بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
1248913ألا تقاتلون قوما نكثوا أيمانهم وهموا بإخراج الرسول وهم بدءوكم أول مرة أتخشونهم فالله أحق أن تخشوه إن كنتم مؤمنين
(मुसलमानों) भला तुम उन लोगों से क्यों नहीं लड़ते जिन्होंने अपनी क़समों को तोड़ डाला और रसूल को निकाल बाहर करना (अपने दिल में) ठान लिया था और तुमसे पहले छेड़ भी उन्होनें ही शुरू की थी क्या तुम उनसे डरते हो तो अगर तुम सच्चे ईमानदार हो तो ख़ुदा उनसे कहीं बढ़ कर तुम्हारे डरने के क़ाबिल है
1249914قاتلوهم يعذبهم الله بأيديكم ويخزهم وينصركم عليهم ويشف صدور قوم مؤمنين
इनसे (बेख़ौफ (ख़तर) लड़ो ख़ुदा तुम्हारे हाथों उनकी सज़ा करेगा और उन्हें रूसवा करेगा और तुम्हें उन पर फतेह अता करेगा और ईमानदार लोगों के कलेजे ठन्डे करेगा
1250915ويذهب غيظ قلوبهم ويتوب الله على من يشاء والله عليم حكيم
और उन मोनिनीन के दिल की क़ुदरतें जो (कुफ्फ़ार से पहुचॅती है) दफ़ा कर देगा और ख़ुदा जिसकी चाहे तौबा क़ुबूल करे और ख़ुदा बड़ा वाक़िफकार (और) हिकमत वाला है
1251916أم حسبتم أن تتركوا ولما يعلم الله الذين جاهدوا منكم ولم يتخذوا من دون الله ولا رسوله ولا المؤمنين وليجة والله خبير بما تعملون
क्या तुमने ये समझ लिया है कि तुम (यूं ही) छोड़ दिए जाओगे और अभी तक तो ख़ुदा ने उन लोगों को मुमताज़ किया ही नहीं जो तुम में के (राहे ख़ुदा में) जिहाद करते हैं और ख़ुदा और उसके रसूल और मोमेनीन के सिवा किसी को अपना राज़दार दोस्त नहीं बनाते और जो कुछ भी तुम करते हो ख़ुदा उससे बाख़बर है
1252917ما كان للمشركين أن يعمروا مساجد الله شاهدين على أنفسهم بالكفر أولئك حبطت أعمالهم وفي النار هم خالدون
मुशरेकीन का ये काम नहीं कि जब वह अपने कुफ़्र का ख़ुद इक़रार करते है तो ख़ुदा की मस्जिदों को (जाकर) आबाद करे यही वह लोग हैं जिनका किया कराया सब अकारत हुआ और ये लोग हमेशा जहन्नुम में रहेंगे
1253918إنما يعمر مساجد الله من آمن بالله واليوم الآخر وأقام الصلاة وآتى الزكاة ولم يخش إلا الله فعسى أولئك أن يكونوا من المهتدين
ख़ुदा की मस्जिदों को बस सिर्फ वहीं शख़्स (जाकर) आबाद कर सकता है जो ख़ुदा और रोजे आख़िरत पर ईमान लाए और नमाज़ पढ़ा करे और ज़कात देता रहे और ख़ुदा के सिवा (और) किसी से न डरो तो अनक़रीब यही लोग हिदायत याफ्ता लोगों मे से हो जाऎंगे
1254919أجعلتم سقاية الحاج وعمارة المسجد الحرام كمن آمن بالله واليوم الآخر وجاهد في سبيل الله لا يستوون عند الله والله لا يهدي القوم الظالمين
क्या तुम लोगों ने हाजियों की सक़ाई (पानी पिलाने वाले) और मस्जिदुल हराम (ख़ानाए काबा की आबादियों को उस शख़्स के हमसर (बराबर) बना दिया है जो ख़ुदा और रोज़े आख़ेरत के दिन पर ईमान लाया और ख़ुदा के राह में जेहाद किया ख़ुदा के नज़दीक तो ये लोग बराबर नहीं और खुदा ज़ालिम लोगों की हिदायत नहीं करता है
1255920الذين آمنوا وهاجروا وجاهدوا في سبيل الله بأموالهم وأنفسهم أعظم درجة عند الله وأولئك هم الفائزون
जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और (ख़ुदा के लिए) हिजरत एख्तियार की और अपने मालों से और अपनी जानों से ख़ुदा की राह में जिहाद किया वह लोग ख़ुदा के नज़दीक दर्जें में कही बढ़ कर हैं और यही लोग (आला दर्जे पर) फायज़ होने वाले हैं
1256921يبشرهم ربهم برحمة منه ورضوان وجنات لهم فيها نعيم مقيم
उनका परवरदिगार उनको अपनी मेहरबानी और ख़ुशनूदी और ऐसे (हरे भरे) बाग़ों की ख़ुशख़बरी देता है जिसमें उनके लिए दाइमी ऐश व (आराम) होगा
1257922خالدين فيها أبدا إن الله عنده أجر عظيم
और ये लोग उन बाग़ों में हमेशा अब्दआलाबाद (हमेशा हमेशा) तक रहेंगे बेशक ख़ुदा के पास तो बड़ा बड़ा अज्र व (सवाब) है


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