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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1276 | 9 | 41 | انفروا خفافا وثقالا وجاهدوا بأموالكم وأنفسكم في سبيل الله ذلكم خير لكم إن كنتم تعلمون |
| | | (मुसलमानों) तुम हलके फुलके (हॅसते) हो या भारी भरकम (मसलह) बहर हाल जब तुमको हुक्म दिया जाए फौरन चल खड़े हो और अपनी जानों से अपने मालों से ख़ुदा की राह में जिहाद करो अगर तुम (कुछ जानते हो तो) समझ लो कि यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है |
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1277 | 9 | 42 | لو كان عرضا قريبا وسفرا قاصدا لاتبعوك ولكن بعدت عليهم الشقة وسيحلفون بالله لو استطعنا لخرجنا معكم يهلكون أنفسهم والله يعلم إنهم لكاذبون |
| | | (ऐ रसूल) अगर सरे दस्त फ़ायदा और सफर आसान होता तो यक़ीनन ये लोग तुम्हारा साथ देते मगर इन पर मुसाफ़त (सफ़र) की मशक़क़त (सख्ती) तूलानी हो गई और अगर पीछे रह जाने की वज़ह से पूछोगे तो ये लोग फौरन ख़ुदा की क़समें खॉएगें कि अगर हम में सकत होती तो हम भी ज़रूर तुम लोगों के साथ ही चल खड़े होते ये लोग झूठी कसमें खाकर अपनी जान आप हलाक किए डालते हैं और ख़ुदा तो जानता है कि ये लोग बेशक झूठे हैं |
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1278 | 9 | 43 | عفا الله عنك لم أذنت لهم حتى يتبين لك الذين صدقوا وتعلم الكاذبين |
| | | (ऐ रसूल) ख़ुदा तुमसे दरगुज़र फरमाए तुमने उन्हें (पीछे रह जाने की) इजाज़त ही क्यों दी ताकि (तुम) अगर ऐसा न करते तो) तुम पर सच बोलने वाले (अलग) ज़ाहिर हो जाते और तुम झूटों को (अलग) मालूम कर लेते |
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1279 | 9 | 44 | لا يستأذنك الذين يؤمنون بالله واليوم الآخر أن يجاهدوا بأموالهم وأنفسهم والله عليم بالمتقين |
| | | (ऐ रसूल) जो लोग (दिल से) ख़ुदा और रोज़े आख़िरत पर ईमान रखते हैं वह तो अपने माल से और अपनी जानों से जिहाद (न) करने की इजाज़त मॉगने के नहीं (बल्कि वह ख़ुद जाऎंगे) और ख़ुदा परहेज़गारों से खूब वाक़िफ है |
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1280 | 9 | 45 | إنما يستأذنك الذين لا يؤمنون بالله واليوم الآخر وارتابت قلوبهم فهم في ريبهم يترددون |
| | | (पीछे रह जाने की) इजाज़त तो बस वही लोग मॉगेंगे जो ख़ुदा और रोजे आख़िरत पर ईमान नहीं रखते और उनके दिल (तरह तरह) के शक़ कर रहे है तो वह अपने शक़ में डावॉडोल हो रहे हैं |
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1281 | 9 | 46 | ولو أرادوا الخروج لأعدوا له عدة ولكن كره الله انبعاثهم فثبطهم وقيل اقعدوا مع القاعدين |
| | | (कि क्या करें क्या न करें) और अगर ये लोग (घर से) निकलने की ठान लेते तो (कुछ न कुछ सामान तो करते मगर (बात ये है) कि ख़ुदा ने उनके साथ भेजने को नापसन्द किया तो उनको काहिल बना दिया और (गोया) उनसे कह दिया गया कि तुम बैठने वालों के साथ बैठे (मक्खी मारते) रहो |
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1282 | 9 | 47 | لو خرجوا فيكم ما زادوكم إلا خبالا ولأوضعوا خلالكم يبغونكم الفتنة وفيكم سماعون لهم والله عليم بالظالمين |
| | | अगर ये लोग तुममें (मिलकर) निकलते भी तो बस तुममे फ़साद ही बरपा कर देते और तुम्हारे हक़ में फ़ितना कराने की ग़रज़ से तुम्हारे दरमियान (इधर उधर) घोड़े दौड़ाते फिरते और तुममें से उनके जासूस भी हैं (जो तुम्हारी उनसे बातें बयान करते हैं) और ख़ुदा शरीरों से ख़ूब वाक़िफ़ है |
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1283 | 9 | 48 | لقد ابتغوا الفتنة من قبل وقلبوا لك الأمور حتى جاء الحق وظهر أمر الله وهم كارهون |
| | | (ए रसूल) इसमें तो शक़ नहीं कि उन लोगों ने पहले ही फ़साद डालना चाहा था और तुम्हारी बहुत सी बातें उलट पुलट के यहॉ तक कि हक़ आ पहुंचा और ख़ुदा ही का हुक्म ग़ालिब रहा और उनको नागवार ही रहा |
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1284 | 9 | 49 | ومنهم من يقول ائذن لي ولا تفتني ألا في الفتنة سقطوا وإن جهنم لمحيطة بالكافرين |
| | | उन लोगों में से बाज़ ऐसे भी हैं जो साफ कहते हैं कि मुझे तो (पीछे रह जाने की) इजाज़त दीजिए और मुझ बला में न फॅसाइए (ऐ रसूल) आगाह हो कि ये लोग खुद बला में (औंधे मुँह) गिर पड़े और जहन्नुम तो काफिरों का यक़ीनन घेरे हुए ही हैं |
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1285 | 9 | 50 | إن تصبك حسنة تسؤهم وإن تصبك مصيبة يقولوا قد أخذنا أمرنا من قبل ويتولوا وهم فرحون |
| | | तुमको कोई फायदा पहुंचा तो उन को बुरा मालूम होता है और अगर तुम पर कोई मुसीबत आ पड़ती तो ये लोग कहते हैं कि (इस वजह से) हमने अपना काम पहले ही ठीक कर लिया था और (ये कह कर) ख़ुश (तुम्हारे पास से उठकर) वापस लौटतें है |
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