نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1286 | 9 | 51 | قل لن يصيبنا إلا ما كتب الله لنا هو مولانا وعلى الله فليتوكل المؤمنون |
| | | कह दो, "हमें कुछ भी पेश नहीं आ सकता सिवाय उसके जो अल्लाह ने लिख दिया है। वही हमारा स्वामी है। और ईमानवालों को अल्लाह ही पर भरोसा करना चाहिए।" |
|
1287 | 9 | 52 | قل هل تربصون بنا إلا إحدى الحسنيين ونحن نتربص بكم أن يصيبكم الله بعذاب من عنده أو بأيدينا فتربصوا إنا معكم متربصون |
| | | कहो, "तुम हमारे लिए दो भलाईयों में से किसी एक भलाई के सिवा किसकी प्रतीक्षा कर सकते है? जबकि हमें तुम्हारे हक़ में इसी की प्रतिक्षा है कि अल्लाह अपनी ओर से तुम्हें कोई यातना देता है या हमारे हाथों दिलाता है। अच्छा तो तुम भी प्रतीक्षा करो, हम भी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा कर रहे है।" |
|
1288 | 9 | 53 | قل أنفقوا طوعا أو كرها لن يتقبل منكم إنكم كنتم قوما فاسقين |
| | | कह दो, "तुम चाहे स्वेच्छापूर्वक ख़र्च करो या अनिच्छापूर्वक, तुमसे कुछ भी स्वीकार न किया जाएगा। निस्संदेह तुम अवज्ञाकारी लोग हो।" |
|
1289 | 9 | 54 | وما منعهم أن تقبل منهم نفقاتهم إلا أنهم كفروا بالله وبرسوله ولا يأتون الصلاة إلا وهم كسالى ولا ينفقون إلا وهم كارهون |
| | | उनके ख़र्च के स्वीकृत होने में इसके अतिरिक्त और कोई चीज़ बाधक नहीं कि उन्होंने अल्लाह औऱ उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया। नमाज़ को आते है तो बस हारे जी आते है और ख़र्च करते है, तो अनिच्छापूर्वक ही |
|
1290 | 9 | 55 | فلا تعجبك أموالهم ولا أولادهم إنما يريد الله ليعذبهم بها في الحياة الدنيا وتزهق أنفسهم وهم كافرون |
| | | अतः उनके माल तुम्हें मोहित न करें और न उनकी सन्तान ही। अल्लाह तो बस यह चाहता है कि उनके द्वारा उन्हें सांसारिक जीवन में यातना दे और उनके प्राण इस दशा में निकलें कि वे इनकार करनेवाले ही रहे |
|
1291 | 9 | 56 | ويحلفون بالله إنهم لمنكم وما هم منكم ولكنهم قوم يفرقون |
| | | वे अल्लाह की क़समें खाते है कि वे तुम्हीं में से है, हालाँकि वे तुममें से नहीं है, बल्कि वे ऐसे लोग है जो त्रस्त रहते है |
|
1292 | 9 | 57 | لو يجدون ملجأ أو مغارات أو مدخلا لولوا إليه وهم يجمحون |
| | | यदि वे कोई शरण पा लें या कोई गुफा या घुस बैठने की जगह, तो अवश्य ही वे बगटुट उसकी ओर उल्टे भाग जाएँ |
|
1293 | 9 | 58 | ومنهم من يلمزك في الصدقات فإن أعطوا منها رضوا وإن لم يعطوا منها إذا هم يسخطون |
| | | और उनमें से कुछ लोग सदक़ो के विषय में तुम पर चोटे करते है। किन्तु यदि उन्हें उसमें से दे दिया जाए तो प्रसन्न हो जाएँ और यदि उन्हें उसमें से न दिया गया तो क्या देखोगे कि वे क्रोधित होने लगते है |
|
1294 | 9 | 59 | ولو أنهم رضوا ما آتاهم الله ورسوله وقالوا حسبنا الله سيؤتينا الله من فضله ورسوله إنا إلى الله راغبون |
| | | यदि अल्लाह और उसके रसूल ने जो कुछ उन्हें दिया था, उसपर वे राज़ी रहते औऱ कहते कि "हमारे लिए अल्लाह काफ़ी है। अल्लाह हमें जल्द ही अपने अनुग्रह से देगा और उसका रसूल भी। हम तो अल्लाह ही की ओऱ उन्मुख है।" (तो यह उनके लिए अच्छा होता) |
|
1295 | 9 | 60 | إنما الصدقات للفقراء والمساكين والعاملين عليها والمؤلفة قلوبهم وفي الرقاب والغارمين وفي سبيل الله وابن السبيل فريضة من الله والله عليم حكيم |
| | | सदक़े तो बस ग़रीबों, मुहताजों और उन लोगों के लिए है, जो काम पर नियुक्त हों और उनके लिए जिनके दिलों को आकृष्ट करना औऱ परचाना अभीष्ट हो और गर्दनों को छुड़ाने और क़र्ज़दारों और तावान भरनेवालों की सहायता करने में, अल्लाह के मार्ग में, मुसाफ़िरों की सहायता करने में लगाने के लिए है। यह अल्लाह की ओर से ठहराया हुआ हुक्म है। अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, अत्यन्त तत्वदर्शी है |
|