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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
125 | 2 | 118 | وقال الذين لا يعلمون لولا يكلمنا الله أو تأتينا آية كذلك قال الذين من قبلهم مثل قولهم تشابهت قلوبهم قد بينا الآيات لقوم يوقنون |
| | | जिन्हें ज्ञान नहीं हैं, वे कहते है, "अल्लाह हमसे बात क्यों नहीं करता? या कोई निशानी हमारे पास आ जाए।" इसी प्रकार इनसे पहले के लोग भी कह चुके है। इन सबके दिल एक जैसे है। हम खोल-खोलकर निशानियाँ उन लोगों के लिए बयान कर चुके है जो विश्वास करें |
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126 | 2 | 119 | إنا أرسلناك بالحق بشيرا ونذيرا ولا تسأل عن أصحاب الجحيم |
| | | निश्चित रूप से हमने तुम्हें हक़ के साथ शुभ-सूचना देनेवाला और डरानेवाला बनाकर भेजा। भड़कती आग में पड़नेवालों के विषय में तुमसे कुछ न पूछा जाएगा |
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127 | 2 | 120 | ولن ترضى عنك اليهود ولا النصارى حتى تتبع ملتهم قل إن هدى الله هو الهدى ولئن اتبعت أهواءهم بعد الذي جاءك من العلم ما لك من الله من ولي ولا نصير |
| | | न यहूदी तुमसे कभी राज़ी होनेवाले है और न ईसाई जब तक कि तुम अनके पंथ पर न चलने लग जाओ। कह दो, "अल्लाह का मार्गदर्शन ही वास्तविक मार्गदर्शन है।" और यदि उस ज्ञान के पश्चात जो तुम्हारे पास आ चुका है, तुमने उनकी इच्छाओं का अनुसरण किया, तो अल्लाह से बचानेवाला न तो तुम्हारा कोई मित्र होगा और न सहायक |
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128 | 2 | 121 | الذين آتيناهم الكتاب يتلونه حق تلاوته أولئك يؤمنون به ومن يكفر به فأولئك هم الخاسرون |
| | | जिन लोगों को हमने किताब दी है उनमें वे लोग जो उसे उस तरह पढ़ते है जैसा कि उसके पढ़ने का हक़ है, वही उसपर ईमान ला रहे है, और जो उसका इनकार करेंगे, वही घाटे में रहनेवाले है |
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129 | 2 | 122 | يا بني إسرائيل اذكروا نعمتي التي أنعمت عليكم وأني فضلتكم على العالمين |
| | | ऐ इसराईल की सन्तान! मेरी उस कृपा को याद करो जो मैंने तुमपर की थी और यह कि मैंने तुम्हें संसारवालों पर श्रेष्ठता प्रदान की |
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130 | 2 | 123 | واتقوا يوما لا تجزي نفس عن نفس شيئا ولا يقبل منها عدل ولا تنفعها شفاعة ولا هم ينصرون |
| | | और उस दिन से डरो, जब कोई न किसी के काम आएगा, न किसी की ओर से अर्थदंड स्वीकार किया जाएगा, और न कोई सिफ़ारिश ही उसे लाभ पहुँचा सकेगी, और न उनको कोई सहायता ही पहुँच सकेगी |
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131 | 2 | 124 | وإذ ابتلى إبراهيم ربه بكلمات فأتمهن قال إني جاعلك للناس إماما قال ومن ذريتي قال لا ينال عهدي الظالمين |
| | | और याद करो जब इबराहीम की उसके रब से कुछ बातों में परीक्षा ली तो उसने उसको पूरा कर दिखाया। उसने कहा, "मैं तुझे सारे इनसानों का पेशवा बनानेवाला हूँ।" उसने निवेदन किया, " और मेरी सन्तान में भी।" उसने कहा, "ज़ालिम मेरे इस वादे के अन्तर्गत नहीं आ सकते।" |
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132 | 2 | 125 | وإذ جعلنا البيت مثابة للناس وأمنا واتخذوا من مقام إبراهيم مصلى وعهدنا إلى إبراهيم وإسماعيل أن طهرا بيتي للطائفين والعاكفين والركع السجود |
| | | और याद करो जब हमने इस घर (काबा) को लोगों को लिए केन्द्र और शान्तिस्थल बनाया - और, "इबराहीम के स्थल में से किसी जगह को नमाज़ की जगह बना लो!" - और इबराहीम और इसमाईल को ज़िम्मेदार बनाया। "तुम मेरे इस घर को तवाफ़ करनेवालों और एतिकाफ़ करनेवालों के लिए और रुकू और सजदा करनेवालों के लिए पाक-साफ़ रखो।" |
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133 | 2 | 126 | وإذ قال إبراهيم رب اجعل هذا بلدا آمنا وارزق أهله من الثمرات من آمن منهم بالله واليوم الآخر قال ومن كفر فأمتعه قليلا ثم أضطره إلى عذاب النار وبئس المصير |
| | | और याद करो जब इबराहीम ने कहा, "ऐ मेरे रब! इसे शान्तिमय भू-भाग बना दे और इसके उन निवासियों को फलों की रोज़ी दे जो उनमें से अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान लाएँ।" कहा, "और जो इनकार करेगा थोड़ा फ़ायदा तो उसे भी दूँगा, फिर उसे घसीटकर आग की यातना की ओर पहुँचा दूँगा और वह बहुत-ही बुरा ठिकाना है!" |
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134 | 2 | 127 | وإذ يرفع إبراهيم القواعد من البيت وإسماعيل ربنا تقبل منا إنك أنت السميع العليم |
| | | और याद करो जब इबराहीम और इसमाईल इस घर की बुनियादें उठा रहे थे, (तो उन्होंने प्रार्थना की), "ऐ हमारे रब! हमारी ओर से इसे स्वीकार कर ले, निस्संदेह तू सुनता-जानता है |
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