بسم الله الرحمن الرحيم

نتائج البحث: 6236
ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
13921028ويوم نحشرهم جميعا ثم نقول للذين أشركوا مكانكم أنتم وشركاؤكم فزيلنا بينهم وقال شركاؤهم ما كنتم إيانا تعبدون
और जिस दिन हम उन सबको इकट्ठा करेंगे, फिर उन लोगों से, जिन्होंने शिर्क किया होगा, कहेंगे, "अपनी जगह ठहरे रहो तुम भी और तुम्हारे साझीदार भी।" फिर हम उनके बीच अलगाव पैदा कर देंगे, और उनके ठहराए हुए साझीदार कहेंगे, "तुम हमारी तो हमारी बन्दगी नहीं करते थे
13931029فكفى بالله شهيدا بيننا وبينكم إن كنا عن عبادتكم لغافلين
"हमारे और तुम्हारे बीच अल्लाह ही एक गवाह काफ़ी है। हमें तो तुम्हारी बन्दगी की ख़बर तक न थी।"
13941030هنالك تبلو كل نفس ما أسلفت وردوا إلى الله مولاهم الحق وضل عنهم ما كانوا يفترون
वहाँ प्रत्येक व्यक्ति अपने पहले के किए हुए कर्मों को स्वयं जाँच लेगा और वह अल्लाह, अपने वास्तविक स्वामी की ओर फिरेंगे और जो कुछ झूठ वे घड़ते रहे थे, वह सब उनसे गुम होकर रह जाएगा
13951031قل من يرزقكم من السماء والأرض أمن يملك السمع والأبصار ومن يخرج الحي من الميت ويخرج الميت من الحي ومن يدبر الأمر فسيقولون الله فقل أفلا تتقون
कहो, "तुम्हें आकाश और धरती से रोज़ी कौन देता है, या ये कान और आँखें किसके अधिकार में है और कौन जीवन्त को निर्जीव से निकालता है और निर्जीव को जीवन्त से निकालता है और कौन यह सारा इन्तिज़ाम चला रहा है?" इसपर वे बोल पड़ेगे, "अल्लाह!" तो कहो, "फिर आख़िर तुम क्यों नहीं डर रखते?"
13961032فذلكم الله ربكم الحق فماذا بعد الحق إلا الضلال فأنى تصرفون
फिर यही अल्लाह तो है तुम्हारा वास्तविक रब। फिर आख़िर सत्य के पश्चात पथभ्रष्टता के अतिरिक्त और क्या रह जाता है? फिर तुम कहाँ से फिरे जाते हो?
13971033كذلك حقت كلمت ربك على الذين فسقوا أنهم لا يؤمنون
इसी तरह अवज्ञाकारी लोगों के प्रति तुम्हारे रब की बात सच्ची होकर रही कि वे मानेंगे नहीं
13981034قل هل من شركائكم من يبدأ الخلق ثم يعيده قل الله يبدأ الخلق ثم يعيده فأنى تؤفكون
कहो, "क्या तुम्हारे ठहराए हुए साझीदारों में कोई है जो सृष्टि का आरम्भ भी करता हो, फिर उसकी पुनरावृत्ति भी करे?" कहो, "अल्लाह ही सृष्टि का आरम्भ करता है और वही उसकी पुनरावृति भी; आख़िर तुम कहाँ औधे हुए जाते हो?"
13991035قل هل من شركائكم من يهدي إلى الحق قل الله يهدي للحق أفمن يهدي إلى الحق أحق أن يتبع أمن لا يهدي إلا أن يهدى فما لكم كيف تحكمون
कहो, "क्या तुम्हारे ठहराए साझीदारों में कोई है जो सत्य की ओर मार्गदर्शन करे?" कहो, "अल्लाह ही सत्य के मार्ग पर चलाता है। फिर जो सत्य की ओर मार्गदर्शन करता हो, वह इसका ज़्यादा हक़दार है कि उसका अनुसरण किया जाए या वह जो स्वयं ही मार्ग न पाए जब तक कि उसे मार्ग न दिखाया जाए? फिर यह तुम्हें क्या हो गया है, तुम कैसे फ़ैसले कर रहे हो?"
14001036وما يتبع أكثرهم إلا ظنا إن الظن لا يغني من الحق شيئا إن الله عليم بما يفعلون
और उनमें से अधिकतर तो बस अटकल पर चलते है। निश्चय ही अटकल सत्य को कुछ भी दूर नहीं कर सकती। वे जो कुछ कर रहे हैं अल्लाह उसको भली-भाँति जानता है
14011037وما كان هذا القرآن أن يفترى من دون الله ولكن تصديق الذي بين يديه وتفصيل الكتاب لا ريب فيه من رب العالمين
यह क़ुरआन ऐसा नहीं है कि अल्लाह से हटकर घड लिया जाए, बल्कि यह तो जिसके समझ है, उसकी पुष्टि में है और किताब का विस्तार है, जिसमें किसी संदेह की गुंजाइश नहीं। यह सारे संसार के रब की ओर से है


0 ... 129.1 130.1 131.1 132.1 133.1 134.1 135.1 136.1 137.1 138.1 140.1 141.1 142.1 143.1 144.1 145.1 146.1 147.1 148.1 ... 623

إنتاج هذه المادة أخد: 0.02 ثانية


المغرب.كووم © ٢٠٠٩ - ١٤٣٠ © الحـمـد لله الـذي سـخـر لـنا هـذا :: وقف لله تعالى وصدقة جارية

119213452628294145534112416928793704227