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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1378 | 10 | 14 | ثم جعلناكم خلائف في الأرض من بعدهم لننظر كيف تعملون |
| | | फिर हमने उनके बाद तुमको ज़मीन में (उनका) जानशीन बनाया ताकि हम (भी) देखें कि तुम किस तरह काम करते हो |
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1379 | 10 | 15 | وإذا تتلى عليهم آياتنا بينات قال الذين لا يرجون لقاءنا ائت بقرآن غير هذا أو بدله قل ما يكون لي أن أبدله من تلقاء نفسي إن أتبع إلا ما يوحى إلي إني أخاف إن عصيت ربي عذاب يوم عظيم |
| | | और जब उन लोगों के सामने हमारी रौशन आयते पढ़ीं जाती हैं तो जिन लोगों को (मरने के बाद) हमारी हुजूरी का खटका नहीं है वह कहते है कि हमारे सामने इसके अलावा कोई दूसरा (कुरान लाओ या उसका रद्दो बदल कर डालो (ऐ रसूल तुम कह दो कि मुझे ये एख्तेयार नहीं कि मै उसे अपने जी से बदल डालूँ मै तो बस उसी का पाबन्द हूँ जो मेरी तरफ वही की गई है मै तो अगर अपने परवरदिगार की नाफरमानी करु तो बड़े (कठिन) दिन के अज़ाब से डरता हूँ |
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1380 | 10 | 16 | قل لو شاء الله ما تلوته عليكم ولا أدراكم به فقد لبثت فيكم عمرا من قبله أفلا تعقلون |
| | | (ऐ रसूल) कह दो कि ख़ुदा चाहता तो मै न तुम्हारे सामने इसको पढ़ता और न वह तुम्हें इससे आगाह करता क्योंकि मै तो (आख़िर) तुमने इससे पहले मुद्दतों रह चुका हूँ (और कभी 'वही' का नाम भी न लिया) |
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1381 | 10 | 17 | فمن أظلم ممن افترى على الله كذبا أو كذب بآياته إنه لا يفلح المجرمون |
| | | तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते तो जो शख़्स ख़ुदा पर झूठ बोहतान बॉधे या उसकी आयतो को झुठलाए उससे बढ़ कर और ज़ालिम कौन होगा इसमें शक़ नहीं कि (ऐसे) गुनाहगार कामयाब नहीं हुआ करते |
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1382 | 10 | 18 | ويعبدون من دون الله ما لا يضرهم ولا ينفعهم ويقولون هؤلاء شفعاؤنا عند الله قل أتنبئون الله بما لا يعلم في السماوات ولا في الأرض سبحانه وتعالى عما يشركون |
| | | या लोग ख़ुदा को छोड़ कर ऐसी चीज़ की परसतिश करते है जो न उनको नुकसान ही पहुँचा सकती है न नफा और कहते हैं कि ख़ुदा के यहाँ यही लोग हमारे सिफारिशी होगे (ऐ रसूल) तुम (इनसे) कहो तो क्या तुम ख़ुदा को ऐसी चीज़ की ख़बर देते हो जिसको वह न तो आसमानों में (कहीं) पाता है और न ज़मीन में ये लोग जिस चीज़ को उसका शरीक बनाते है |
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1383 | 10 | 19 | وما كان الناس إلا أمة واحدة فاختلفوا ولولا كلمة سبقت من ربك لقضي بينهم فيما فيه يختلفون |
| | | उससे वह पाक साफ और बरतर है और सब लोग तो (पहले) एक ही उम्मत थे और (ऐ रसूल) अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से एक बात (क़यामत का वायदा) पहले न हो चुकी होती जिसमें ये लोग एख्तिलाफ कर रहे हैं उसका फैसला उनके दरमियान (कब न कब) कर दिया गया होता |
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1384 | 10 | 20 | ويقولون لولا أنزل عليه آية من ربه فقل إنما الغيب لله فانتظروا إني معكم من المنتظرين |
| | | और कहते हैं कि उस पैग़म्बर पर कोई मोजिज़ा (हमारी ख्वाहिश के मुवाफिक़) क्यों नहीं नाज़िल किया गया तो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ग़ैब (दानी) तो सिर्फ ख़ुदा के वास्ते ख़ास है तो तुम भी इन्तज़ार करो और तुम्हारे साथ मै (भी) यक़ीनन इन्तज़ार करने वालों में हूँ |
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1385 | 10 | 21 | وإذا أذقنا الناس رحمة من بعد ضراء مستهم إذا لهم مكر في آياتنا قل الله أسرع مكرا إن رسلنا يكتبون ما تمكرون |
| | | और लोगों को जो तकलीफ पहुँची उसके बाद जब हमने अपनी रहमत का जाएक़ा चखा दिया तो यकायक उन लोगों से हमारी आयतों में हीले बाज़ी शुरू कर दी (ऐ रसूल) तुम कह दो कि तद्बीर में ख़ुदा सब से ज्यादा तेज़ है तुम जो कुछ मक्कारी करते हो वह हमारे भेजे हुए (फरिश्ते) लिखते जाते हैं |
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1386 | 10 | 22 | هو الذي يسيركم في البر والبحر حتى إذا كنتم في الفلك وجرين بهم بريح طيبة وفرحوا بها جاءتها ريح عاصف وجاءهم الموج من كل مكان وظنوا أنهم أحيط بهم دعوا الله مخلصين له الدين لئن أنجيتنا من هذه لنكونن من الشاكرين |
| | | वह वही ख़ुदा है जो तुम्हें ख़ुश्की और दरिया में सैर कराता फिरता है यहाँ तक कि जब (कभी) तुम कश्तियों पर सवार होते हो और वह उन लोगों को बाद मुवाफिक़ (हवा के धारे) की मदद से लेकर चली और लोग उस (की रफ्तार) से ख़ुश हुए (यकायक) कश्ती पर हवा का एक झोंका आ पड़ा और (आना था कि) हर तरफ से उस पर लहरें (बढ़ी चली) आ रही हैं और उन लोगों ने समझ लिया कि अब घिर गए (और जान न बचेगी) तब अपने अक़ीदे को उसके वास्ते निरा खरा करके खुदा से दुआएँ मागँने लगते हैं कि (ख़ुदाया) अगर तूने इस (मुसीबत) से हमें नजात दी तो हम ज़रुर बड़े शुक्र गुज़ार होंगे |
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1387 | 10 | 23 | فلما أنجاهم إذا هم يبغون في الأرض بغير الحق يا أيها الناس إنما بغيكم على أنفسكم متاع الحياة الدنيا ثم إلينا مرجعكم فننبئكم بما كنتم تعملون |
| | | फिर जब ख़ुदा ने उन्हें नजात दी तो वह लोग ज़मीन पर (कदम रखते ही) फौरन नाहक़ सरकशी करने लगते हैं (ऐ लोगों तुम्हारी सरकशी का वबाल) तो तुम्हारी ही जान पर है - (ये भी) दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी का फायदा है फिर आख़िर हमारी (ही) तरफ तुमको लौटकर आना है तो (उस वक्त) हम तुमको जो कुछ (दुनिया में) करते थे बता देगे |
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