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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1341 | 9 | 106 | وآخرون مرجون لأمر الله إما يعذبهم وإما يتوب عليهم والله عليم حكيم |
| | | और कुछ लोग हैं जो हुक्मे ख़ुदा के उम्मीदवार किए गए हैं (उसको अख्तेयार है) ख्वाह उन पर अज़ाब करे या उन पर मेहरबानी करे और ख़ुदा (तो) बड़ा वाकिफकार हिकमत वाला है |
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1342 | 9 | 107 | والذين اتخذوا مسجدا ضرارا وكفرا وتفريقا بين المؤمنين وإرصادا لمن حارب الله ورسوله من قبل وليحلفن إن أردنا إلا الحسنى والله يشهد إنهم لكاذبون |
| | | और (वह लोग भी मुनाफिक़ हैं) जिन्होने (मुसलमानों के) नुकसान पहुंचाने और कुफ़्र करने वाले और मोमिनीन के दरमियान तफरक़ा (फूट) डालते और उस शख़्स की घात में बैठने के वास्ते मस्जिद बनाकर खड़ी की है जो ख़ुदा और उसके रसूल से पहले लड़ चुका है (और लुत्फ़ तो ये है कि) ज़रूर क़समें खाएगें कि हमने भलाई के सिवा कुछ और इरादा ही नहीं किया और ख़ुदा ख़ुद गवाही देता है |
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1343 | 9 | 108 | لا تقم فيه أبدا لمسجد أسس على التقوى من أول يوم أحق أن تقوم فيه فيه رجال يحبون أن يتطهروا والله يحب المطهرين |
| | | ये लोग यक़ीनन झूठे है (ऐ रसूल) तुम इस (मस्जिद) में कभी खड़े भी न होना वह मस्जिद जिसकी बुनियाद अव्वल रोज़ से परहेज़गारी पर रखी गई है वह ज़रूर उसकी ज्यादा हक़दार है कि तुम उसमें खडे होकर (नमाज़ पढ़ो क्योंकि) उसमें वह लोग हैं जो पाक व पाकीज़ा रहने को पसन्द करते हैं और ख़ुदा भी पाक व पाकीज़ा रहने वालों को दोस्त रखता है |
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1344 | 9 | 109 | أفمن أسس بنيانه على تقوى من الله ورضوان خير أم من أسس بنيانه على شفا جرف هار فانهار به في نار جهنم والله لا يهدي القوم الظالمين |
| | | क्या जिस शख़्स ने ख़ुदा के ख़ौफ और ख़ुशनूदी पर अपनी इमारत की बुनियाद डाली हो वह ज्यादा अच्छा है या वह शख़्स जिसने अपनी इमारत की बुनियाद इस बोदे किनारे के लब पर रखी हो जिसमें दरार पड़ चुकी हो और अगर वह चाहता हो फिर उसे ले दे के जहन्नुम की आग में फट पडे और ख़ुदा ज़ालिम लोगों को मंज़िलें मक़सूद तक नहीं पहुंचाया करता |
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1345 | 9 | 110 | لا يزال بنيانهم الذي بنوا ريبة في قلوبهم إلا أن تقطع قلوبهم والله عليم حكيم |
| | | (ये इमारत की) बुनियाद जो उन लोगों ने क़ायम की उसके सबब से उनके दिलो में हमेशा धरपकड़ रहेगी यहाँ तक कि उनके दिलों के परख़चे उड़ जाएँ और ख़ुदा तो बड़ा वाक़िफकार हकीम हैं |
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1346 | 9 | 111 | إن الله اشترى من المؤمنين أنفسهم وأموالهم بأن لهم الجنة يقاتلون في سبيل الله فيقتلون ويقتلون وعدا عليه حقا في التوراة والإنجيل والقرآن ومن أوفى بعهده من الله فاستبشروا ببيعكم الذي بايعتم به وذلك هو الفوز العظيم |
| | | इसमें तो शक़ ही नहीं कि ख़ुदा ने मोमिनीन से उनकी जानें और उनके माल इस बात पर ख़रीद लिए हैं कि (उनकी क़ीमत) उनके लिए बेहश्त है (इसी वजह से) ये लोग ख़ुदा की राह में लड़ते हैं तो (कुफ्फ़ार को) मारते हैं और ख़ुद (भी) मारे जाते हैं (ये) पक्का वायदा है (जिसका पूरा करना) ख़ुदा पर लाज़िम है और ऐसा पक्का है कि तौरैत और इन्जील और क़ुरान (सब) में (लिखा हुआ है) और अपने एहद का पूरा करने वाला ख़ुदा से बढ़कर कौन है तुम तो अपनी ख़रीद फरोख्त से जो तुमने ख़ुदा से की है खुशियाँ मनाओ यही तो बड़ी कामयाबी है |
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1347 | 9 | 112 | التائبون العابدون الحامدون السائحون الراكعون الساجدون الآمرون بالمعروف والناهون عن المنكر والحافظون لحدود الله وبشر المؤمنين |
| | | (ये लोग) तौबा करने वाले इबादत गुज़ार (ख़ुदा की) हम्दो सना (तारीफ़) करने वाले (उस की राह में) सफर करने वाले रूकूउ करने वाले सजदा करने वाले नेक काम का हुक्म करने वाले और बुरे काम से रोकने वाले और ख़ुदा की (मुक़र्रर की हुई) हदो को निगाह रखने वाले हैं और (ऐ रसूल) उन मोमिनीन को (बेहिश्त की) ख़ुशख़बरी दे दो |
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1348 | 9 | 113 | ما كان للنبي والذين آمنوا أن يستغفروا للمشركين ولو كانوا أولي قربى من بعد ما تبين لهم أنهم أصحاب الجحيم |
| | | नबी और मोमिनीन पर जब ज़ाहिर हो चुका कि मुशरेकीन जहन्नुमी है तो उसके बाद मुनासिब नहीं कि उनके लिए मग़फिरत की दुआएं माँगें अगरचे वह मुशरेकीन उनके क़राबतदार हो (क्यों न) हो |
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1349 | 9 | 114 | وما كان استغفار إبراهيم لأبيه إلا عن موعدة وعدها إياه فلما تبين له أنه عدو لله تبرأ منه إن إبراهيم لأواه حليم |
| | | और इबराहीम का अपने बाप के लिए मग़फिरत की दुआ माँगना सिर्फ इस वायदे की वजह से था जो उन्होंने अपने बाप से कर लिया था फिर जब उनको मालूम हो गया कि वह यक़ीनी ख़ुदा का दुश्मन है तो उससे बेज़ार हो गए, बेशक इबराहीम यक़ीनन बड़े दर्दमन्द बुर्दबार (सहन करने वाले) थे |
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1350 | 9 | 115 | وما كان الله ليضل قوما بعد إذ هداهم حتى يبين لهم ما يتقون إن الله بكل شيء عليم |
| | | ख़ुदा की ये शान नहीं कि किसी क़ौम को जब उनकी हिदायत कर चुका हो उसके बाद बेशक ख़ुदा उन्हें गुमराह कर दे हत्ता (यहां तक) कि वह उन्हीं चीज़ों को बता दे जिससे वह परहेज़ करें बेशक ख़ुदा हर चीज़ से (वाक़िफ है) |
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