بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
1307972وعد الله المؤمنين والمؤمنات جنات تجري من تحتها الأنهار خالدين فيها ومساكن طيبة في جنات عدن ورضوان من الله أكبر ذلك هو الفوز العظيم
ख़ुदा ने ईमानदार मर्दों और ईमानदारा औरतों से (बेहश्त के) उन बाग़ों का वायदा कर लिया है जिनके नीचे नहरें जारी हैं और वह उनमें हमेशा रहेगें (बेहश्त) अदन के बाग़ो में उम्दा उम्दा मकानात का (भी वायदा फरमाया) और ख़ुदा की ख़ुशनूदी उन सबसे बालातर है- यही तो बड़ी (आला दर्जे की) कामयाबी है
1308973يا أيها النبي جاهد الكفار والمنافقين واغلظ عليهم ومأواهم جهنم وبئس المصير
ऐ रसूल कुफ्फ़ार के साथ (तलवार से) और मुनाफिकों के साथ (ज़बान से) जिहाद करो और उन पर सख्ती करो और उनका ठिकाना तो जहन्नुम ही है और वह (क्या) बुरी जगह है
1309974يحلفون بالله ما قالوا ولقد قالوا كلمة الكفر وكفروا بعد إسلامهم وهموا بما لم ينالوا وما نقموا إلا أن أغناهم الله ورسوله من فضله فإن يتوبوا يك خيرا لهم وإن يتولوا يعذبهم الله عذابا أليما في الدنيا والآخرة وما لهم في الأرض من ولي ولا نصير
ये मुनाफेक़ीन ख़ुदा की क़समें खाते है कि (कोई बुरी बात) नहीं कही हालॉकि उन लोगों ने कुफ़्र का कलमा ज़रूर कहा और अपने इस्लाम के बाद काफिर हो गए और जिस बात पर क़ाबू न पा सके उसे ठान बैठे और उन लोगें ने (मुसलमानों से) सिर्फ इस वजह से अदावत की कि अपने फज़ल व करम से ख़ुदा और उसके रसूल ने दौलत मन्द बना दिया है तो उनके लिए उसमें ख़ैर है कि ये लोग अब भी तौबा कर लें और अगर ये न मानेगें तो ख़ुदा उन पर दुनिया और आख़िरत में दर्दनाक अज़ाब नाज़िल फरमाएगा और तमाम दुनिया में उन का न कोई हामी होगा और न मददगार
1310975ومنهم من عاهد الله لئن آتانا من فضله لنصدقن ولنكونن من الصالحين
और इन (मुनाफेक़ीन) में से बाज़ ऐसे भी हैं जो ख़ुदा से क़ौल क़रार कर चुके थे कि अगर हमें अपने फज़ल (व करम) से (कुछ माल) देगा तो हम ज़रूर ख़ैरात किया करेगें और नेकोकार बन्दे हो जाऎंगे
1311976فلما آتاهم من فضله بخلوا به وتولوا وهم معرضون
तो जब ख़ुदा ने अपने फज़ल (व करम) से उन्हें अता फरमाया-तो लगे उसमें बुख्ल करने और कतराकर मुंह फेरने
1312977فأعقبهم نفاقا في قلوبهم إلى يوم يلقونه بما أخلفوا الله ما وعدوه وبما كانوا يكذبون
फिर उनसे उनके ख़ामयाजे (बदले) में अपनी मुलाक़ात के दिन (क़यामत) तक उनके दिल में (गोया खुद) निफाक डाल दिया इस वजह से उन लोगों ने जो ख़ुदा से वायदा किया था उसके ख़िलाफ किया और इस वजह से कि झूठ बोला करते थे
1313978ألم يعلموا أن الله يعلم سرهم ونجواهم وأن الله علام الغيوب
क्या वह लोग इतना भी न जानते थे कि ख़ुदा (उनके) सारे भेद और उनकी सरगोशी (सब कुछ) जानता है और ये कि ग़ैब की बातों से ख़ूब आगाह है
1314979الذين يلمزون المطوعين من المؤمنين في الصدقات والذين لا يجدون إلا جهدهم فيسخرون منهم سخر الله منهم ولهم عذاب أليم
जो लोग दिल खोलकर ख़ैरात करने वाले मोमिनीन पर (रियाकारी का) और उन मोमिनीन पर जो सिर्फ अपनी शफ़क़क़्त (मेहनत) की मज़दूरी पाते (शेख़ी का) इल्ज़ाम लगाते हैं फिर उनसे मसख़रापन करते तो ख़ुदा भी उन से मसख़रापन करेगा और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है
1315980استغفر لهم أو لا تستغفر لهم إن تستغفر لهم سبعين مرة فلن يغفر الله لهم ذلك بأنهم كفروا بالله ورسوله والله لا يهدي القوم الفاسقين
(ऐ रसूल) ख्वाह तुम उन (मुनाफिक़ों) के लिए मग़फिरत की दुआ मॉगों या उनके लिए मग़फिरत की दुआ न मॉगों (उनके लिए बराबर है) तुम उनके लिए सत्तर बार भी बख्शिस की दुआ मांगोगे तो भी ख़ुदा उनको हरगिज़ न बख्शेगा ये (सज़ा) इस सबब से है कि उन लोगों ने ख़ुदा और उसके रसूल के साथ कुफ्र किया और ख़ुदा बदकार लोगों को मंज़िलें मकसूद तक नहीं पहुँचाया करता
1316981فرح المخلفون بمقعدهم خلاف رسول الله وكرهوا أن يجاهدوا بأموالهم وأنفسهم في سبيل الله وقالوا لا تنفروا في الحر قل نار جهنم أشد حرا لو كانوا يفقهون
(जंगे तबूक़ में) रसूले ख़ुदा के पीछे रह जाने वाले अपनी जगह बैठ रहने (और जिहाद में न जाने) से ख़ुश हुए और अपने माल और आपनी जानों से ख़ुदा की राह में जिहाद करना उनको मकरू मालूम हुआ और कहने लगे (इस) गर्मी में (घर से) न निकलो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि जहन्नुम की आग (जिसमें तुम चलोगे उससे कहीं ज्यादा गर्म है


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