نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1259 | 9 | 24 | قل إن كان آباؤكم وأبناؤكم وإخوانكم وأزواجكم وعشيرتكم وأموال اقترفتموها وتجارة تخشون كسادها ومساكن ترضونها أحب إليكم من الله ورسوله وجهاد في سبيله فتربصوا حتى يأتي الله بأمره والله لا يهدي القوم الفاسقين |
| | | कह दो, "यदि तुम्हारे बाप, तुम्हारे बेटे, तुम्हारे भाई, तुम्हारी पत्नि यों और तुम्हारे रिश्ते-नातेवाले और माल, जो तुमने कमाए है और कारोबार जिसके मन्दा पड़ जाने का तुम्हें भय है और घर जिन्हें तुम पसन्द करते हो, तुम्हे अल्लाह और उसके रसूल और उसके मार्ग में जिहाद करने से अधिक प्रिय है तो प्रतीक्षा करो, यहाँ तक कि अल्लाह अपना फ़ैसला ले आए। औऱ अल्लाह अवज्ञाकारियों को मार्ग नहीं दिखाता।" |
|
1260 | 9 | 25 | لقد نصركم الله في مواطن كثيرة ويوم حنين إذ أعجبتكم كثرتكم فلم تغن عنكم شيئا وضاقت عليكم الأرض بما رحبت ثم وليتم مدبرين |
| | | अल्लाह बहुत-से अवसरों पर तुम्हारी सहायता कर चुका है और हुनैन (की लड़ाई) के दिन भी, जब तुम अपनी अधिकता पर फूल गए, तो वह तुम्हारे कुछ काम न आई और धरती अपनी विशालता के बावजूद तुम पर तंग हो गई। फिर तुम पीठ फेरकर भाग खड़े हुए |
|
1261 | 9 | 26 | ثم أنزل الله سكينته على رسوله وعلى المؤمنين وأنزل جنودا لم تروها وعذب الذين كفروا وذلك جزاء الكافرين |
| | | अन्ततः अल्लाह ने अपने रसूल पर और मोमिनों पर अपनी सकीनत (प्रशान्ति) उतारी और ऐसी सेनाएँ उतारी जिनको तुमने नहीं देखा। और इनकार करनेवालों को यातना दी, और यही इनकार करनेवालों का बदला है |
|
1262 | 9 | 27 | ثم يتوب الله من بعد ذلك على من يشاء والله غفور رحيم |
| | | फिर इसके बाद अल्लाह जिसको चाहता है उसे तौबा नसीब करता है। अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है |
|
1263 | 9 | 28 | يا أيها الذين آمنوا إنما المشركون نجس فلا يقربوا المسجد الحرام بعد عامهم هذا وإن خفتم عيلة فسوف يغنيكم الله من فضله إن شاء إن الله عليم حكيم |
| | | ऐ ईमान लानेवालो! मुशरिक तो बस अपवित्र ही है। अतः इस वर्ष के पश्चात वे मस्जिदे हराम के पास न आएँ। और यदि तुम्हें निर्धनता का भय हो तो आगे यदि अल्लाह चाहेगा तो तुम्हें अपने अनुग्रह से समृद्ध कर देगा। निश्चय ही अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, अत्यन्त तत्वदर्शी है |
|
1264 | 9 | 29 | قاتلوا الذين لا يؤمنون بالله ولا باليوم الآخر ولا يحرمون ما حرم الله ورسوله ولا يدينون دين الحق من الذين أوتوا الكتاب حتى يعطوا الجزية عن يد وهم صاغرون |
| | | वे किताबवाले जो न अल्लाह पर ईमान रखते है और न अन्तिम दिन पर और न अल्लाह और उसके रसूल के हराम ठहराए हुए को हराम ठहराते है और न सत्यधर्म का अनुपालन करते है, उनसे लड़ो, यहाँ तक कि वे सत्ता से विलग होकर और छोटे (अधीनस्थ) बनकर जिज़्या देने लगे |
|
1265 | 9 | 30 | وقالت اليهود عزير ابن الله وقالت النصارى المسيح ابن الله ذلك قولهم بأفواههم يضاهئون قول الذين كفروا من قبل قاتلهم الله أنى يؤفكون |
| | | यहूदी करते है, "उज़ैर अल्लाह का बेटा है।" और ईसाई कहते है, "मसीह अल्लाह का बेटा है।" ये उनकी अपने मुँह की बातें हैं। ये उन लोगों की-सी बातें कर रहे है जो इससे पहले इनकार कर चुके है। अल्लाह की मार इन पर! ये कहाँ से औधे हुए जा रहे हैं! |
|
1266 | 9 | 31 | اتخذوا أحبارهم ورهبانهم أربابا من دون الله والمسيح ابن مريم وما أمروا إلا ليعبدوا إلها واحدا لا إله إلا هو سبحانه عما يشركون |
| | | उन्होंने अल्लाह से हटकर अपने धर्मज्ञाताओं और संसार-त्यागी संतों और मरयम के बेटे ईसा को अपने रब बना लिए है - हालाँकि उन्हें इसके सिवा और कोई आदेश नहीं दिया गया था कि अकेले इष्टि-पूज्य की वे बन्दगी करें, जिसक सिवा कोई और पूज्य नहीं। उसकी महिमा के प्रतिकूल है वह शिर्क जो ये लोग करते है। - |
|
1267 | 9 | 32 | يريدون أن يطفئوا نور الله بأفواههم ويأبى الله إلا أن يتم نوره ولو كره الكافرون |
| | | चाहते है कि अल्लाह के प्रकाश को अपने मुँह से बुझा दें, किन्तु अल्लाह अपने प्रकाश को पूर्ण किए बिना नहीं रहेगा, चाहे इनकार करनेवालों को अप्रिय ही लगे |
|
1268 | 9 | 33 | هو الذي أرسل رسوله بالهدى ودين الحق ليظهره على الدين كله ولو كره المشركون |
| | | वही है जिसने अपने रसूल को मार्गदर्शन और सत्यधर्म के साथ भेजा ताकि उसे तमाम दीन (धर्म) पर प्रभावी कर दे, चाहे मुशरिकों को बुरा लगे |
|