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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1316 | 9 | 81 | فرح المخلفون بمقعدهم خلاف رسول الله وكرهوا أن يجاهدوا بأموالهم وأنفسهم في سبيل الله وقالوا لا تنفروا في الحر قل نار جهنم أشد حرا لو كانوا يفقهون |
| | | (जंगे तबूक़ में) रसूले ख़ुदा के पीछे रह जाने वाले अपनी जगह बैठ रहने (और जिहाद में न जाने) से ख़ुश हुए और अपने माल और आपनी जानों से ख़ुदा की राह में जिहाद करना उनको मकरू मालूम हुआ और कहने लगे (इस) गर्मी में (घर से) न निकलो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि जहन्नुम की आग (जिसमें तुम चलोगे उससे कहीं ज्यादा गर्म है |
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1317 | 9 | 82 | فليضحكوا قليلا وليبكوا كثيرا جزاء بما كانوا يكسبون |
| | | अगर वह कुछ समझें जो कुछ वह किया करते थे उसके बदले उन्हें चाहिए कि वह बहुत कम हॅसें और बहुत रोएँ |
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1318 | 9 | 83 | فإن رجعك الله إلى طائفة منهم فاستأذنوك للخروج فقل لن تخرجوا معي أبدا ولن تقاتلوا معي عدوا إنكم رضيتم بالقعود أول مرة فاقعدوا مع الخالفين |
| | | तो (ऐ रसूल) अगर ख़ुदा तुम इन मुनाफेक़ीन के किसी गिरोह की तरफ (जिहाद से सहीसालिम) वापस लाए फिर तुमसे (जिहाद के वास्ते) निकलने की इजाज़त माँगें तो तुम साफ़ कह दो कि तुम मेरे साथ (जिहाद के वास्ते) हरगिज़ न निकलने पाओगे और न हरगिज़ दुश्मन से मेरे साथ लड़ने पाओगे जब तुमने पहली मरतबा (घर में) बैठे रहना पसन्द किया तो (अब भी) पीछे रह जाने वालों के साथ (घर में) बैठे रहो |
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1319 | 9 | 84 | ولا تصل على أحد منهم مات أبدا ولا تقم على قبره إنهم كفروا بالله ورسوله وماتوا وهم فاسقون |
| | | और (ऐ रसूल) उन मुनाफिक़ीन में से जो मर जाए तो कभी ना किसी पर नमाजे ज़नाज़ा पढ़ना और न उसकी क़ब्र पर (जाकर) खडे होना इन लोगों ने यक़ीनन ख़ुदा और उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया और बदकारी की हालत में मर (भी) गए |
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1320 | 9 | 85 | ولا تعجبك أموالهم وأولادهم إنما يريد الله أن يعذبهم بها في الدنيا وتزهق أنفسهم وهم كافرون |
| | | और उनके माल और उनकी औलाद (की कसरत) तुम्हें ताज्जुब (हैरत) में न डाले (क्योकि) ख़ुदा तो बस ये चाहता है कि दुनिया में भी उनके माल और औलाद की बदौलत उनको अज़ाब में मुब्तिला करे और उनकी जान निकालने लगे तो उस वक्त भी ये काफ़िर (के काफ़िर ही) रहें |
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1321 | 9 | 86 | وإذا أنزلت سورة أن آمنوا بالله وجاهدوا مع رسوله استأذنك أولو الطول منهم وقالوا ذرنا نكن مع القاعدين |
| | | और जब कोई सूरा इस बारे में नाज़िल हुआ कि ख़ुदा को मानों और उसके रसूल के साथ जिहाद करो तो जो उनमें से दौलत वाले हैं वह तुमसे इजाज़त मांगते हैं और कहते हैं कि हमें (यहीं छोड़ दीजिए) कि हम भी (घर बैठने वालो के साथ (बैठे) रहें |
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1322 | 9 | 87 | رضوا بأن يكونوا مع الخوالف وطبع على قلوبهم فهم لا يفقهون |
| | | ये इस बात से ख़ुश हैं कि पीछे रह जाने वालों (औरतों, बच्चों, बीमारो के साथ बैठे) रहें और (गोया) उनके दिल पर मोहर कर दी गई तो ये कुछ नहीं समझतें |
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1323 | 9 | 88 | لكن الرسول والذين آمنوا معه جاهدوا بأموالهم وأنفسهم وأولئك لهم الخيرات وأولئك هم المفلحون |
| | | मगर रसूल और जो लोग उनके साथ ईमान लाए हैं उन लोगों ने अपने अपने माल और अपनी अपनी जानों से जिहाद किया- यही वह लोग हैं जिनके लिए (हर तरह की) भलाइयाँ हैं और यही लोग कामयाब होने वाले हैं |
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1324 | 9 | 89 | أعد الله لهم جنات تجري من تحتها الأنهار خالدين فيها ذلك الفوز العظيم |
| | | ख़ुदा ने उनके वास्ते (बेहश्त) के वह (हरे भरे) बाग़ तैयार कर रखे हैं जिनके (दरख्तों के) नीचे नहरे जारी हैं (और ये) इसमें हमेशा रहेंगें यही तो बड़ी कामयाबी हैं |
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1325 | 9 | 90 | وجاء المعذرون من الأعراب ليؤذن لهم وقعد الذين كذبوا الله ورسوله سيصيب الذين كفروا منهم عذاب أليم |
| | | और (तुम्हारे पास) कुछ हीला करने वाले गवार देहाती (भी) आ मौजदू हुए ताकि उनको भी (पीछे रह जाने की) इजाज़त दी जाए और जिन लोगों ने ख़ुदा और उसके रसूल से झूठ कहा था वह (घर में) बैठ रहे (आए तक नहीं) उनमें से जिन लोगों ने कुफ़्र एख्तेयार किया अनक़रीब ही उन पर दर्दनाक अज़ाब आ पहुँचेगा |
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