نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1290 | 9 | 55 | فلا تعجبك أموالهم ولا أولادهم إنما يريد الله ليعذبهم بها في الحياة الدنيا وتزهق أنفسهم وهم كافرون |
| | | अतः उनके माल तुम्हें मोहित न करें और न उनकी सन्तान ही। अल्लाह तो बस यह चाहता है कि उनके द्वारा उन्हें सांसारिक जीवन में यातना दे और उनके प्राण इस दशा में निकलें कि वे इनकार करनेवाले ही रहे |
|
1291 | 9 | 56 | ويحلفون بالله إنهم لمنكم وما هم منكم ولكنهم قوم يفرقون |
| | | वे अल्लाह की क़समें खाते है कि वे तुम्हीं में से है, हालाँकि वे तुममें से नहीं है, बल्कि वे ऐसे लोग है जो त्रस्त रहते है |
|
1292 | 9 | 57 | لو يجدون ملجأ أو مغارات أو مدخلا لولوا إليه وهم يجمحون |
| | | यदि वे कोई शरण पा लें या कोई गुफा या घुस बैठने की जगह, तो अवश्य ही वे बगटुट उसकी ओर उल्टे भाग जाएँ |
|
1293 | 9 | 58 | ومنهم من يلمزك في الصدقات فإن أعطوا منها رضوا وإن لم يعطوا منها إذا هم يسخطون |
| | | और उनमें से कुछ लोग सदक़ो के विषय में तुम पर चोटे करते है। किन्तु यदि उन्हें उसमें से दे दिया जाए तो प्रसन्न हो जाएँ और यदि उन्हें उसमें से न दिया गया तो क्या देखोगे कि वे क्रोधित होने लगते है |
|
1294 | 9 | 59 | ولو أنهم رضوا ما آتاهم الله ورسوله وقالوا حسبنا الله سيؤتينا الله من فضله ورسوله إنا إلى الله راغبون |
| | | यदि अल्लाह और उसके रसूल ने जो कुछ उन्हें दिया था, उसपर वे राज़ी रहते औऱ कहते कि "हमारे लिए अल्लाह काफ़ी है। अल्लाह हमें जल्द ही अपने अनुग्रह से देगा और उसका रसूल भी। हम तो अल्लाह ही की ओऱ उन्मुख है।" (तो यह उनके लिए अच्छा होता) |
|
1295 | 9 | 60 | إنما الصدقات للفقراء والمساكين والعاملين عليها والمؤلفة قلوبهم وفي الرقاب والغارمين وفي سبيل الله وابن السبيل فريضة من الله والله عليم حكيم |
| | | सदक़े तो बस ग़रीबों, मुहताजों और उन लोगों के लिए है, जो काम पर नियुक्त हों और उनके लिए जिनके दिलों को आकृष्ट करना औऱ परचाना अभीष्ट हो और गर्दनों को छुड़ाने और क़र्ज़दारों और तावान भरनेवालों की सहायता करने में, अल्लाह के मार्ग में, मुसाफ़िरों की सहायता करने में लगाने के लिए है। यह अल्लाह की ओर से ठहराया हुआ हुक्म है। अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, अत्यन्त तत्वदर्शी है |
|
1296 | 9 | 61 | ومنهم الذين يؤذون النبي ويقولون هو أذن قل أذن خير لكم يؤمن بالله ويؤمن للمؤمنين ورحمة للذين آمنوا منكم والذين يؤذون رسول الله لهم عذاب أليم |
| | | और उनमें कुछ लोग ऐसे हैं, जो नबी को दुख देते है और कहते है, "वह तो निरा कान है!" कह दो, "वह सर्वथा कान तुम्हारी भलाई के लिए है। वह अल्लाह पर ईमान रखता है और ईमानवालों पर भी विश्वास करता है। और उन लोगों के लिए सर्वथा दयालुता है जो तुममें से ईमान लाए है। रहे वे लोग जो अल्लाह के रसूल को दुख देते है, उनके लिए दुखद यातना है।" |
|
1297 | 9 | 62 | يحلفون بالله لكم ليرضوكم والله ورسوله أحق أن يرضوه إن كانوا مؤمنين |
| | | वे तुम लोगों के सामने अल्लाह की क़समें खाते है, ताकि तुम्हें राज़ी कर लें, हालाँकि यदि वे मोमिन है तो अल्लाह और उसका रसूल इसके ज़्यादा हक़दार है कि उनको राज़ी करें |
|
1298 | 9 | 63 | ألم يعلموا أنه من يحادد الله ورسوله فأن له نار جهنم خالدا فيها ذلك الخزي العظيم |
| | | क्या उन्हें मालूम नहीं कि जो अल्लाह औऱ उसके रसूल का विरोध करता है, उसके लिए जहन्नम की आग है जिसमें वह सदैव रहेगा। यह बहुत बड़ी रुसवाई है |
|
1299 | 9 | 64 | يحذر المنافقون أن تنزل عليهم سورة تنبئهم بما في قلوبهم قل استهزئوا إن الله مخرج ما تحذرون |
| | | मुनाफ़िक़ (कपटाचारी) डर रहे है कि कहीं उनके बारे में कोई ऐसी सूरा न अवतरित हो जाए जो वह सब कुछ उनपर खोल दे, जो उनके दिलों में है। कह दो, "मज़ाक़ उड़ा लो, अल्लाह तो उसे प्रकट करके रहेगा, जिसका तुम्हें डर है।" |
|