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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1252 | 9 | 17 | ما كان للمشركين أن يعمروا مساجد الله شاهدين على أنفسهم بالكفر أولئك حبطت أعمالهم وفي النار هم خالدون |
| | | यह मुशरिकों का काम नहीं कि वे अल्लाह की मस्जिदों को आबाद करें और उसके प्रबंधक हों, जबकि वे स्वयं अपने विरुद्ध कुफ़्र की गवाही दे रहे है। उन लोगों का सारा किया-धरा अकारथ गया और वे आग में सदैव रहेंगे |
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1253 | 9 | 18 | إنما يعمر مساجد الله من آمن بالله واليوم الآخر وأقام الصلاة وآتى الزكاة ولم يخش إلا الله فعسى أولئك أن يكونوا من المهتدين |
| | | अल्लाह की मस्जिदों का प्रबंधक और उसे आबाद करनेवाला वही हो सकता है जो अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान लाया, नमाज़ क़ायम की और ज़कात दी और अल्लाह के सिवा किसी से न डरा। अतः ऐसे ही लोग, आशा है कि सीधा मार्ग पानेवाले होंगे |
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1254 | 9 | 19 | أجعلتم سقاية الحاج وعمارة المسجد الحرام كمن آمن بالله واليوم الآخر وجاهد في سبيل الله لا يستوون عند الله والله لا يهدي القوم الظالمين |
| | | क्या तुमने हाजियों को पानी पिलाने और मस्जिदे हराम (काबा) के प्रबंध को उस क्यक्ति के काम के बराबर ठहरा लिया है, जो अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान लाया और उसने अल्लाह के मार्ग में संघर्ष किया?अल्लाह की दृष्टि में वे बराबर नहीं। और अल्लाह अत्याचारी लोगों को मार्ग नहीं दिखाता |
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1255 | 9 | 20 | الذين آمنوا وهاجروا وجاهدوا في سبيل الله بأموالهم وأنفسهم أعظم درجة عند الله وأولئك هم الفائزون |
| | | जो लोग ईमान लाए और उन्होंने हिजरत की और अल्लाह के मार्ग में अपने मालों और अपनी जानों से जिहाद किया, अल्लाह के यहाँ दर्जे में वे बहुत बड़े है और वही सफल है |
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1256 | 9 | 21 | يبشرهم ربهم برحمة منه ورضوان وجنات لهم فيها نعيم مقيم |
| | | उन्हें उनका रब अपना दयालुता और प्रसन्नता और ऐसे बाग़ों की शुभ-सूचना देता है, जिनमें उनके लिए स्थायी सुख-सामग्री है |
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1257 | 9 | 22 | خالدين فيها أبدا إن الله عنده أجر عظيم |
| | | उनमें वे सदैव रहेंगे। निस्संदेह अल्लाह के पास बड़ा बदला है |
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1258 | 9 | 23 | يا أيها الذين آمنوا لا تتخذوا آباءكم وإخوانكم أولياء إن استحبوا الكفر على الإيمان ومن يتولهم منكم فأولئك هم الظالمون |
| | | ऐ ईमान लानेवालो! अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि ईमान के मुक़ाबले में कुफ़्र उन्हें प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे |
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1259 | 9 | 24 | قل إن كان آباؤكم وأبناؤكم وإخوانكم وأزواجكم وعشيرتكم وأموال اقترفتموها وتجارة تخشون كسادها ومساكن ترضونها أحب إليكم من الله ورسوله وجهاد في سبيله فتربصوا حتى يأتي الله بأمره والله لا يهدي القوم الفاسقين |
| | | कह दो, "यदि तुम्हारे बाप, तुम्हारे बेटे, तुम्हारे भाई, तुम्हारी पत्नि यों और तुम्हारे रिश्ते-नातेवाले और माल, जो तुमने कमाए है और कारोबार जिसके मन्दा पड़ जाने का तुम्हें भय है और घर जिन्हें तुम पसन्द करते हो, तुम्हे अल्लाह और उसके रसूल और उसके मार्ग में जिहाद करने से अधिक प्रिय है तो प्रतीक्षा करो, यहाँ तक कि अल्लाह अपना फ़ैसला ले आए। औऱ अल्लाह अवज्ञाकारियों को मार्ग नहीं दिखाता।" |
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1260 | 9 | 25 | لقد نصركم الله في مواطن كثيرة ويوم حنين إذ أعجبتكم كثرتكم فلم تغن عنكم شيئا وضاقت عليكم الأرض بما رحبت ثم وليتم مدبرين |
| | | अल्लाह बहुत-से अवसरों पर तुम्हारी सहायता कर चुका है और हुनैन (की लड़ाई) के दिन भी, जब तुम अपनी अधिकता पर फूल गए, तो वह तुम्हारे कुछ काम न आई और धरती अपनी विशालता के बावजूद तुम पर तंग हो गई। फिर तुम पीठ फेरकर भाग खड़े हुए |
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1261 | 9 | 26 | ثم أنزل الله سكينته على رسوله وعلى المؤمنين وأنزل جنودا لم تروها وعذب الذين كفروا وذلك جزاء الكافرين |
| | | अन्ततः अल्लाह ने अपने रसूल पर और मोमिनों पर अपनी सकीनत (प्रशान्ति) उतारी और ऐसी सेनाएँ उतारी जिनको तुमने नहीं देखा। और इनकार करनेवालों को यातना दी, और यही इनकार करनेवालों का बदला है |
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