوقد نارا فلما أضاءت ما حوله ذهب الله بنورهم وتركهم في ظلمات لا يبصرون |
| | | उनकी मिसाल ऐसी हैं जैसे किसी व्यक्ति ने आग जलाई, फिर जब उसने उसके वातावरण को प्रकाशित कर दिया, तो अल्लाह ने उसका प्रकाश ही छीन लिया और उन्हें अँधेरों में छोड़ दिया जिससे उन्हें कुछ सुझाई नहीं दे रहा हैं |
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