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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1301 | 9 | 66 | لا تعتذروا قد كفرتم بعد إيمانكم إن نعف عن طائفة منكم نعذب طائفة بأنهم كانوا مجرمين |
| | | "बहाने न बनाओ, तुमने अपने ईमान के पश्चात इनकार किया। यदि हम तुम्हारे कुछ लोगों को क्षमा भी कर दें तो भी कुछ लोगों को यातना देकर ही रहेंगे, क्योंकि वे अपराधी हैं।" |
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1302 | 9 | 67 | المنافقون والمنافقات بعضهم من بعض يأمرون بالمنكر وينهون عن المعروف ويقبضون أيديهم نسوا الله فنسيهم إن المنافقين هم الفاسقون |
| | | मुनाफ़िक़ पुरुष और मुनाफ़िक़ स्त्रियाँ सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। वे बुराई का हुक्म देते है और भलाई से रोकते है और हाथों को बन्द किए रहते है। वे अल्लाह को भूल बैठे तो उसने भी उन्हें भुला दिया। निश्चय ही मुनाफ़िक़ अवज्ञाकारी हैं |
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1303 | 9 | 68 | وعد الله المنافقين والمنافقات والكفار نار جهنم خالدين فيها هي حسبهم ولعنهم الله ولهم عذاب مقيم |
| | | अल्लाह ने मुनाफ़िक़ पुरुषों और मुनाफ़िक़ स्त्रियों और इनकार करनेवालों से जहन्नम की आग का वादा किया है, जिसमें वे सदैव ही रहेंगे। वही उनके लिए काफ़ी है और अल्लाह ने उनपर लानत की, और उनके लिए स्थाई यातना है |
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1304 | 9 | 69 | كالذين من قبلكم كانوا أشد منكم قوة وأكثر أموالا وأولادا فاستمتعوا بخلاقهم فاستمتعتم بخلاقكم كما استمتع الذين من قبلكم بخلاقهم وخضتم كالذي خاضوا أولئك حبطت أعمالهم في الدنيا والآخرة وأولئك هم الخاسرون |
| | | उन लोगों की तरह, जो तुमसे पहले गुज़र चुके हैं, वे शक्ति में तुमसे बढ़-बढ़कर थे और माल और औलाद में भी बढ़े हुए थे। फिर उन्होंने अपने हिस्से का मज़ा उठाना चाहा और तुमने भी अपने हिस्से का मज़ा उठाना चाहा, जिस प्रकार कि तुमसे पहले के लोगों ने अपने हिस्से का मज़ा उठाना चाहा, और जिस वाद-विवाद में तुम पड़े थे तुम भी वाद-विवाद में पड़ गए। ये वही लोग है जिनका किया-धरा दुनिया और आख़िरत में अकारथ गया, और वही घाटे में है |
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1305 | 9 | 70 | ألم يأتهم نبأ الذين من قبلهم قوم نوح وعاد وثمود وقوم إبراهيم وأصحاب مدين والمؤتفكات أتتهم رسلهم بالبينات فما كان الله ليظلمهم ولكن كانوا أنفسهم يظلمون |
| | | क्या उन्हें उन लोगों का वृतान्त नहीं पहुँचा जो उनसे पहले गुज़रे - नूह के लोगो का, आद और समूद का, और इबराहीम की क़ौम का और मदयनवालों का और उन बस्तियों का जिन्हें उलट दिया गया? उसके रसूल उनके पास खुली निशानियाँ लेकर आए थे, फिर अल्लाह ऐसा न था कि वह उनपर अत्याचार करता, किन्तु वे स्वयं अपने-आप पर अत्याचार कर रहे थे |
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1306 | 9 | 71 | والمؤمنون والمؤمنات بعضهم أولياء بعض يأمرون بالمعروف وينهون عن المنكر ويقيمون الصلاة ويؤتون الزكاة ويطيعون الله ورسوله أولئك سيرحمهم الله إن الله عزيز حكيم |
| | | रहे मोमिन मर्द औऱ मोमिन औरतें, वे सब परस्पर एक-दूसरे के मित्र है। भलाई का हुक्म देते है और बुराई से रोकते है। नमाज़ क़ायम करते हैं, ज़कात देते है और अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञापालन करते हैं। ये वे लोग है, जिनकर शीघ्र ही अल्लाह दया करेगा। निस्सन्देह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है |
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1307 | 9 | 72 | وعد الله المؤمنين والمؤمنات جنات تجري من تحتها الأنهار خالدين فيها ومساكن طيبة في جنات عدن ورضوان من الله أكبر ذلك هو الفوز العظيم |
| | | मोमिन मर्दों और मोमिन औरतों से अल्लाह ने ऐसे बाग़ों का वादा किया है जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी, जिनमें वे सदैव रहेंगे और सदाबहार बाग़ों में पवित्र निवास गृहों का (भी वादा है) और, अल्लाह की प्रसन्नता और रज़ामन्दी का; जो सबसे बढ़कर है। यही सबसे बड़ी सफलता है |
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1308 | 9 | 73 | يا أيها النبي جاهد الكفار والمنافقين واغلظ عليهم ومأواهم جهنم وبئس المصير |
| | | ऐ नबी! इनकार करनेवालों और मुनाफ़िक़ों से जिहाद करो और उनके साथ सख़्ती से पेश आओ। अन्ततः उनका ठिकाना जहन्नम है और वह जा पहुँचने की बहुत बुरी जगह है! |
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1309 | 9 | 74 | يحلفون بالله ما قالوا ولقد قالوا كلمة الكفر وكفروا بعد إسلامهم وهموا بما لم ينالوا وما نقموا إلا أن أغناهم الله ورسوله من فضله فإن يتوبوا يك خيرا لهم وإن يتولوا يعذبهم الله عذابا أليما في الدنيا والآخرة وما لهم في الأرض من ولي ولا نصير |
| | | वे अल्लाह की क़समें खाते है कि उन्होंने नहीं कहा, हालाँकि उन्होंने अवश्य ही कुफ़्र की बात कही है और अपने इस्लाम स्वीकार करने के पश्चात इनकार किया, और वह चाहा जो वे न पा सके। उनके प्रतिशोध का कारण तो यह है कि अल्लाह और उसके रसूल ने अपने अनुग्रह से उन्हें समृद्ध कर दिया। अब यदि वे तौबा कर लें तो उन्हीं के लिए अच्छा है और यदि उन्होंने मुँह मोड़ा तो अल्लाह उन्हें दुनिया और आख़िरत में दुखद यातना देगा और धरती में उनका न कोई मित्र होगा और न सहायक |
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1310 | 9 | 75 | ومنهم من عاهد الله لئن آتانا من فضله لنصدقن ولنكونن من الصالحين |
| | | और उनमें से कुछ लोग ऐसे भी है जिन्होने अल्लाह को वचन दिया था कि "यदि उसने हमें अपने अनुग्रह से दिया तो हम अवश्य दान करेंगे और नेक होकर रहेंगे।" |
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